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गर्मी की तपिश के बाद अब बारिश का मौसम आ चुका है। ऐसे में किसान खेतों को तैयार कर फसलों की बुवाई शुरू कर सकते हैं। जुलाई में जिन सब्जियों की खेती की जा सकती है, उनमें खीरा, ककड़ी, लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, भिंडी, टमाटर, चौलाई और मूली शामिल हैं।
ये सब्जियां बारिश के मौसम में किसानों के लिए हमेशा लाभकारी साबित होती हैं। कम समय में बेहतर उपज पाने के लिए ग्रामिक के ‘ग्रामिनो’ का उपयोग जरूर करें, जो हर फसल और उसकी हर अवस्था के लिए उपयुक्त है। इस PGR पर आकर्षक छूट पाने के लिए अभी ऑर्डर करें।
करेला की खेती
भारत में करेले का सेवन सब्जी और औषधि के रूप में किया जाता है। इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए भी कई लोग करेले का सेवन करना पसंद करते हैं। बरसात के मौसम में अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में इसकी खेती करना लाभदायक होता है।
एक एकड़ जमीन पर करेले की खेती के लिए 500 ग्राम बीज पर्याप्त होते हैं, लेकिन नर्सरी तैयार करके पौध लगाने पर कम बीज की जरूरत होती है। करेले के बीज ग्रामिक पर उपलब्ध हैं, आप अभी ऑर्डर कर सकते हैं।
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टमाटर की खेती
पिछले दिनों बढ़ती गर्मी के कारण टमाटर की फसलें बड़े पैमाने पर खराब हुई हैं, जिसके कारण बाजार में टमाटर की कीमत 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। बाजार में टमाटर की बढ़ती कीमतों के बीच पॉलीहाउस में टमाटर की खेती मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है। इसके लिए टमाटर के बीज की उन्नत किस्मों की खरीददारी ग्रामिक से कर सकते हैं।
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खीरे की खेती
खीरे की खेती से बेहतर उत्पादन पाने के लिए धूप के साथ-साथ भरपूर पानी की भी जरूरत होती है। किसान इसकी खेती करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं, इसलिए इसकी उन्नत किस्मों की ही बुवाई करें। खीरे के बीज की कई उन्नत किस्में ग्रामिक पर उपलब्ध हैं, आप इन्हें बेहद किफ़ायती मूल्य पर अभी ऑर्डर कर सकते हैं।
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ज्वार की खेती
ज्वार की बुवाई माह के प्रथम पखवाड़े तक पूर्ण कर लें। बुवाई से पूर्व बीज को कार्बेन्डाजिम या एग्रोसन जीएन या कैप्टान आदि से 2-5 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर लेना चाहिए। इसके अतिरिक्त जैव उर्वरक एजोस्पिरिलम एवं पीएसबी से बीज को उपचारित कर 15-20 प्रतिशत अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
ज्वार की बुवाई के लिए 12-15 किलोग्राम बीज/हेक्टेयर पर्याप्त होता है। ज्वार की बुवाई के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी एवं पौधे से पौधे की दूरी 45×15 सेमी रखनी चाहिए। ज्वार के बीज ग्रामिक पर उपलब्ध हैं, आप अभी ऑर्डर कर सकते हैं।
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बाजरा की खेती
बाजरे की बुवाई जुलाई के दूसरे पखवाड़े में करें। एक हेक्टेयर बुवाई के लिए 4-5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है। बाजरे की फसल भारी वर्षा वाले उन क्षेत्रों में अच्छी तरह से उगाई जा सकती है जहां जलभराव न हो। इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
यदि किसी कारणवश बाजरे की बुवाई समय पर न हो सके तो बाजरे की फसल की रोपाई देर से करने की अपेक्षा अधिक लाभदायक होती है। एक हेक्टेयर क्षेत्र में पौध रोपण के लिए 2-2.5 किलोग्राम बीज लगभग 500-600 वर्ग मीटर में जुलाई में बोना चाहिए तथा लगभग 2-3 सप्ताह पुराने पौधे रोपने चाहिए।
जब पौधों को क्यारियों से उखाड़ा जाए तो क्यारियों में नमी बनाए रखना आवश्यक होता है, ताकि जड़ों को नुकसान न पहुंचे। जहां तक संभव हो रोपाई वर्षा के दिनों में करनी चाहिए। बाजरे के बीज ग्रामिक पर उपलब्ध हैं, आप अभी ऑर्डर कर सकते हैं।
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FAQs
जुलाई में खीरा, ककड़ी, लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, भिंडी, टमाटर, चौलाई और मूली जैसी सब्जियों की खेती की जा सकती है।
करेले की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
ज्वार की बुवाई माह के प्रथम पखवाड़े तक पूर्ण कर लेनी चाहिए।
बाजरे की बुवाई जुलाई के दूसरे पखवाड़े में की जाती है।
हाँ, बाजरे की फसल भारी वर्षा वाले उन क्षेत्रों में अच्छी तरह से उगाई जा सकती है जहां जलभराव न हो। इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
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