इस समय खरीफ की फसलों में कई तरह के रोग व कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है, ऐसे में किसानों को चाहिए कि सही समय पर इनका नियंत्रण करके नुकसान से बच सकें। आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, हर हफ्ते पूसा समाचार और कृषि सलाह के जरिए उनकी समस्याओं का समाधान करता है।
इस मौसम में धान की फसल में तना छेदक कीट की निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपंच 4-6 प्रति एकड़ की दर से लगाए और प्रकोप अधिक हो तो करटाप दवाई 4% दानें दस किलोग्राम का बुरकाव करें।
इस मौसम में धान की फ़सल में जीवाणु पत्ती झुलसा रोग के आने की संभावना है। यदि धान की खड़ी फ़सल में पत्तियों का रंग पीला पड़ रहा हो और इन पर जलसोख धब्बे बन रहे हैं जिसके कारण आगे जाकर पूरी पत्ती पीली पड़ने लगे तो इसके रोकथाम के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 15 ग्राम और कापर हाइड्रोक्साइड 400 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर 10 से 12 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।
इस मौसम में बासमती धान में आभासी कंड आने की काफी संभावना है। इस बीमारी के आने से धान के दाने आकार में फूल कर पीला पड़ जाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए ब्लाइटोक्स 50, 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर 10 दिन के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करें।
इस मौसम में धान की फसल को नष्ट करने वाली ब्राउन प्लांट हॉपर का आक्रमण आरंभ हो सकता है, इसलिए किसान खेत के अंदर जाकर पौध के निचली भाग के स्थान पर मच्छरनुमा कीट का निरीक्षण करें। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो ओशेन 100 ग्राम/ 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
सरसों की अगेती बुवाई के लिए पूसा सरसों- 25, पूसा सरसों- 26, पूसा सरसों- 28, पूसा अगर्णी, पूसा तारक, पूसा महक आदि के बीज की बुवाई करें। बीज दर 1.5 से 2.0 कि. ग्रा. प्रति एकड़।
इस मौसम में अगेती मटर की बुवाई कर सकते हैं। उन्नत किस्में – पूसा प्रगति, बीज दर 35-40 कि.ग्रा. प्रति एकड़। बीजों को कवकनाशी केप्टान 2.0 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से मिलाकर उपचार करें उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका अवश्य लगायें। गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर ले और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दे और अगले दिन बुवाई करें।
इस मौसम में किसान गाजर की बुवाई मेड़ो पर कर सकते हैं। उन्नत किस्में- पूसा रूधिरा। बीज दर 4.0 किग्रा. प्रति एकड़। बुवाई से पूर्व बीज को केप्टान @ 2 ग्राम प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचार करें तथा खेत में देसी खाद, पोटाश और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें। गाजर की बुवाई मशीन द्वारा करने से बीज 1.0 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है, जिससे बीज की बचत तथा उत्पाद की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है।
सब्जियों में (टमाटर, बैंगन, फूलगोभी व पत्तागोभी) शीर्ष और फल छेदक और फूलगोभी/पत्तागोभी में डायमंड़ बेक मोथ की निगरानी हेतू फिरोमोन प्रपंच, 3-4/एकड़ लगाए |
जिन किसानों की टमाटर, हरी मिर्च, बैंगन व अगेती फूलगोभी की पौध तैयार है, वे मौसम को मद्देनजर रखते हुए रोपाई पर करें।
कद्दूवर्गीय और दूसरी सब्जियों में मधुमक्खियों का बड़ा योगदान है क्योंकि, ये परागण में सहायता करती है इसलिए मधुमक्खियों को खेत में रखें। कीड़ों और बीमारियों की निरंतर निगरानी करते रहें, कृषि ज्ञान केन्द्र से सम्पर्क रखें व सही जानकारी लेने के बाद ही दवाईयों का प्रयोग करें।
इस मौसम में किसान अपने खेतों की नियमित निगरानी करें। यदि फसलों व सब्जियों में सफ़ेद मक्खी या चूसक कीटों का प्रकोप दिखाई दें तो इमिडाक्लोप्रिड दवाई 1.0 मि. ली. 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।
किसान प्रकाश प्रपंच का भी इस्तेमाल कर सकते है। इसके लिए एक प्लास्टिक के टब या किसी बड़े बर्तन में पानी और कीटनाशक मिलाकर एक बल्ब जलाकर रात में खेत के बीच में रखे दें। प्रकाश से कीट आकर्षित होकर उसी घोल पर गिरकर मर जायेंगें। इस प्रपंच से अनेक प्रकार के हानिकारक कीटों का नाश होगा।
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