मूंगफली की फसल से अच्छा लाभ पाने के लिए किसानों को पारंपरिक तरीकों से हटकर वैज्ञानिक खेती को अपनाना जरूरी है। मूंगफली, जिसे ‘अखरोट की खेती गरीबों के लिए’ कहा जाता है, सही जलवायु, उन्नत किस्में, संतुलित खाद प्रबंधन, सिंचाई व्यवस्था और रोग नियंत्रण के माध्यम से किसानों को अधिक उत्पादन और बेहतर बाजार मूल्य दिला सकती है। आइए जानें कि मूंगफली की फसल से अधिक लाभ कमाने के लिए कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं।
उपयुक्त भूमि और जलवायु की पहचान करें
मूंगफली की खेती के लिए बलुई दोमट और अच्छे जलनिकास वाली भूमि सबसे बेहतर होती है। मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। मूंगफली को गर्म और शुष्क जलवायु पसंद है, इसलिए यह खरीफ और रबी दोनों मौसम में ली जा सकती है। खरीफ में बुवाई जून-जुलाई और रबी में अक्टूबर-नवंबर तक करें।

उन्नत बीज किस्में अपनाएं
उपज बढ़ाने और रोगों से बचाव के लिए मूंगफली की उन्नत किस्में जैसे TG-37A, GG-20, JL-24, ICGV 91114, और Kadiri-6 अपनाएं। बुवाई से पहले बीजों को ट्राइकोडर्मा व राइजोबियम जैव उर्वरकों से उपचारित करने से जड़ गलन व अन्य बीमारियों से सुरक्षा मिलती है।
बुवाई का सही तरीका और समय
बुवाई करते समय बीजों की गहराई 5–6 सेमी से अधिक न रखें। कतार से कतार की दूरी 30 सेमी और पौधों के बीच 10 सेमी रखें। सही समय पर बुवाई करने से अंकुरण अच्छा होता है और फसल की पैदावार में वृद्धि होती है।
खाद और उर्वरक प्रबंधन
मूंगफली में खाद कैसे डालें?
– गोबर खाद: 8–10 टन प्रति एकड़
– डीएपी: 50 किलो प्रति एकड़
– पोटाश: 20 किलो प्रति एकड़
– जिप्सम: फूल आने की अवस्था पर 200 किलो प्रति एकड़
– सूक्ष्म पोषक तत्व: जिंक व बोरॉन का छिड़काव फूल अवस्था में करें।

सिंचाई और जल प्रबंधन
खरीफ में यदि वर्षा पर्याप्त हो तो सिंचाई की जरूरत नहीं, लेकिन सूखे की स्थिति में फूल व फली बनने के समय 2–3 बार हल्की सिंचाई करें। रबी की फसल में हर 10–12 दिन में सिंचाई जरूरी होती है। जलभराव से बचाना अत्यंत आवश्यक है।
रोग व कीट नियंत्रण
सामान्य रोग:
- जड़ गलन, टिक्का रोग, कली झुलसन
- उपचार: कार्बेन्डाजिम या मैनकोजेब का छिड़काव (2 ग्राम/लीटर पानी)
प्रमुख कीट:
- थ्रिप्स, सफेद मक्खी, एफिड
- उपचार: नीम आधारित कीटनाशक या इमिडाक्लोप्रिड का स्प्रे करें।
खरपतवार नियंत्रण
बुवाई के 20 और 40 दिन बाद निराई-गुड़ाई जरूरी है। शुरुआती अवस्था में पेंडिमेथालिन जैसे शाकनाशी का छिड़काव खरपतवार नियंत्रण में सहायक होता है।
कटाई, मड़ाई और भंडारण
जब पत्तियाँ पीली पड़ जाएं और फलियाँ सख्त हो जाएं, तब कटाई करें। कटाई के बाद मूंगफली को 3–4 दिन तक सुखाएं। मड़ाई के बाद बीजों को सूखे और ठंडे स्थान पर स्टोर करें। भंडारण में नमी न हो — इससे बीज खराब नहीं होंगे।

उत्पादन और लाभ कैसे बढ़ाएं?
- एक एकड़ में उन्नत तरीकों से 15–20 क्विंटल तक उत्पादन संभव है।
- मंडी रेट्स पर नजर रखें और फसल को सीधा बेचने के लिए FPOs या किसान मंडियों से जुड़ें।
- कृषि ऐप्स से मौसम और बाजार की जानकारी समय रहते मिलती है।
- फसल बीमा, PMFBY योजना, और सब्सिडी स्कीम्स का लाभ उठाएं।
अगर किसान सही बीज, खाद, सिंचाई, और रोग नियंत्रण को अपनाएं, तो मूंगफली की फसल से अच्छा लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यह न केवल खेती को लाभकारी बनाता है बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत करता है।
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