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जहां पहले किसान धान, गेहूं और मोटे अनाजों की पैदावार को अपनी आय का एक मात्र जरिया मानते थे, वहीं आज के समय में किसानों ने इस सोच से आगे बढक़र आलू, टमाटर, बैंगन, मिर्च, तोरई, कद्दू, खीरा आदि जैसी सह फसली खेती को लाखों की कमाई का जरिया बना रहे हैं।
लेकिन ये मुनाफा इस बात पर निर्भर करता है कि आप खेती किस तकनीक से करते हैं। तो चलिए इसी कड़ी में जानते हैं लौकी की खेती की सही विधि।
कद्दू वर्गीय सब्जियों में प्रमुख है लौकी
लौकी सब्जी को सभी कद्दू वर्गीय सब्जियों में प्रमुख माना जाता हैं। लौकी सामान्य तौर पर दो आकार की होती हैं, पहली गोल और दूसरी लंबी लौकी। इन दोनों प्रकार की लौकी का इस्तेमाल सब्जी के अलावा रायता और हलवा जैसी चीजों को बनाने में भी किया जाता हैं। इसकी पत्तिया, तने व गूदे से कई तरह की दवाएं भी बनायी जाती हैं।
साल में तीन बार कर सकते हैं लौकी की खेती
लौकी एक ऐसी सब्जी है, जिसे साप में तीन बार उगाया जा सकता है। जायद, खरीफ व रबी तीनों सीजन में लौकी की फसल उगाई जाती है। जायद की बुवाई मध्य जनवरी, खरीफ मध्य जून से जुलाई के पहले सप्ताह तक और रबी सितंबर अंत से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक लौकी की खेती की जाती है। जायद की अगेती बुवाई के लिए मध्य जनवरी में लौकी की नर्सरी तैयार की जाती है।
लौकी की खेती के लिए उपयुक्त भूमि
लौकी की खेती वैसे तो किसी भी क्षेत्र में सफलतापूर्वक की जा सकती है, लेकिन उचित जल धारण क्षमता वाली जीवाश्म युक्त हल्की दोमट भूमि इसकी सफल खेती के लिए उत्तम मानी गयी है। ध्यान रहे कि लौकी के पौधे के उचित विकास के लिए अच्छी जल निकासी वाली जगह का चयन होना चाहिए, और भूमि का पी.एच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए।
लौकी की खेती के लिए पौधों को कैसे तैयार करें
लौकी की खेती से जल्दी और अच्छी उपज पाने के लिए आप इसके पौधों को नर्सरी में तैयार करके सीधे खेत में लगा सकते हैं। आपको बता दें कि पौधों को खेत में रोपाई से लगभग 20 से 25 दिन पहले तैयार किया जाता है। इसकी नर्सरी तैयार करने के लिए पहले आप जो मिट्टी लेते हैं उसमें 50 प्रतिशत कंपोस्ट खाद और 50 प्रतिशत मिट्टी का प्रयोग करें। खाद एवं मिट्टी दोनों को अच्छे से मिलाकर क्यारियां बनाएं।
इन तैयार क्यारियों में पानी लगाकर लौकी के बीजों को लगभग 4 से.मी. की गहराई पर बोएं, और फिर हल्की सिंचाई करें। लगभग 20 से 25 दिन बाद पौधे खेत में लगाने लायक हो जाते हैं। पौधे स्वस्थ रहें और फसल से अच्छी उपज मिले, इसके लिए नर्सरी में बीज डालने से पहले उन्हें बाविस्टीन से उपचारित कर लें।
लौकी के पौधों की सिंचाई
लौकी की फसल की सिंचाई ऋतु पर निर्भर करती है। जायद सीजन में लौकी की खेती करने पर इसकी एक सिंचाई रोपाई से पहले करें। इसके बाद 4 से 5 दिनों के अंतराल पर फसल की सिंचाई करते रहें। वहीं खरीफ ऋतु में लौकी की फसल की सिंचाई करने की ज़रूरत नहीं होती हैं। हालांकि बारिश न होने पर 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई कर देना चाहिए।
इसके अलावा रबी सीजन में भी लौकी की फसल को ज़्यादा सिंचाई की ज़रूरत नहीं होती है। हालांकि नमी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए जब पौधों पर फल बनने लगे तब हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। इस सीजन में लौकी के पौधों की सिंचाई 15 से 20 दिनों के अन्तराल में नमी के अनुसार कर सकते हैं।
उर्वरक की सही मात्रा
लौकी की फसल के लिए खेत की मिट्टी परीक्षण के आधार पर उवर्रक की सही मात्रा तय करें। इसकी खेती में पहले खेत को तैयार करते समय प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 200 से 250 क्विंटल पुरानी गोबर की खाद डालें। इसके अलावा आप इस फसल में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
लौकी की खेती की सुरक्षा कैसे करें?
लौकी की फसल में रोग लगने का खतरा ज्यादा होता है। इसमें प्रमुख रूप से चुर्णी फफूंदी, उकठा (म्लानि), फल मक्खी और लाल कीड़ा जैसे रोगों व कीटों का प्रकोप हो सकता है। इसके लिए किसान साथी इन कीटों एवं रोगों के प्रति सचेत रहें और ज़रूरत पड़ने पर कृषि विशेषज्ञ की सलाह से कीटनाशक या रासायनिक खाद का प्रयोग करके इनका नियंत्रण करें।
कितने दिन में तैयार होती है लौकी की खेती
लौकी की रोपाई के लगभग 50 से 55 दिन बाद फसल से उपज मिलने लगती है। ध्यान रहे कि फलों की तुड़ाई डंठल के साथ करें, जिससे फल कुछ समय तक ताज़े बने रहेंगे।
लौकी की खेती से उपज की बात करें, तो ये फसल कम खर्च में तैयार होकर अच्छी पैदावार देती है। लौकी की खेती के लिए एक एकड़ में लगभग 15 से 20 हजार की लागत आती है और एक एकड़ में लगभग 70 से 90 क्विंटल लौकी की उपज ली जा सकती है।
FAQs
लौकी की खेती साल में 3 बार यानि जायद, खरीफ, रबी तीनों सीजन में की जाती है।
लौकी कितने दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है?
लौकी की बुआई करने के 55 से 60 दिन के बाद ये तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं। इसके बाद 2- 3 दिन के अंतराल पर इसके फल तोड़े जा सकते हैं।
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