भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने बारिश के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए धान, मक्का, ज्वार समेत अन्य फसलों के लिए एडवाइजरी जारी की है। वैज्ञानिकों की सलाह को मानकर किसान भाई फसल उत्पादन बढ़ा सकते हैं। आइए जानते हैं क्या कहा वैज्ञानिकों ने…
मक्का
- किसान मौसम का ध्यान रखते हुए मक्के की बुवाई के लिए खेतों को तैयार करें।
- उन्नत किस्म पूसा कंपोजिट 4, पूसा कंपोजिट 3 और संकर प्रजाति ए एच 421 व ए एच 58 के बीज प्रमाणित स्त्रोत से ही खरीदें ।
- बीज की मात्रा 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें।
- पौधे से पौधे की दूरी 18 से 25 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 से 75 सेमी रखें।
- फसल में खरपतवार नियंत्रित के लिए एंट्राजिन 1 से 1.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
ज्वार
- यह मौसम चारे के लिए ज्वार की बुवाई का सही समय है।
- पूसा चरी 6, पूसा चरी 9 समेत अन्य संकर प्रजातियों का उपयोग कर सकते हैं ।
- बीज की मात्रा 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें।
धान
- ऐसे किसान जो धान की नर्सरी तैयार कर रहे हैं, वे बकानी रोग की निगरानी नियमित रूप से करें।
- लक्षण होने पर कार्बेडिजम 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
- यदि धान के पौधे का रंग पीला पड़ रहा हो, तो इसमें लोहा तत्व की कमी हो सकती है।
- पौधे की ऊपरी पत्तियां पीली और नीचे की पत्ती हरी हो तो यह लौह तत्व की कमी को दर्शाता है।
- इसके लिए 0.5 प्रतिशत फेरस सल्फेट और 0.25% चूने का घोल बनाकर छिड़क दें ।
इसके अलावा लोबिया, बैंगन, मिर्च, फूलगोभी की नर्सरी तैयार करने का यह उपयुक्त समय है। किसान नर्सरी के लिए कीट अवरोधी नायलॉन की जाली का उपयोग करें, ताकि रोग फैलाने वाले कीटों से बचाव हो सके। धूप से बचाने के लिए छायादार नेट से 6.5 फीट की ऊंचाई पर ढक सकते हैं। जिनकी पौध तैयार है, वे मौसम का ध्यान रखते हुए रोपाई की तैयारी कर सकते हैं। खड़ी फसलों और सब्जी पौधशाला में जल निकास का सही प्रबंधन करके रखें, ताकि बारिश से फसलों को नुकसान ना पहुंचे।
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