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नए साल के साथ ही कड़ाके की ठंड पड़नी शुरू हो गई है, साथ ही कोहरे और शीतलहर का भी प्रकोप बढ़ गया है। ठंड का आलम यह है कि दोपहर में भी फसलों के ऊपर ओस की बूंदें दिखाई दे रही हैं। इससे आलू की खेती करने वाले किसानों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि कोहरे से सबसे अधिक नुकसान आलू की फसल को होता है।
आलू की फसल में लग सकता है झुलसा रोग
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो कोहरे और शीतलहर का सबसे ज्यादा असर आलू की फसल पर पड़ता है। ठंड के मौसम में यदि बहुत दिनों तक धूप न निकले, तो ऐसी स्थिति में आलू की फसल में ‘झुलका रोग’ लगने की आशंका बढ़ जाती है।
इससे फसल हफ्ते भर के अंदर ही खराब हो जाती है, किसान साथी सर्दी से फसल को बचाने के लिए इसकी हल्की सिंचाई ज़रूर करें।
कोहरे से आलू की फसल का बचाव करने के लिये किसान साथी खेत के एक छोर पर धुआ करें। धुंआ करने से फसलों के ऊपर ओस का प्रभाव कम हो जाता है, और फसल को नुकसान नहीं पहुंचता है।
कोहरा पड़ने से गेरुई रोग का भी रहता है ख़तरा
अगर गेहूं की बात करें, तो अधिक ठंड पड़ने पर इसमें भी ‘गेरुई रोग’ लगने का खतरा बना रहता है। इस रोग की चपेट में आने पर गेहूं की पत्तियां पीली होने लगती हैं, और धीरे- धीरे फसल का विकास रुक जाता है, जिसका सीधा असर उपज पर पड़ता है। ऐसे में गेरुई रोग से बचाव के लिए गेहूं की फसल की भी समय- समय पर हल्की सिंचाई करते रहें।
मटर व लाही की फसल को भी होता है नुकसान
किसान साथियों, मटर और लाही की फसल को भी कोहरा बहुत नुकसान पहुंचाता है। इसके चलते लाही के फूल झड़ने लगते हैं, और उपज कम जाती है। कोहरे का प्रभाव फसल पर अधिक न हो, इसके लिए लाही की समय पर बुवाई करनी चाहिए, ताकि, कोहरे का मौसम आने से पहले ही लाही में फूल खिल जाएं।
देरी से लाही की बुवाई करने से फसल के कोहरे के चपेट में आने का ख़तरा ज़्यादा हो जाता है। वहीं, पाले से नर्सरी में लगे पौधों को भी काफ़ी नुकसान होता है, इसलिए कोहरा और सर्दी से बचाव के लिए हमेशा नेट हाउस या पॉली हाउस के अंदर ही नर्सरी तैयार करनी चाहिए।
अगर आपकी नर्सरी खेत में है, तो उसे प्लास्टिक से कवर कर दें। इससे तापमान 2 से 3 डिग्री तक बढ़ जाता है, और नर्सरी को नुकसान नहीं होता है।
कोहरे से बचाव के लिए करें ये काम
किसान साथी नर्सरी में लगे पौधों को सर्दी और कोहरा से बचाने के लिए पॉलीथिन की जगह पुआल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान रखें कि पौधों का दक्षिण पूर्वी हिस्सा खुला रहे, ताकि सूरज निकलने पर दोपहर में उसे धूप भी मिल सके।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि कोहरे की वजह से फसलों का विकास रूक जाता है, जिसका असर उसकी उपज पर पड़ता है।अगर कई दिनों तक धूप नहीं निकलती है, तो फसल में कीड़े लगने शुरू हो जाते हैं। ऐसा होने पर फसल को बहुत नुकसान होता है।
यदि बहुत दिनों तक धूप नहीं निकलती है, तो गेहूं भी नीचे से काला पड़ जाता है. यही तापमान बना रहा तो आलू व टमाटर में झुलसा रोग लग जाता है, इसलिए खेत पर धुआ करके और फसल की सिंचाई करके कोहरे से होने वाले नुकसान को रोकना ज़रूरी होता है।
FAQs
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गेहूं फसल के रोग कौन कौन से हैं?
गेहूं की फसल में सबसे ज्यादा रतुआ रोग यानि रस्ट का खतरा होता है।
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कंडुआ रोग क्या होता है?
कंडुआ रोग (False smut) रोग की वजह से फसल उत्पादन पर असर पड़ता है, अनाज का वजन कम हो जाता है और आगे अंकुरण में भी समस्या आती है।
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गेहूं की फसल कितने दिन में तैयार होती है?
गेहूं की फसल लगभग 130-140 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं।
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गेहूं की कटाई कौन से महीने में होती है?
गेहूं की कटाई का वैसे तो कोई तय समय नहीं होता, क्योंकि इसकी बुआई कब और कौन से बीज से की है, उसी पर कटाई का समय निर्भर करता है। आमतौर पर 15 मार्च से 15 अप्रैल के बीच कटाई हो जानी चाहिए।
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