प्रिय किसान साथियों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है।
आज के लेख में हम भिंडी की फसल के बारे मे बात करने वाले है। जिसमे हम जाननेगे भिंडी के प्रमुख रोग और कीट (bhindi ke pramukh rog aur keet) के बारे में उनकी पहचान के बारे में और उनके निवारक और रासायनिक उपायों के बारे में।
तो चलिए इस लेख में विस्तार से (Details in Hindi) चर्चा करते हैं।
भिंडी के प्रमुख रोग और कीट (Major diseases and pests of okra)
1. भिंडी के प्रमुख रोग (Major diseases of okra)
आर्द्रगलन (Damping off)
- इस रोग का प्रकोप भिंडी पर पर दो तरह से होता है| पहला पौधे का जमीन में बाहर निकलने से पहले एवं दूसरा जमीन की सतह पर स्थित तने का भाग काला पडकर गिर जाता है और बाद में पौधा सुख जाता है। यदि वातावरण में अधिक आर्द्रता होती है तो यह रोग ज्यादा बढ़ता है। तो इसलिए फसल का सही समय पर उपचार करते रहना चाहिए।
आर्द्रगलन का निवारक नियंत्रण
- किसान साथी भिंडी की फसल में अधिक सिंचाई करने से बचें, क्योकि इससे आर्द्रता बढ़ती है।
- जल जमाव का उचित प्रबंध करना चाहिए।
- बुआई से पहले ट्राइकोडर्मा विरडी 4 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के अनुपात में भिंडी के बीज का उपचार ज़रूर करें।
- मिटटी में ट्राइकोडर्मा विरडी का 2 लीटर प्रति एकड़ 200 पानी में मिलाकर मिटटी को भिगो दें।
आर्द्रगलन का रासायनिक नियंत्रण
- रासायनिक उपचार के लिए कार्बेन्डेज़िम 50% डब्लू.पी को 500 ग्राम/एकड़ के हिसाब से 150 लीटर पानी में मिलाकर ड्रेंचिंग करे।
- अगर ज्यादा समस्या हो तो कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% WP को 500 ग्राम/एकड़ के हिसाब से 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव/ड्रेंचिंग करे।
छाछ्या या पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery mildew)
- भिंडी की फसल में इस रोग के कारण पत्तियों या तने पर सफेद चूर्णी लिए हुए धब्बे दिखाई देते है | ज्यादा प्रभावित पौधे की पत्तियाँ पीली पडकर गिर जाती है | इस रोग का यदि वातावरण में अधिक आर्द्रता होती है तो ज्यादा देखने को मिलता है| यह रोग की समस्या सबसे पहले पुरानी पत्तियों पर अधिक देखने को मिलती है।
छाछ्या रोग का निवारक नियंत्रण
- भिंडी की फसल में पाउडरी मिल्ड्यू रोग के नियंत्रण के बैसिलस सबटिलिस 2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे।
पाउडरी मिल्ड्यू का रासायनिक नियंत्रण
- रासायनिक उपचार में हेक्साकोनोजोल 5 प्रतिशत ईसी की 1.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे।
- अगर ज्यादा समस्या हो तो एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% और डिफेनोकोनाज़ोल 11.4% एससी
- 200 मिली /एकड/ 200 लीटर पानी को 500 ग्राम/एकड़ के हिसाब से 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे।
भिंडी का पीला शिरा मोजेक रोग
- भिंडी में इस रोग से पत्तियों की शिराएं पीली व चितकबरी और प्यालेनुमा दिखाई देने लगती है। अगर की बात करे तो फल भी छोटे और कम लगते हैं। भिंडी की फसल में खतरनाक बीमारी विषाणु द्वारा फैलता है,तथा यह रोग सफ़ेद मक्खी कीट से फैलता है।
भिंडी का पीला शिरा मोजेक रोग का निवारक नियंत्रण
- भिंडी की रोधी प्रजाति किस्मो का चयन करें।
- जैसे ही रोग के लक्षण दिखाई दें, किसान साथी रोग लगे पौधों को खेत से बाहर निकाल दें।
- बीज का शोधन फंदीनाशक कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी 3 ग्राम/ किलोग्राम बीज के साथ तथा किसी कीटनाशी जैसे इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल 0.5 मिली/किलोग्राम बीज में मिला कर करना चाहिए।
- रस चूसने वाले कीटों की रोकथाम के लिए येलो स्टिकी ट्रेप 15 ट्रैप / एकड़ का प्रयोग करना चाहिए।
भिंडी के पीला शिरा मोजेक का रासायनिक नियंत्रण
- सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए डाइमिथोएट 30 प्रतिशत ईसी की 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे।
- सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल 0.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे।
2. भिंडी के प्रमुख कीट (Major Pests of Okra)
किसान साथियों, अभी तक आपने इस लेख में प्रमुख रोगों के बारे में जाना, चलिए अब हम आपको भिंडी के प्रमुख कीटों के लक्षण, व नियंत्रण के उपाय बताते हैं।( Major diseases and pests of okra Details in Hindi)
रस चूसक कीट (हरा तेला, माहू एवं सफेद मक्खी)
- रस चूसक कीट पौधे के कोमल भागो जैसे पत्तियों और तने से रस चूस लेते है,जिस कारण पौधे कमजोर हो जाते है और पौधे की बढ़वार रूक जाती है।
रस चूसक कीट का निवारक नियंत्रण
- रस चूसक कीट के नियंत्रण के लिए नीम तेल 2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे।
- रस चूसने वाले कीटों की रोकथाम के लिए येलो स्टिकी ट्रेप 15 ट्रैप / एकड़ का प्रयोग करना चाहिए।
- रस चूसने वाले कीटों की रोकथाम के लिए वर्टिसिलियम लेकानी 2.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे।
रस चूसक कीट का रासायनिक नियंत्रण
- रस चूसक कीट का रासायनिक नियंत्रण करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल 0.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे।
- रासायनिक नियंत्रण हेतु फ्लोनिकामाइड 50 एसजी 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे।
प्ररोह एवं फल छेदक
- भिंडी का यह कीट सबसे ज्यादा वर्षा ऋतु में नुकसान पहुंचाता है। शुरूआती अवस्था में इल्ली कोमल तने में छेद करके खा जाती है और जिससे तना सूख जाता है। यदि फूलों की अवस्था पर आक्रमण होने पर फल लगने के पहले ही फूल गिर जाता है। जब फल अवस्था में यह इल्ली प्रकोप करती है तो फलो में छेदकर गूदे को खा जाती है।
प्ररोह एवं फल छेदक कीट का निवारक नियंत्रण –
- भिंडी की फसल में प्ररोह व फल छेदक कीट के नियंत्रण के लिए 2 मिली नीम तेल को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे।
- प्ररोह एवं फल छेदक कीट का निवारक नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रैप 5 प्रति एकड़ में इनस्टॉल करे।
प्ररोह एवं फल छेदक कीट का रासायनिक नियंत्रण
- प्ररोह एवं फल छेदक कीट के नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी को 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे।
- इसके अलावा प्ररोह व फल छेदक कीट के नियंत्रण के लिए किसान साथी क्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 18.5 एससी को 0.4 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव भी कर सकते हैं।
- किसान साथियों ग्रामिक पर उपलब्ध कुछ उन्नत किस्मों के भिंडी बीज की बात करें तो रैमिक, राधा रानी, मेघा F1, सान्या F1, आइरिस, राधा कृष्णा आदि प्रमुख ब्रांड्स के बीज उपलब्ध हैं।
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