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Sesame farming: कैसे करें तिल की खेती। यहाँ जानें पूरी प्रक्रिया।

तिल की खेती
Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है।

तिलहन फसलों में तिल की खेती प्रमुख रूप से की जाती है। इस फसल की खासियत ये है कि इसे कम पानी वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है। तिलहनी फसलों में तिल की खेती करना कई मायने में किसानों के लिए मुनाफे वाला हो सकता है- पहला इसकी फसल को तैयार होने में समय कम लगता है, दूसरा इसमें लागत कम आती है और मुनाफा ज्यादा होता है। तिल की खेती में लागत भी कम आती है और मुनाफा अच्छा खासा हो जाता है। 

तिल की खेती

चलिए ग्रामिक के इस ब्लॉग में तिल की खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं-

तिल की खेती के लिए उचित समय

तिल की खेती करने के लिए सबसे उचित समय मानसून की पहली बारिश के बाद माना जाता है, यानि आप  जुलाई महीने के पहले सप्ताह में इसकी खेती कर सकते है। बुवाई के लिए सही समय का जरूर ध्यान रखें, वरना उपज में कमी आ सकती है।

आपको बता दें कि भारत में तिल की खेती राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना में बड़े पैमाने पर होती है। वहीं इनमें से सबसे अधिक तिल के उत्पादन की बात करें तो ये उत्तर प्रदेश के बुदेलखंड में होता है। 

तिल की खेती के लिए जलवायु व मिट्टी 

तिल के पौधों को उचित विकास के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की जरूरत होती है, इसलिए इसे खरीफ सीजन में उगाया जाता है। वहीं कुछ क्षेत्रों में मार्च अप्रैल के महीने में भी  तिल की खेती की जाती है। इसके लिए सामान्य तापमान उपयुक्त होता है। इसके पौधे 35 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान को आसानी से सहन कर सकते है।

तिल की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी की बात करें, तो इसके लिए दोमट मिट्टी और काली मिट्टी अच्छी मानी जाती है। ध्यान रहे कि खेत में उचित जलनिकास की व्यवस्था होनी चाहिए। मिट्टी के पी.एच मान की बात करें तो ये 6.5 से 7.5 के बीच में होना चाहिए।

तिल की खेती

तिल की खेती करने की पूरी प्रक्रिया 

किसान साथी तिल की खेती के लिए सबसे पहले खेत को तैयार कर लें। इसके लिए भूमि की एक बार गहरी जुताई कर लें। फिर इसमें जरूरत के हिसाब से गोबर की सड़ी हुई खाद डालकर खेत को कुछ समय के लिए खाली छोड़ दें। इसके बाद बुवाई करने से 15 दिन पहले एक बार फिर से खेत की जुताई कर ले, ताकि मिट्टी में पोषण बना रहे। इसके बाद खेत में जलभराव की समस्या को रोकने के लिए मिट्टी को समतल कर लें। 

खेत की तैयारी के बाद अब बारी आती है बीज का चुनाव करने की। इस समय किसान साथी अच्छी किस्म के बीजों का ही चयन करें, ताकि आपको अच्छी उपज मिल सके। ग्रामिक पर उन्नत किस्म के तिल के बीज उपलब्ध हैं, आप ये बीज बेहद किफायती मूल्य पर घर बैठे ऑर्डर कर सकते हैं। अब बीजों की बुआई के लिए आप सीड ड्रिल या छिड़काव विधि अपना सकते हैं। तिल की बुवाई करने के बाद इनका अंकुरण होने में 8 से 10 दिन का समय लगता है। 

तिल की फसल में लगने वाले कीट व रोग

तिल की फसल में लगने वाले कीट व रोग

बालों वाली सुंडी : 

यह कीट तने को छोड़कर पत्तों और पौधे के पूरे भाग को अपना भोजन बनाती है। यदि इसका हमला दिखे तो डाइमैथोएट 20 मि.ली. को 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

फल छेदक : 

नए कीट पत्तों को मोड़ देते हैं और उनको अपना भोजन बनाते हैं। जिससे पौधा शाखाओं का उत्पादन नहीं करता। फूल निकलने की अवस्था में ये फूल से भोजन लेते हैं जिससे पैदावार पर प्रभाव पड़ता है। शुरूआती समय में नीम का घोल 3 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। यदि हमला ज्यादा हो तो डाइमैथोएट 20 मि.ली. को 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें

जड़ गलन : 

प्रभावित जड़ें गहरे भूरे रंग की हो जाती हैं और ज्यादा हमला होने पर पौधा मर भी जाता है। एक ही खेत में एक ही फसल ना बोयें और अंतरफसली अपनायें। बिजाई से पहले कार्बेनडाज़िम 2.5 ग्राम से प्रति किलो बीजों का उपचार करें। कार्बेनडाज़िम 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर मिट्टी में छिड़कें।

तिल की फसल की सिंचाई प्रक्रिया 

जो किसान बारिश के मौसम में तिल की खेती करते हैं, उन्हें फसल में अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है। वहीं जिन क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा नहीं होती हैं, वहाँ तिल की फसल में 5 से 6 दिन के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है।  

तिल की फसल में उर्वरक 

तिल की खेती से अच्छी उपज पाने के लिए फसल में उचित उर्वरक बहुत जरूरी होता है। किसान साथी प्रति हेक्टेयर के अनुपात में सिंचित क्षेत्रों में 40 से 45 किलोग्राम नाइट्रोजन, 25 से 30 किलोग्राम फास्फोरस और 20 किलोग्राम पोटाश का इस्तेमाल करें। वहीं जिन किसानों की फसल वर्षा पर आधारित है, वे इसमें प्रति हेक्टेयर 25 किलोग्राम नाइट्रोजन और 20 किलोग्राम फास्फोरस का प्रयोग करें। 

तिल की खेती में लागत व लाभ 

तिल के बीजों से तेल निकाला जाता है, जिसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने के कारण बाजार में ये काफी अच्छे दामों में बिकता है। 1 हेक्टयर तिल की खेती से उपज की बात करें, तो कुल पैदावार 8 से 10 क्विंटल तक हो सकती है। हालांकि तिल की फसल की उपज इस बात पर भी निर्भर करती है, कि आपने किस किस्म का चुनाव किया है। वहीं इसके बाजार भाव की बात करें तो ये 10 से 12 हजार रुपए प्रति क्विंटल के बीच हो सकता है। 

FAQ

तिल की बुवाई का सही समय क्या है?

तिल की बुवाई का सबसे सही समय जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के मध्य तक का माना जाता है।

तिल की फसल तैयार होने में कितना समय लगता है?

तिल की फसल में फूल आने में लगभग 30-35 दिन का समय लगता है, वहीं फसल पककर तैयार होने में 75-84 दिन लगते हैं।

भारत का सबसे बड़ा तिल उत्पादक राज्य कौन सा है?

भारत में सबसे ज़्यादा तिल उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में उगाया जाता है।

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