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कृषि एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो दुनिया भर के लोगों को भोजन समेत कई अन्य ज़रूरी चीजें प्रदान करता है। हालांकि, खेती एक चुनौतीपूर्ण और जलवायु की अनिश्चितताओं से भरा व्यवसाय है, ऐसे में कृषि वैज्ञानिक व किसान दोनों इसे आमदनी का अच्छा स्रोत बनाने के लिए प्रयासरत रहते हैं और कुछ न कुछ नए प्रयोग भी करते रहते हैं।
उन्हीं किसानों में से एक हैं छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के रहने वाले डॉ. राजाराम त्रिपाठी, जिन्होंने खेती का ‘नेचुरल ग्रीन हाउस मॉडल’ विकसित किया है जिसकी मदद से किसान अपनी आमदनी में काफी इजाफ़ा कर सकते हैं।
आइए इस ब्लॉग में जानते हैं कि यह मॉडल क्या है और किसानों के लिए फायदेमंद क्यों है!
नेचुरल ग्रीन हाउस मॉडल क्या है?
डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि हमारे देश में लगभग 80 प्रतिशत किसान ऐसे हैं जिनके पास चार एकड़ से कम जमीन है। ऐसे में ये किसान कम से कम जमीन में ज्यादा से ज्यादा उत्पादन कैसे प्राप्त करें, इसको ध्यान में रखते हुए उन्होंने एक नेचुरल ग्रीन हाउस का मॉडल तैयार किया है।
इस मॉडल में पेड़ों की छाया से फसलों को सुरक्षा मिलती है, धूप से बचाव होता है और बीमारियों से भी रक्षा होती है। इस मॉडल को तैयार करने के लिए ऑस्ट्रेलियन टीक का पौधा लगाया जाता है। यह पौधा रेगिस्तान में भी आसानी से उग सकता है और जहां जल की समुचित व्यवस्था है वहां भी। इस विशिष्ट तकनीक का नेशनल पेटेंट भी हासिल किया जा चुका है।
अब नेचुरल ग्रीन हाउस के फायदे के बारे में बात करें, उससे पहले आपको बताते चलें कि ग्रामिक पर आपकी फसल की सुरक्षा के लिए बेहद किफायती मूल्य में उच्च गुणवत्ता वाले कीटनाशक, स्टिकी ट्रैप, और खर- पतवारनाशी आदि उपलब्ध हैं। आप अपनी आवश्यकता के अनुसार ये प्रोडक्टस ऑर्डर कर सकते हैं।
नेचुरल ग्रीन हाउस के फायदे
डॉ. राजाराम त्रिपाठी के अनुसार, नेचुरल ग्रीन हाउस में ऑस्ट्रेलियन टीक का पौधा नाइट्रोजन फिक्सेशन करता है, जो अपने 5 मीटर एरिया में नाइट्रोजन प्रदान करता है। इस मॉडल में जो पेड़ लगाए जाते हैं, वे लगभग 10 प्रतिशत एरिया कवर करते हैं, और बाकी एरिया में इंटरक्रॉपिंग आसानी से की जा सकती है। इंटरक्रॉपिंग करने पर फसलों को अलग से नाइट्रोजन देने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके अलावा, यह मॉडल पर्यावरण को भी सुधारता है।
ग्रीनहाउस में तापमान, नमी, और प्रकाश का नियंत्रण किया जा सकता है। इससे फसल की गुणवत्ता और मात्रा में वृद्धि होती है। इसके अलावा फसलें मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों से सुरक्षित रहती हैं। वहीं खेती करने के लिय ये मॉडल अपनाने पर वातावरण में कीट और बीमारियों का प्रबंधन आसान होता है। आपको बता दें कि ग्रीनहाउस में टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च जैसी सब्जियाँ, गुलाब, गेंदा, और अन्य फूल, स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी जैसी फलियाँ, जड़ी-बूटियाँ जैसे तुलसी, पुदीना आदि फसलों की खेती की जा सकती है।
यहाँ आपको ये भी बताते चलें कि इन सब्जियों के बीज ग्रामिक पर बेहद किफायती मूल्य पर उपलब्ध हैं। आप अभी ऑर्डर कर सकते हैं।
पॉली हाउस से बेहतर है नेचुरल ग्रीन हाउस
डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि आमतौर पर एक एकड़ जमीन में पाली हाउस लगाने के लिए लगभग 40 लाख रुपये की जरूरत पड़ती है, जिसमें नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड 20 लाख रुपये का अनुदान देता है। फिर भी एक एकड़ में पाली हाउस लगाने के लिए किसानों को 20 लाख रुपये की जरूरत पड़ती है। वहीं, पाली हाउस प्लास्टिक और लोहे का बने होने के कारण 7-8 साल में खराब होने लगता है। जबकि नेचुरल ग्रीन हाउस में लगाया गया ऑस्ट्रेलियन टीक का पौधा 8-10 सालों में लगभग 3-4 करोड़ रुपये का हो जाता है, बाकी इसमें उगाई गई अन्य फसलों से भी लाभ मिलता है।
भविष्य की संभावनाएं
डॉ. राजाराम त्रिपाठी का मानना है कि यह मॉडल आने वाले समय में पूरे विश्व के लिए एक उत्कृष्ट मॉडल साबित होगा। नेचुरल ग्रीन हाउस में की गई खेती ऑर्गेनिक होती है और इसका उत्पादन भी ज्यादा होता है। इस प्रकार, डॉ. राजाराम त्रिपाठी का नेचुरल ग्रीन हाउस मॉडल किसानों के लिए एक शानदार अवसर है जिससे वे कम समय में अपनी आय को कई गुना बढ़ा सकते हैं और कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकते हैं।
कृषि के पॉलीहाउस मॉडल से जुड़ी विस्तृत जानकारी के लिए ये ब्लॉग पढ़ें!
FAQs
ग्रीनहाउस एक ऐसा मॉडल है, जिसे पारदर्शी सामग्री से बनाया जाता है, जिससे सूरज की रोशनी अंदर प्रवेश कर सकती है लेकिन गर्मी बाहर नहीं निकल सकती। इसका उपयोग करके एक नियंत्रित वातावरण में फसल का उचित विकास व अधिक पैदावार की संभावना को बढ़ाया जा सकता है।
1- पॉलीहाउस: प्लास्टिक शीट से बनी संरचना।
2- ग्लासहाउस: कांच से बनी संरचना।
3- नेट हाउस: जालीदार संरचना जो सूर्य की तीव्र रोशनी और कीटों से बचाव करती है।
4- हाइड्रोपोनिक्स ग्रीनहाउस: बिना मिट्टी के पौधों की खेती करने की प्रणाली।
जैविक कीटनाशकों का उपयोग, पेस्ट कंट्रोल सिस्टम्स जैसे फ्लाई ट्रैप्स और नेट्स, पौधों की नियमित निगरानी व साफ-सफाई करके ग्रीन्हाउस में कीट नियंत्रण किया जा सकता है।
Content Credit: hindi.krishijagran.com
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