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“ड्रिप सिंचाई खेती: साइंटिफिक तकनीक से किसानों को बड़ी बचत और सब्सिडी का लाभ”

Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है।

विशेषज्ञों का मानना है कि परंपरागत तरीके से खेती करने में भू गर्भ जल का 85% बर्बाद हो जाता है। एक क्विंटल धान की उपज लेने में लगभग ढाई लाख लीटर पानी खर्च होता है। लेकिन एक कारगर तकनीक के जरिए किसान पानी की बर्बादी होने से रोक सकते हैं।

ड्रिप सिंचाई पद्धति यानि drip irrigation. पानी की कमी से जूझ रहे किसानों की सिंचाई की लागत घटाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत ड्रिप विधि से सिंचाई को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे पानी की तो बचत होती ही है, साथ ही सिंचाई में खर्च भी कम आता है।

ड्रिप सिंचाई

ड्रिप विधि से सिंचाई कैसे की जाती है? (Easy steps for drip irrigation)

खेत में टपक विधि का प्रयोग करने पर ऊपर से लगे पाइप में सुराख के जरिए पानी की बूंद बराबर पौधों पर गिरती रहती है। इसके लिए खेत में एक बड़ी टंकी लगाई जाती है। वहीं फव्वारा विधि में मोटर से पानी सप्लाई के जरिए पौधों को फुहारें दी जाती हैं।

ड्रिप सिंचाई से सिंचाई करने में प्रति हेक्टेयर करीब एक लाख 15 हज़ार रुपये तक की लागत आती है। अच्छी बात ये है इसमें सरकार की ओर से 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी दी जाती है।

ड्रिप सिंचाई के लाभ (Benefits of drip irrigation)

  • ड्रिप सिंचाई में फसलों में जल की पहुंच 95 प्रतिशत तक होती है, जबकि पारम्परिक सिंचाई प्रणाली में फसलों में जल की पहुंच लगभग 50 प्रतिशत तक ही होती है।
  • इस सिंचाई विधि में पानी के साथ-साथ उर्वरकों की बर्बादी होने से भी रोका जा सकता है।
  • टपक विधि से सिंचाई की जाने वाली फसल का विकास जल्दी होता है, और उत्पादन भी अच्छा होता है।
  • ये सिंचाई विधि खर-पतवार नियंत्रण में भी लाभदायक होती है, क्योंकि सीमित सतह में नमी होने के कारण खर-पतवार कम उगते हैं।
  • इस सिंचाई विधि में कीटनाशक एवं कवक नाशक दवाओं के धुलने की संभावना कम होती है
  • पारम्परिक सिंचाई की जगह टपक सिंचाई का प्रयोग करके 70 प्रतिशत तक पानी बचाया जा सकता है।
  • इस सिंचाई विधि के ज़रिए बलुई व पहाड़ी जगहों को भी खेती के काम में लाया जा सकता है।
  • ड्रिप सिंचाई में मिट्टी बहने की संभावना बहुत कम होती है, जिससे मृदा संरक्षण को बढ़ावा मिलता है।
  • ड्रिप सिंचाई से खेती करने पर किसानों को सरकार की ओर से अनुदान भी मिलता है। ये अनुदान दर हर राज्य में अलग अलग है।

1 एकड़ ड्रिप सिंचाई में कितना खर्च आता है?

यदि ड्रिप सिंचाई प्रणाली के माध्यम से एक एकड़ खेत की सिंचाई की बात की जाए, तो इसमें 55 हजार रूपये से लेकर 80 हजार रूपये तक की लागत आती है, टपक सिंचाई लागत अलग-अलग कम्पनियों के उपकरण की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।

ड्रिप सिंचाई

बाजार में आपको कई प्रकार के हल्के व भारी गुणवत्ता वाले ब्रांड मिल जायेंगे। अगर आप ड्रिप सिंचाई उपकरण सब्सिडी पर लेंगे, तो आपको ड्रिप सिंचाई किट की कीमत पर सरकार की ओर से 80 से 90 प्रतिशत तक की आर्थिक सहायता भी मिल सकती है।

ड्रिप सिंचाई की फसले (Drip irrigation crops)

ड्रिप सिंचाई विधि का प्रयोग ज्यादातर कतार वाली फसलों, फल, सब्जी, वृक्ष व लता वाली फसलों के लिए किया जाता है। यह विधि लम्बी दूरी वाली फसलों के लिए काफी कारगर मानी जाती है। टपक सिंचाई विधि का प्रयोग सेब, अंगूर, संतरा, नीम्बू, केला, अमरूद, शहतूत, खजूर, अनार, नारियल, बेर, आम, आंवला आदि फसलों के लिए भी किया जा सकता है।

सब्जियों की बात करें तो टमाटर, बैंगन, खीरा, लौकी, कद्दू, फूलगोभी, बन्दगोभी, भिण्डी, आलू, प्याज जैसी फसलों में भी ड्रिप सिंचाई विधि का प्रयोग कर सकते हैं। इसके अलावा कपास, गन्ना, मक्का, मूंगफली, गुलाब एवं रजनीगंधा जैसी फसलों को भी इस विधि द्वारा उगाया जा सकता है।

सिंचाई के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही अन्य योजना :

UP Free Boring Scheme

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