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मक्खन घास की खेती गाय भैंसों में दूध व पशुपालकों की आय दोनों बढ़ाएगी!

मक्खन घास की खेती
Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है।

पश्चिमी उत्तर-प्रदेश के चारा उत्पादक किसानों के लिए मक्खन घास एक जाना-पहचाना नाम है। ये पशुओं में दूध की मात्रा एवं गुणवत्ता बढ़ाता है, यानि फैट प्रतिशत में वृद्धि करता है। पशुओं का पेट भरने के साथ ही मक्खन घास उच्च प्रोटीनयुक्त, रसीली एवं स्वादिष्ट भी होती है।

इसीलिए अब ये पशुपालकों की पहली पसंद बनता जा रहा है। आपको बता दें कि कृषि वैज्ञानिक इससे 10 से 15 फीसदी दूध की मात्रा बढ़ने का दावा करते हैं।

मक्खन घास की खेती

कब करें मक्खन घास की बुआई

मक्खन घास एक चारा फसल है, जिसे एक बार लगाकर कई बार काटा जा सकता है।। ये मैदानी व पहाड़ी इलाकों में बुवाई के लिए उपयुक्त है। इसके साथ ही इस घास की खेती सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है। किसान साथी मक्खन घास की शीतकालीन बुवाई नवंबर से दिसंबर में कर सकते हैं। वहीं ग्रीष्मकालीन चारा फसल के लिए इसे मार्च से अप्रैल के बीच बोया जा सकता है।

4- 6 बार कर सकते हैं कटाई

मक्खन घास के खेत में पहली सिंचाई के बाद निराई करें और प्रति एकड़ आठ किलोग्राम नाइट्रोजन का प्रयोग करें। मक्खन घास के बीज रोपने के बाद प्रति एकड़ की दर से 24 किलोग्राम नाइट्रोजन, 16 किलोग्राम फास्फोरस डालें। कटाई 25 दिन के अंतराल पर बढ़वार के अनुसार की जा सकती है।

प्रत्येक कटाई के बाद प्रति एकड़ की दर से 12 किलोग्राम नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए। आपको बता दें कि एक बार मक्खन खास की खेती करने के बाद इसकी कटाई 5-6 बार की जा सकती है।

मक्खन घास की खेती

मक्खन घास के बीज वजन में हल्के होते हैं। आप अपने खेत के क्षेत्रफल आधार पर बीज की मात्रा निर्धारित कर सकते हैं। वहीं बरसीम के साथ मिलाकर भी इसे बोया जा सकता है। बीजों के अंकुरण के बाद 2-3 सप्ताह में एक सिंचाई की ज़रूरत होती है। इसके बाद 20 दिनों में अंतराल में जरूरत के अनुसार पानी दिया जा सकता है। 

यहां शुरू हुई थी मक्खन घास की खेती

आपको बता दें कि चार साल पहले मक्खन घास की शुरूआत पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों में हुई थी। दो हजार किलो बीज से इसकी खेती की शुरुआत की गई थी और आज अकेले पंजाब में 100 मीट्रिक टन बीज बोया जाता है। मक्खन घास के लाभ को देखते हुए अब बाकी प्रदेशों में भी इसकी खेती खूब बढ़-चढ़कर हो रही है।

नहीं लगते हैं कोई कीट

बरसीम में फरवरी में कीट लगने की समस्या बढ़ जाती है, लेकिन मक्खन घास की खास बात होती है इसमें कोई कीट भी नहीं लगते हैं।

सभी तरह की मिट्टी में हो सकती है खेती

इसकी खेती सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है, जिसका पीएच 6.5 से 7 तक हो। मक्खन ग्रास शीतकालीन चारा फसल है, जिसे घर-घर काटा जा सकता है। यह मैदानी एवं पहाड़ी इलाकों में बुवाई के लिए उपयुक्त है। सभी तरह की मिट्टी में इसकी शीतकालीन बुवाई नवंबर से दिसंबर में की जा सकती है। ग्रीष्मकालीन चारा फसल के लिए इसे मार्च से अप्रैल के बीच बोया जा सकता है।

पशुओं में दुग्ध उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए ग्रामिक दूध सागर खिलाएं

सबसे पहले ‘दूध सागर‘ के उपयोगिता की बात करें तो ये दुधारू पशुओं में दुग्ध उत्पादन क्षमता को बढ़ाने को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसमें आवश्यक विटामिन, एंजाइम, प्रोबायोटिक्स, कैल्शियम, फास्फोरस, जस्ता और अन्य ज़रूरी पोषक तत्वों की सही मात्रा होती है। इसको सूखे पशुचारे के साथ इस्तेमाल करके मवेशी को खिलाया जा सकता है।

मक्खन घास की खेती

पशुओं के विकास, स्वास्थ्य व दुग्ध उत्पादकता को बढ़ाने के उद्देश्य से ग्रामिक पर  ‘दूध सागर’ के साथ ही शक्तिसागर और कैल्शियम जैसे उपयोगी प्रोडक्ट्स भी उपलब्ध हैं। ये उत्पाद विटामिन, एंजाइम, प्रोबायोटिक्स, कैल्शियम, फॉस्फोरस जैसे कई ज़रूरी पोषक तत्वों से निर्मित किए गए हैं, जो पशुओं के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होंगे, और इसका फायदा सीधा पशुपालकों को मिलेगा।

ग्रामिक के ये उपयोगी पशु आहार ऐसे ऑर्डर करें

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FAQ

मक्खन घास की बुवाई कहां की जा सकती है?

मक्खन घास एक चारा फसल है और पहाड़ी व समतल इलाकों में बुवाई के लिए उपयुक्त है।

मक्खन घास की बुवाई कब करें?

समतल क्षेत्रों में मक्खन घास की बुवाई सितंबर से दिसंबर में और पहाड़ी इलाकों में इसकी खेती मार्च से अप्रैल के महीने में की जा सकती है।

मक्खन घास के साथ साथ और कौन सी घास पशुओं के लिए अच्छी होती है?

मक्खन घास के साथ साथ आप अपने दुधारू पशुओं को बरसीम, नेपियर घास, जिरका घास आदि खिला सकते हैं, जो दुग्ध उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए काफ़ी अच्छी मानी हैं। ग्रामिक पर भी कई चारा बीज उपलब्ध हैं, आप इस लिंक पर क्लिक करके अभी ऑर्डर कर सकते हैं।

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