धान भारत की प्रमुख खाद्यान्न फसल है और इसकी उपज काफी हद तक नर्सरी की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। अगर शुरुआत यानी नर्सरी में ही गलती हो जाए तो पूरा उत्पादन प्रभावित होता है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे धान की नर्सरी में होने वाली 5 आम गलतियों, उनके प्रभाव और उनके सटीक समाधान के बारे में, ताकि किसान भाई-बहन धान की खेती से अधिक लाभ कमा सकें।

गलती 1: खराब बीज का उपयोग
समस्या:
कई बार किसान बिना परीक्षण के पुराने या कम गुणवत्ता वाले बीजों का उपयोग करते हैं। इससे बीज अंकुरित नहीं होते या पौधे कमजोर होते हैं।
समाधान: बीज उपचार करें
- धान की उन्नत किस्में जैसे – IR-64, MTU-1010, स्वर्णा, PR-126, Pusa Basmati आदि का चयन करें।
- बीजों को नमक पानी में डालकर (1 लीटर पानी में 30 ग्राम नमक) खराब बीज छांट लें।
- बीजों को 2 ग्राम ट्राइकोडर्मा या 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज से उपचारित करें।
- बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोकर छांव में कपड़े में बांधकर 24 घंटे अंकुरित करें, फिर बुवाई करें।
धान की नर्सरी कैसे तैयार करें – इसकी पहली और सबसे अहम सीढ़ी है बीज का चयन और उपचार।
गलती 2: जल निकासी की कमी
समस्या:
नर्सरी में पानी जमा हो जाए तो जड़ गलन, फफूंदी और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
समाधान: ऊँची क्यारी बनाएं
- नर्सरी के लिए ज़मीन को समतल कर ऊँची क्यारियां (10-15 सेमी ऊँचाई) बनाएं।
- क्यारियों के बीच नालियों की व्यवस्था रखें ताकि वर्षा या सिंचाई का अतिरिक्त पानी निकल जाए।
- जलभराव से बचाव से पौधे स्वस्थ और मजबूत बनते हैं।
यह उपाय धान की नर्सरी की समस्याएं और फसल में होने वाले कीट रोग का भी समाधान देता है।
गलती 3: कीट और रोग का प्रकोप
समस्या:
नर्सरी में रोग लग जाए तो पूरे खेत में फैल सकता है, जिससे पैदावार पर बुरा असर पड़ता है।
समाधान: जैविक नियंत्रण अपनाएं
- ट्राइकोडर्मा, नीम तेल (5ml/लीटर), नीम खली, गौमूत्र आदि का छिड़काव करें।
- रोगी पौधों को तुरंत नर्सरी से हटा दें।
- मिट्टी को पहले से सूरज की तेज धूप में सूखने दें या उसमें जैविक फफूंदनाशक मिलाएं।
जैविक उपाय अपनाने से धान की फसल कैसे उगाएं इसका टिकाऊ समाधान मिलता है।
गलती 4: सिंचाई में लापरवाही
समस्या:
बहुत अधिक पानी देने से पौधे सड़ जाते हैं और कम पानी देने से सूख जाते हैं।
समाधान: संतुलित और समय पर सिंचाई
- हर 3 से 4 दिन में हल्की सिंचाई करें, अगर गर्मी अधिक हो तो सप्ताह में दो बार।
- सुबह या शाम के समय सिंचाई करना बेहतर रहता है।
- सिंचाई के बाद नमी बनी रहनी चाहिए लेकिन पानी भरा नहीं होना चाहिए।
यह तरीका धान की फसल से ज्यादा उत्पादन कैसे लें इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है।

गलती 5: गलत समय पर रोपाई
समस्या:
बहुत छोटी या बहुत बड़ी उम्र के पौधे रोपने से फसल कमजोर होती है और उत्पादन घटता है।
समाधान: 21 से 25 दिन की नर्सरी में रोपाई
- धान की रोपाई कब करें?
धान की रोपाई के लिए 21 से 25 दिन की पौध सबसे अच्छी होती है, जब पौध की ऊंचाई 15-20 सेमी हो। - खेत में रोपते समय एक स्थान पर 2-3 पौधे ही लगाएं और 10-15 सेमी दूरी रखें।
अगर किसान धान की नर्सरी का तरीका सही अपनाएं और ऊपर दी गई गलतियों से बचें, तो
- रोगमुक्त और स्वस्थ पौध तैयार होती है,
- धान की फसल से ज्यादा उत्पादन सुनिश्चित होता है,
- और समय व लागत दोनों की बचत होती है।
इस लेख को ध्यान से पढ़ें, धान की नर्सरी में ये गलतियाँ न दोहराएँ और अपने अनुभव जरूर साझा करें।
Gramik आपके साथ, हर कदम पर! सहायता या जानकारी के लिए हमारे टोल-फ्री नंबर 7388821222 पर कॉल करें। 🚜📞
खेती से संबंधित और भी ब्लॉग पढ़ने के लिए किसान साथी ग्रामिक दिये गये लिंक पर क्लिक करें –
धान की खेती
बुवाई से लेकर फसल की मड़ाई तक, धान की खेती
धान की नर्सरी
धान की फसल
धान बीज चयन

Post Views: 47