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Proso Millet: चीना की खेती हो सकती है आमदनी का अच्छा जरिया, जानें पूरी प्रक्रिया!

Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है।

दुनिया भर में एक बार फिर से तमाम पोषण तत्वों से भरपूर चीना जैसे मोटे अनाज का दौर वापस आ रहा है। यही कारण है कि सरकार ने साल 2023 को अर्न्तराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया है। इस मुहिम के तहत पूरे देश में किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

आज हम आपके लिए लाए हैं चीना की खेती (Proso Millet) से जुड़ी जानकारी, जिससे किसानों को 20 गुना से भी ज़्यादा मुनाफा मिल रहा है।

चीना (Proso Millet) की खेती कहां-कहां की जाती है?

चीना एक तरह का मोटा अनाज है, जिसकी खेती 10,000 ईसा पहले से ही भारत, चाइना, मलेशिया समेत कई देशों में की जाती थी। ये फसल अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नाम से जानी जाती है।

जैसे कि तमिलनाडु में इसे पानी वारागु, पंजाब और बंगाल में चीना, महाराष्ट्र में वरी, गुजरात में चेनो, और कर्नाटक में बरागु कहते हैं। भारत में चीना की खेती मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कनार्टक, तमिल नाडु, आंध्र प्रदेश व महाराष्ट्र जैसे राज्यों में की जाती है।

चीना की खेती (Proso Millet) के कब व कैसे करें?

यूं तो चीना की फसल धान की कटाई के बाद भी बोयी जा सकती है, लेकिन आमतौर पर चीना की खेती खरीफ सीजन यानी की जून या इस महीने के बाद की जाती है। हालांकि भारत और दुनिया के कई इलाकों में इसकी बुवाई जून से पहले यानी की गर्मियों के समय में की जाती है, और इसे बारिश के दौरान खेतों से निकाल लिया जाता है।

चीना की फसल बुवाई के 60 से 90 दिनों के अंदर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसकी खेती ऊसर भूमि पर भी आसानी से की जा सकती है। इसके अलावा इसकी खेती में पानी भी बहुत कम लगता है, जिससे कम सिंचाई के दौरान भी इसकी खेती से अच्छी उपज ली जा सकती है।

चीना (Proso Millet) किस तरह प्रयोग में लाया जाता है?

चीना की फसल सांवा जैसी होती है, और यह सांवा, ज्वार, बाजरे, रागी आदि की तरह मोटे अनाज की श्रेणी में आता है। नालन्दा कृषि विज्ञान केंद्र के भोजन विज्ञान एवं पोषण विज्ञानी डॉ ज्योति सिन्हा कहती हैं कि चीना सीधे खाने के बजाय उसका प्रोसेस करके सेवन करना चाहिए।

यानि आप इसका भात, खीर,भूंजा, रोटी आदि बनाकर खा सकते हैं। इसे भिगो कर, सुखा कर या भून कर खा जा सकता है। सात अनाज मिश्रित (multi grain) आटा तैयार करने, मिठाई बनाने आदि में भी चीना का बढ़-चढ़ कर उपयोग में लाया जा रहा है। यही वजह है आज इस फसल की ख़ूब मांग बढ़ी है, और लागत की तुलना में कई गुना मुनाफ़ा कमा रहे हैं।

चीना की फसल (Proso Millet) से होने वाले फ़ायदे

चीना की फसल में लागत नाम मात्र की लगती है। एक  एकड़ में लगभग दो से ढाई हजार रुपये का खर्च आता है, और यदि वर्षा न भी हो, तो भी मात्र दो सिचाई में फसल तैयार हो जाती है। उर्वरक का प्रयोग नहीं भी करने पर अच्छी पैदावार मिलती है।

चीना की खेती करने वाले किसान कहते हैं कि अच्छी फसल होने पर इसकी उपज दर 10 क्विटल प्रति एकड़ तक होती है। और यदि पैदावार सामान्य रही, तो भी सात से आठ क्विटल की उपज मिल जाती है। इन दिनों चीना का बाजार भाव 4800 से पांच हजार रुपये प्रति क्विटल है। 

चीना की फसल न सिर्फ़ आर्थिक लाभ देती है, बल्कि ये स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह कई पोषक तत्वों और फाइबर से भरपूर है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रति सौ ग्राम चीना में प्रोटीन 13.11 ग्राम, फाइबर 11.18 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 66.82 ग्राम और लौह तत्व 7.57 ग्राम पाया जाता है।

चीना (Proso Millet) से होने वाले स्वास्थ्य लाभ की बात करें, तो-

  • डायबिटीज के मरीजों के लिए चीना का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है।
  • चीना का पाचन आसानी से हो जाता है, और ये खून की अच्छी भरपाई करता है।
  • चीना से बना भोजन करने से लंबे समय तक पेट भरा रहता है,जो वजन कम करने में सहायक हो सकता है।
  • जिन लोगों को कांस्टिपेशन की शिकायत होती है, उन्हें भी चीना के सेवन से लाभ मिल सकता है।

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