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High Density Planting: बागवानी की हाई डेंसिटी तकनीक क्या है?

Written by Gramik

दोस्तों नमस्कार, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है।

कृषि में बागवानी एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें किसान थोड़ी ज़मीन से भी अच्छी कमाई सकते हैं। बागवानी से कई गुना ज़्यादा मुनाफा पाने के लिए किसानों को सघन बागवानी, यानि कि High Density Planting करनी चाहिए। 

बागवानी की हाई डेंसिटी तकनीक (High Density Planting) क्या है?

बागवानी में हाई डेंसिटी फार्मिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसमें सीमित ज़मीन में ज़्यादा फलदार पौधे लगाकर उससे कई सालों तक लगातार अच्छी गुणवत्ता वाले फलों की उपज ली जा सकती है। हाई डेंसिटी बागवानी में बौनी किस्में लगाई जाती हैं. ताकि कम ज़मीन में अधिक से अधिक पौधे लगाए जा सकें।

इससे सामान्य बागवानी की तुलना में उतनी ही जगह में आम-अमरूद की बागवानी कर तीन से चार गुना अधिक उपज ली जा सकती है। हाई डेंसिटी बागवानी में सबसे ज़रूरी प्रक्रिया होती है किस्मों का चयन करना।

High Density Planting

इस तकनीक में विशेषज्ञ बौनी किस्मों के ही चुनाव की सलाह देते हैं। आम की हाई डेंसिटी बागवानी के लिए अरूणिका, आम्रपाली जैसी क़िस्में बेहतर होती हैं। वहीं, अमरूद की हाई डेंसिटी बागवानी के लिए किसान ललित, इलाहाबाद सफेदा व लखनऊ-49 जैसी क़िस्मों का चुनाव कर सकते हैं। 

बागवानी की हाई डेंसिटी तकनीक (High Density Planting) कैसे काम करती है? 

जब हम आम की सामान्य बागवानी करते हैं, तो पौधे से पौधे की दूरी लगभग 10 मीटर रखते हैं, जिसमें प्रति हेक्टेयर करीब 100 पौधे लग पाते हैं। वहीं आम्रपाली आम की हाई डेंसिटी बागवानी करते समय पौधे से पौधे की बीच की दूरी सिर्फ़ ढ़ाई से 3 मीटर रखी जाती है।

इस तरह एक हेक्टेयर में लगभग 1,333 पौधे आराम से लग सकते हैं। आम्रपाली के अलावा, बाक़ी किस्मों के पौधे 5/5 मीटर की दूरी पर लगाए जाते हैं। इस तरह एक हेक्टेयर में करीब 400 पौधे लगा सकते हैं।

वहीं, यदि आप अमरूद की हाई डेंसिटी बागवानी करना चाहते हैं, तो इसके पौधों को 3 बाय 3 मीटर की दूरी पर लगाएं। इस तरीके से पौधों की रोपाई करने पर एक हेक्टेयर में लगभग 1111 पौधे लग सकते हैं। अमरूद के पौधे लगाने के कुछ समय बाद इन्हें 70 सेंटीमीटर की ऊंचाई से काट दें।

इससे दो-तीन महीने में पौध से चार-छह मजबूत शाखाएं निकलेंगी। अमरूद के पौधे में निकलने वाले नए कल्लों में फल लगते हैं, इसलिए पौधे में नए कल्ले विकसित होना ज़रूरी होता है। इसके लिए साल में तीन बार अमरूद के पौधे की कटाई-छंटाई करते रहें।

पहली कटाई पौधे लगाने के चार-पांच महीने बाद अक्टूबर के महीने में करें। इसमें तीन-चार टहनियों को चुनकर उसे लगभग 50 फीसदी तक काट दें। फिर टहनियों के कटे भाग पर बोर्डो पेस्ट ज़रूर लगाएं। दूसरी कटाई फरवरी में और तीसरी कटाई मई-जून में करें। इस तरह दो साल तक कटाई-छंटाई कर पौधों को अच्छे से विकसित किया जाता है। फिर तीसरे वर्ष से पौधे फल देने लगते हैं।

आम की हाई डेंसिटी बागवानी में अक्टूबर-दिसम्बर के महीने में पौधे की ज़मीन से 60-70 सेंटीमीटर ऊंचाई से कटाई करें। कटाई के बाद मार्च-अप्रैल में तने निकलते हैं। मई के महीने में चारों दिशाओं में चार तनों को छोड़कर बाक़ी सभी को काट दें। फिर इन चार तनों की अक्टूबर-नवंबर में दोबारा से कटाई-छंटाई करे। इस तरह कटाई-छंटाई करके पेड़ के चारों तरफ 3-4 शाखाओं को लगातार बढ़ने देते हैं।

हर साल हाई डेंसिटी बागवानी के लिए पौधे का आकार छोटा रखने की ज़रूरत होती है। इसके लिए समय-समय पर कटाई और छंटाई करते रहें, ताकि पौधों में नई शाखाएं न उगें और वे ज़्यादा से ज़्यादा फल दे सकें। इस विधि में 2 क्यारियों के बीच की खाली ज़मीन पर सूरन और पत्ता गोभी जैसी सब्जियां लगाकर किसान और अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। 

अमरूद एक ऐसा पौधा है, जिससे साल में तीन बार बरसात, सर्दी और बसंत में फलों का उत्पादन लिया जा सकता है। वैसे तो अमरूद की परंपरागत बागवानी में भी 3 साल में फल लगने लगते हैं, लेकिन हाई डेंसिटी में तीसरे साल से ही परंपरागत बागवानी की तुलना में दोगुनी उपज मिलने लगती है। 

परंपरागत तरीके से अमरूद की बागवानी करने पर प्रति हेक्टेयर जहां 15 से 20 टन उपज मिलती है। वहीं सघन बागवानी तकनीक से अमरूद का उत्पादन 30-50 टन प्रति हेक्टेयर तक लिया जा सकता है। वहीं आम की सामान्य बागवानी में एक हेक्टेयर 7 से 8 टन तक की उपज मिलती है, तो हाई डेंसिटी बागवानी में ये उत्पादन बढ़कर 15 से 18 टन तक हो जाता है।

बागवानी की हाई डेंसिटी तकनीक (High Density Planting) किस तरह लाभदायक है?

अगर किसान समय के साथ नई तकनीक और बेहतर विधियों को अपनाकर आम-अमरूद की हाई डेंसिटी तकनीक से रोपाई करेंगे, तो सीमित भूमि में भी खेती से अधिक मुनाफा कमा सकेंगे।

इस तकनीक के लिए सबसे पहले सही स्थान का चयन करें, और 15 जून तक निश्चित दूरी पर गढ्ढे की खुदाई और भराई का काम पूरा कर लें। इसके बाद अच्छी नर्सरी या उद्यान विभाग से आम-अमरूद की अच्छी किस्मों का चुनाव करके जुलाई और अगस्त के महीने में पौधों की रोपाई करें।

दोस्तों, बढ़ती आबादी और घटती ज़मीन के बीच हाइ डेंसिटी बागवानी प्रणाली अपनाकर किसान कम ज़मीन में अच्छी पैदावार ले सकते हैं। आपको हमारा ये ब्लॉग उपयोगी लगा हो, तो अपने सभी जानने वालों के साथ भी शेयर करें।

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