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मेंथा की खेती में खर-पतवार नियंत्रण कैसे करें? जानें उपाय!

मेंथा की खेती
Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है!

मेंथा की खेती किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर की जाती है। बीते कुछ सालों से मेंथा जायद की प्रमुख फसल के रूप में उभर रही है। इसके तेल का उपयोग सुगन्ध के लिए व औषधि बनाने में किया जाता है। इसे तेल, टूथ पेस्ट, माउथ वॉश आदि में भी इस्तेमाल किया जाता है। मेंथा भारत के साथ-साथ थाइलैंड, चीन, अर्जेंनटीना, ब्राज़ील, जापान जैसे देशों में भी उगाया जाता है। 

मेंथा की खेती

चलिए ग्रामिक के इस ब्लॉग में मेंथा की खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं-

मेंथा की फसल में दो प्रकार के खरपतवार उगते हैं। पहला चौड़ी पत्ती के खरपतवार और दूसरा संकरी पत्ती के खरपतवार।

1- चौड़ी पत्ती के खरपतवार 

मेंथा की फसल में उगने वाले वो खर-पतवार जिनकी पत्तियों चौड़ी व जड़ पतली होती हैं, जैसे- बथूआ, खथूआ, कृष्णनील ,तामखा, सत्यानाशी, हिरनखुरी, मकोय, जंगली पालक आदि खरपतवार उगते हैं। इन्हें किसान साथी आसानी से उखाड़ सकते हैं।

2- संकरी पत्ती के खरपतवार 

मेंथा की फसल में उगने वाले वे खर-पतवार, जिनकी पत्तियों संकरी व जड़ मूसलाधार होती हैं। जैसे धान, मकड़ा, झारुआ, दूबघास, गुजघास और गेहूं का मामा आदि। ये खर-पतवार आसानी से नहीं उखड़ते हैं, और यदि ज़बरदस्ती उखाड़े जाते हैं तो इनके साथ बहुत सारी मिट्टी भी जड़ों के साथ निकलती है।

मेंथा की फसल में दो प्रकार के खरपतवार उगते हैं। पहला चौड़ी पत्ती के खरपतवार और दूसरा संकरी पत्ती के खरपतवार।

मेंथा में खरपतवारों का नियंत्रण

  1. निराई-गुड़ाई 

मेंथा की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए किसान साथी निराई-गुड़ाई करते रहें। मेंथा की खेती में 2 से 3 बार निराई-गुड़ाई करें, जिससे आपकी फसल खर-पतवार से मुक्त रह सके। पहली निराई-गुड़ाई मेंथा की बुवाई के एक महीने बाद या मेंथा के पौधे की रोपाई के 15-20 दिन बाद करें। वहीं दूसरी निराई 35 से 40 दिन के बाद और तीसरी निराई ज़रूरत के हिसाब से करें। 

  1. मेंथा में खरपतवार नियंत्रण के लिए रसायन

किसान साथी मेंथा में दो तरीक़े से खरपतवारनाशक दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं।

  • प्री-इमर्जेंट हर्बिसाइड (Pre Emergence Herbicides)

यह वे खरपतवारनाशी होते हैं, जिन्हें मेंथा की फसल में खरपतवार उगने से पहले डाला जाता है। इसमें आप पेन्डामेथीलिन 30% EC-1 लीटर दवा को प्रति एकड़ की दर से मेंथा के पौधे की रोपाई या बुवाई के दो से तीन दिन बाद स्प्रे कर सकते हैं, या बुवाई के तुरंत बाद प्रयोग करके हल्की सिंचाई कर सकते हैं।

  • पोस्ट इमर्जेंट हर्बिसाइड (Post Emergence Herbicides)

संकरी पत्ती के खरपतवार पर नियंत्रण

इस खरपतवारनाशी का प्रयोग मेंथा की फसल में खर पतवार उगने के बाद किया जाता है। इसके लिए आप 

क्विज़लोफ़ॉप इथाइल 5% ईसी को 300-400ml प्रति एकड़ के हिसाब से 150-200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे कर सकते हैं। ये खरपतवारनाशी मेंथा की फसल में उगे हुए संकरी पत्ती वाले खरपतवार को खत्म करने में सहायक होती है, जैसे मकड़ा, झारुआ, दूबघास, गुजघास, गेहूं का मामा और मेंथा में उगा हुआ धान आदि। किसान साथी इस बात का ध्यान रखें कि दवा का छिड़काव करते समय खेत में पर्याप्त नमी हो, इसके अलावा खरपतवार का विकास 3-5 पत्ती तक हुआ हो तो ही इस खरपतवारनाशी का इस्तेमाल करें।

चौड़ी पत्ती के खरपतवार पर नियंत्रण

मेंथा की फसल में चौड़ी पत्ती के खरपतवारों की बात करें, तो इसमें मोथा घास की समस्या ज़्यादा देखी जाती है। इसके अलावा फसल में बथुआ, मकोय, जंगली पालक आदि भी उग सकते हैं। इन सभी खर पतवारों पर नियंत्रण के लिए ऑक्सीफ्लोरफेन 23.5% ईसी 300-400 मि.ली./एकड़ (Oxyfluorfen 23.5% EC 300-400ml/acre) का छिड़काव करें।

FAQ

प्री-इमर्जेंट हर्बिसाइड कब इस्तेमाल किया जाता है?

प्री-इमर्जेंट हर्बिसाइड एक ऐसा खरपतवार नाशी है, जिसका उपयोग फसल में खरपतवार पनपने से पहले किया जाता है। इसके छिड़काव से खेत में खरपतवार का अंकुरण रुक जाता है। 

पोस्ट इमर्जेंट हर्बिसाइड का इस्तेमाल कब होता है?

पोस्ट-इमर्जेंट हर्बिसाइड एक ऐसा खरपतवार नाशी है, जिसका उपयोग फसल में खरपतवार पनपने के बाद किया जाता है। इसके छिड़काव से खेत में उगे खरपतवार नष्ट हो जाते हैं।

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