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क्या आपके खेत या होमगार्डन में लगे मिर्च के पौधे अचानक कमजोर या मुरझाए हुए दिखने लगे हैं? मिर्च के पौधों में पीलापन या अन्य समस्याएं आ रही हैं? तो ध्यान दें, ये मिर्च की फसल में कीट या बीमारियों का संकेत हो सकता है।
मिर्च के पौधों में अगर रोग लग जाएं, तो ये पौधे के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इन बीमारियों से न केवल मिर्च के फल-फूल प्रभावित होते हैं, बल्कि गंभीर स्थिति में पूरा पौधा भी मर सकता है।
इस लेख में हम बताएंगे कि मिर्च के पौधों में कौन-कौन से रोग होते हैं, उनके लक्षण और नियंत्रण के उपाय क्या हैं।
पत्ती मरोड़ रोग (लीफ कर्ल रोग)
चिली लीफ कर्ल भारत में मिर्च का एक महत्वपूर्ण रोग है, जो मुख्यतः वायरस के कारण होता है। यह सफेद मक्खी (व्हाइटफ्लाई) द्वारा फैलता है और मिर्च के पौधे की उपज को 50-100% तक कम कर सकता है। पत्ती मरोड़ रोग से संक्रमित मिर्च के पौधे की पत्तियाँ मुड़ी हुई और ऊपर की ओर कर्ल दिखाई देती हैं।
पत्तियों की शिराएं सूजी और मोटी होती हैं, नए पत्ते छोटे और घने होते हैं, और पौधा मुरझा जाता है। चूंकि यह रोग वायरस के कारण होता है, इसलिए इससे बचने के लिए स्वस्थ और संक्रमण रहित मिर्च के बीजों का प्रयोग करें। रोगग्रस्त पौधों को तुरंत हटाकर जला दें और कीट वाहकों को नियंत्रित करने के लिए स्टिकी ट्रैप लगाएं या नीम तेल का छिड़काव करें।
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बैक्टीरियल लीफ स्पॉट
बैक्टीरियल लीफ स्पॉट एक गंभीर जीवाणु जनित रोग है, जो बीज, मृत पौधों और पौधे की शाखाओं के माध्यम से फैलता है और मुख्यतः पुराने पौधों पर दिखाई देता है। इस रोग में पौधे की पत्तियों पर छोटे ब्राउन धब्बे आ जाते हैं, पत्तियों के किनारे सूखने लगते हैं और पीले, पानी से लथपथ घाव दिखने लगते हैं।
इसे नियंत्रित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले तथा उपचारित बीजों का चयन करें, पौधों को उचित दूरी पर लगाएं और रोगग्रस्त पौधों को हटा दें। पौधों की जड़ों पर अच्छी तरह से पानी दें ताकि संक्रमण न फैले।
बैक्टीरियल सॉफ्ट रोट
यह जीवाणु संक्रमण मुख्य रूप से मिर्च की फली को प्रभावित करता है और बरसात के मौसम में अधिक होता है। इस रोग के कारण मिर्च की फली सड़ जाती है और उससे दुर्गंध आने लगती है। इससे बचने के लिए मिर्ची के पौधे की पत्तियों को मिट्टी से स्पर्श न होने दें और नीम तेल या पेस्टिसाइड का उपयोग करें।
मोजेक वायरस
मिर्च मोजेक वायरस एफिड्स और व्हाइटफ्लाईज के कारण फैलता है और पौधे की पत्तियों व तने को प्रभावित करता है। इस रोग से प्रभावित पौधों में पत्तियों पर हरे-पीले धब्बे आते हैं, पत्तियाँ मुड़ जाती हैं और पैदावार कम हो जाती है। इस वायरस से बचने के लिए पौधों को एफिड्स से सुरक्षित रखें, पौधों की प्रूनिंग करें और मोजेक वायरस प्रतिरोधी बीजों का चयन करें।
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विल्ट रोग
विल्ट रोग वाटर मोल्ड के कारण होता है और पौधों में लीफ ब्लाइट, फल व जड़ सड़न जैसी समस्याएं उत्पन्न करता है। इस रोग से प्रभावित पौधों पर ब्राउन या काले धब्बे, फल में खराबी और पौधों का मुरझाना देखा जाता है। इससे बचने के लिए पौधों को अधिक पानी देने से बचें और संक्रमित पौधों को तुरंत हटा दें।
डैम्पिंग ऑफ
यह रोग मिट्टी में अधिक नमी के कारण उत्पन्न फंगस से होता है और बीज सड़ जाते हैं। इसके कारण बीज अंकुरण में रुकावट और अंकुरित पौधे का नष्ट होना देखा जाता है। इससे बचने के लिए मिट्टी को नम रखें, लेकिन ज्यादा गीला न करें, उचित जलनिकास वाली मिट्टी का उपयोग करें और उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें।
ग्रे मोल्ड रोग
ग्रे मोल्ड रोग बोट्रीसिस सिनेरिया नामक कवक के कारण होता है और तनावग्रस्त पौधों पर हमला करता है। इस रोग से प्रभावित पौधों के प्रभावी भागों पर मोल्ड, छोटे काले धब्बे और मिर्च का नरम होना देखा जाता है। इससे बचने के लिए पौधों की मिट्टी में अत्यधिक नमी से बचें, साफ-सफाई रखें और अच्छे वायु परिसंचरण की व्यवस्था करें।
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एन्थ्रेकनोज रोग
एन्थ्रेकनोज रोग कवक संक्रमण के कारण होता है और फलों के आकार, गुणवत्ता और उपज को प्रभावित करता है। इस रोग में मिर्च पर गोलाकार काले धब्बे और फलों का सड़ना देखा जाता है। इससे बचने के लिए मिट्टी को अधिक गीला न होने दें, जैविक कवकनाशी का प्रयोग करें और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में पौधे लगाएं।
मिर्च ब्लाइट रोग
मिर्च ब्लाइट रोग फायटोफ्थोरा कैप्सिकी के कारण होता है और पौधे के लगभग सभी भागों को प्रभावित करता है। इस रोग के कारण बीज अंकुरण में सड़न, तने पर ब्राउन या काले धब्बे, पत्तियों पर पानी के धब्बे और पौधों की ग्रोथ में रुकावट होती है। इससे बचने के लिए पौधों को आवश्यक तापमान व आर्द्रता में रखें, उचित छाया प्रदान करें, साफ-सफाई रखें और मिट्टी को अधिक गीला करने से बचें।
मिर्च की खेती के बारे में विस्तार से जानने के लिए ये ब्लॉग पढ़ें।
FAQ
मिर्च की खेती के लिए गर्म और शुष्क मौसम सबसे अच्छा होता है। इसलिए मिर्च की खेती के लिए गर्मी और बरसात का मौसम उपयुक्त है।
मिर्च की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसमें जल निकास की अच्छी व्यवस्था हो। मिट्टी का पीएच स्तर 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए।
मिर्च के पौधों को प्रतिदिन कम से कम 6-8 घंटे की धूप की आवश्यकता होती है।
मिर्च के पौधों को नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है, विशेषकर प्रारंभिक वृद्धि के दौरान। फूल आने और फल बनने के समय मिट्टी को नम रखें लेकिन जलभराव से बचें।
मिर्च की खेती के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की संतुलित मात्रा आवश्यक होती है। गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट का भी उपयोग किया जा सकता है।
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