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किसान साथियों, खीरा और ककड़ी दोनों ही कुकुरबिटेसी परिवार से संबंध रखते हैं। खीरा की तरह ही ककड़ी भी देश में बड़े पैमाने पर उगाई जाने वाली फसल है। किसान इसकी खेती नगदी फसल के रूप में करते हैं और अच्छा मुनाफा भी कमाते हैं। इस फसल की खासियत ये है कि इसे भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में उगाया जा सकता है। आप जानते ही होंगे कि ककड़ी को सलाद या सब्ज़ी दोनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
चलिए ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में ककड़ी की खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं-
ककड़ी की खेती के लिए जलवायु व मिट्टी
ककड़ी की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु अच्छी मानी जाती है। इसके पौधे के अच्छे विकास के लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच के तापमान की ज़रूरत होती है। आपको बता दें कि ककड़ी की खेती बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। इस तरह की मिट्टी में ककड़ी की फसल से काफ़ी अच्छी उपज मिलती है। एक और खास बाद कि ककड़ी की खेती के लिए बहुत अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए जलभराव जैसी समस्या से फसल को बचाने के लिए खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था ज़रूर करें।
कैसे करें खेत की जुताई व बुवाई
ककड़ी की खेती के लिए खेतों में 3 से 4 जुताई की आवश्यकता होती है। बुवाई करने से पहले खेत की हल्की सिंचाई करें और नमी वाली मिट्टी में ककड़ी के बीजों की बुवाई करें। मिट्टी में नमी होने से बीजों का अंकुरण और विकास अच्छा होता है।
आपको बता दें कि ककड़ी फसल की बुवाई को कतारों में की जाती है। बुवाई करते समय किसान साथी ध्यान रखें कि कतार से कतार के बीच की दूरी 1.5 से 2 मीटर तक हो। वहीं एक और ज़रूरी बात का ध्यान रखें कि खेत में बीज बोने से पहले उसे मिट्टी जनित रोगों से होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए बविस्टिन से बीजों का उपचार करें।
ककड़ी की फसल में सिंचाई प्रबंधन
ककड़ी की फसल को अन्य फसलों की तुलना में ज़्यादा सिंचाई की ज़रूरत नहीं होती है, क्योंकि इसकी बुवाई फरवरी से मार्च के महीने में की जाती है। इन महीनों में गर्मी अधिक नहीं होती है, इसलिए सिंचाई की ज़रूरत कम पड़ती है। इस तरह किसान साथी नमी को देखते हुए ज़रूरत पड़ने पर ही फसल की सिंचाई करें। वहीं गर्मी में ककड़ी की फसल में 5 से 7 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहें।
ककड़ी की तुड़ाई
बुवाई के 60 से 70 दिन बाद ककड़ी के फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। प्रति हेक्टेयर उपज की बात करें तो ककड़ी की फसल से किसान साथी 200 से 250 क्विंटल तक की उपज ले सकते हैं। ये उपज खेती के तरीके, किस्म, उर्वरक, जलवायु व देखरेख पर निर्भर करती है। ककड़ी के फल जब फल हरे और मुलायम हों, तब ही तुड़ाई कर लें, क्योंकि ज़्यादा देर से तुड़ाई करने पर फल कड़े हो जाएंगे, और बाज़ार में इसका उचित मूल्य नहीं मिलेगा।
FAQ
ककड़ी की खेती हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान और गुजरात में प्रमुख रूप से की जाती है।
ककड़ी के फल 60-70 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
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