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धान की रोपाई – धान की नर्सरी से मुख्य खेत में रोपाई कैसे करें?

धान की रोपाई
Written by Gramik

धान की अच्छी फसल चाहिए तो शुरुआत भी अच्छी होनी चाहिए, और इसकी शुरुआत होती है धान की नर्सरी से। नर्सरी वो जगह है जहाँ धान के बीज को बोकर छोटे-छोटे पौधे तैयार किए जाते हैं। जब ये पौधे कुछ दिन बड़े हो जाते हैं, तब इन्हें मुख्य खेत में लगाया जाता है।

इन्हीं पौधों को मुख्य खेत में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया को धान की रोपाई कहते हैं। अगर नर्सरी से रोपाई सही तरीके से की जाए, तो पौधे जल्दी बढ़ते हैं, बीमारियाँ कम लगती हैं और पैदावार भी अच्छी होती है। धान की रोपाई फसल की नींव होती है, इसलिए इसका सही समय और तरीका जानना बहुत जरूरी है।

इस ब्लॉग में जानिए धान की रोपाई का सही समय और सही तरीका।

धान की रोपाई का सही समय क्या है?

धान की रोपाई का सही समय क्या है?

धान की रोपाई का सही समय क्षेत्र और मानसून की शुरुआत पर निर्भर करता है। उत्तर भारत में जून के आखिरी सप्ताह से जुलाई के मध्य तक और दक्षिण भारत में मई-जून के बीच रोपाई करना उचित होता है। जब धान की नर्सरी की उम्र 20–25 दिन हो जाए और पौध की ऊंचाई 12–15 सेमी हो, तब रोपाई के लिए आदर्श समय होता है।

मुख्य खेत की तैयारी कैसे करें?

धान की सफल खेती के लिए मुख्य खेत को रोपाई से पहले अच्छी तरह तैयार करना जरूरी होता है। पहले मिट्टी की गहरी जुताई करें, फिर पडलिंग (Puddling) की प्रक्रिया अपनाएं यानी खेत में पानी भरकर मिट्टी को कीचड़ जैसा बनाएं। इससे धान की नर्सरी से लाई गई पौध को खेत में अच्छी पकड़ मिलती है। खेत समतल होना चाहिए ताकि पानी सभी जगह समान रूप से फैले और पौधों की जड़ों को भरपूर नमी मिले।

रोपाई के बाद देखभाल कैसे करें?

धान की नर्सरी से पौधे कैसे निकालें?

जब नर्सरी में पौध तैयार हो जाए, तब उन्हें मुख्य खेत में लगाने से पहले सावधानीपूर्वक निकालना चाहिए। पौधों को निकालने से पहले नर्सरी में हल्का पानी डालें ताकि मिट्टी नरम हो जाए और जड़ें टूटें नहीं। एक बार में 2–3 पौधों का गुच्छा निकालें और उन्हें मुख्य खेत में एक निश्चित दूरी पर रोपें। यह तरीका पौधों को जल्दी जमीन पकड़ने और नए वातावरण में ढलने में मदद करता है।

धान की रोपाई की वैज्ञानिक विधि

धान की रोपाई करते समय लाइन से लाइन की दूरी 20 सेमी और पौध से पौध की दूरी 15 सेमी रखें। एक जगह पर 2–3 पौध लगाएं और उन्हें अधिक गहराई में न रोपें – 2–3 सेमी गहराई पर्याप्त होती है। रोपाई के समय खेत में हल्का पानी बना रहना चाहिए जिससे पौध सूखने न पाए। यह तकनीक पौधों की जड़ वृद्धि को बेहतर बनाती है और बाद में निराई-गुड़ाई व खाद डालना भी आसान होता है।

धान की रोपाई की वैज्ञानिक विधि

रोपाई के बाद देखभाल कैसे करें?

रोपाई के 2–3 दिन बाद पहली सिंचाई करें और खेत में नमी बनाए रखें। नियमित रूप से खरपतवार हटाएं ताकि पोषक तत्वों की होड़ कम हो। 10–12 दिन बाद पहली बार नाइट्रोजन (जैसे यूरिया), फास्फोरस व पोटाश दें। कीट और रोग नियंत्रण के लिए जैविक या उचित रासायनिक उपाय अपनाएं। यदि आपकी धान की नर्सरी जैविक विधियों से तैयार की गई है, तो आगे भी उसी पद्धति को अपनाना बेहतर होता है।

कौन-सी किस्में और सुझाव अपनाएं?

धान की उन्नत किस्मों जैसे Kala Namak Kiran Paddy, IR-64, MTU-1010, Pusa Basmati का चुनाव करें। बेहतर फसल के लिए खेत की मिट्टी की जांच करवाकर उसमें संतुलित उर्वरक मिलाएं। जैविक खाद जैसे वर्मी कम्पोस्ट या Gramik जैसे डिजिटल कृषि प्लेटफॉर्म से मार्गदर्शन लेकर खेत की देखभाल करें। धान की फसल के लिए मौसम, सिंचाई और मिट्टी की स्थिति के अनुसार निर्णय लें।

धान की नर्सरी से मुख्य खेत में रोपाई करना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। समय पर रोपाई, सही विधि, खेत की तैयारी और पौधों की देखभाल से किसान अधिक और बेहतर गुणवत्ता वाली उपज प्राप्त कर सकते हैं।

FAQs

Q. धान की नर्सरी कितने दिन में तैयार होती है?

आमतौर पर 20–25 दिन में पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है।

Q. रोपाई के लिए पौध की लंबाई कितनी होनी चाहिए?

लगभग 12–15 सेमी.

Q. क्या बिना नर्सरी के सीधे बीज बो सकते हैं?

हां, लेकिन उत्पादन कम होता है और पौधों की वृद्धि पर असर पड़ता है।

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