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ज्वार के तने से शहद: किसानों के भविष्य को बदलने का एक नया अवसर!

Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है।

ज्वार की खेती भारत के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है। ज्वार को मीठी चरी के नाम से भी जाना जाता है। पशुओं के चारे के रूप में इस मीठी चरी का इस्तेमाल बहुत समय तक होता रहा है, लेकिन अब राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने ज्वार के तने से शहद तैयार किया है, जो आने वाले समय में मधुमक्खी से बने हुए शहद का विकल्प साबित होगा।

ज्वार से मिलने वाले शहद के लाभ

ज्वार से मिलने वाले शहद की क्वालिटी भी काफी अच्छी है। औषधि के तौर पर भी इसके कई फ़ायदे हैं। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के द्वारा ज्वार के शहद का पेटेंट भी कराया गया है। भविष्य के लिए महत्वपूर्ण इस शोध के कारण आने वाले समय में ज्वार से किसानों को आमदनी का एक और ज़रिया मिल सकेगा।

ज्वार के तने से शहद

आपको बता दें कि देश में ज्वार की कुल 11 किस्में हैं। इनमें से पांच प्रजातियां ऐसी हैं,  जिसके तने से मीठा रस निकलता है।

कैसे बनता है ज्वार से शहद

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रोफ़ेसर नरेंद्र मोहन ने मीडिया से बात-चीत करते हुए कहा कि ज्वार के तने से जो रस निकलता है, उसे गाढ़ा करने पर शहद की तरह ही एक सिरप बनता है, जिसमें मिठास कम होती है। वहीं ज्वार से बना ये शहद मधुमक्खी से मिलने वाले शहद की तुलना में इसमें कैलोरी कम होती है, और पोषक तत्वों की मात्रा अधिक पायी जाती है।

आने वाले समय में ज्वार से बनने वाला यह मीठा सिरप शहद के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा। इस मामले में ज्वार की वसुंधरा प्रजाति सबसे ज़्यादा कारगर साबित हुई है। मीठे ज्वार की इन प्रजातियों का एक फायदा और भी है, वो ये कि इन प्रजातियों को देश के कई क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है।

ज्वार के शहद में पाए जाने वाले पोषक तत्व

इस पर शोध करने वाले संस्थान के अनुसार, ज्वार से बनने वाले इस शहद में फ्रक्टोज की मात्रा 45 से 48 प्रतिशत है, ग्लूकोज की मात्रा 39 से 42 प्रतिशत तक है। जबकि इसका पीएच मान 4.3 है, और इसमें घुलनशील सामग्री ब्रिक्स का मान 72 है।

वहीं कैलोरी की बात की जाए, तो मधुमक्खी से मिलने वाले शहद में प्रति 100 ग्राम 310 कैलोरी होती है, जबकि ज्वार के मीठे सिरप में 296 कैलोरी प्रति 100 ग्राम पाई जाती है। इसके अलावा इसमें कार्बोहाइड्रेट, वसा  प्रोटीन और जल की भी पर्याप्त मात्रा रहती है।

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान की वरिष्ठ शोधार्थी श्रुति शुक्ला ने जानकारी दी, कि ज्वार के 1 लीटर जूस से लगभग 100 ग्राम तक मीठा शहद निकाला जा सकता है। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रोफ़ेसर नरेंद्र मोहन ने बताया कि चीनी में 100% सुक्रोज होता है, जिससे मधुमेह होने की संभावना रहती है। चीनी के प्रति 100 ग्राम में 385 किलो कैलोरी होती है लेकिन ज्वार से तैयार इस सिरप से शरीर को कई लाभ मिलेंगे। 

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