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Lemon Grass Farming: लेमन ग्रास की खेती कैसे करें? सम्पूर्ण जानकारी!

लेमन ग्रास की खेती
Written by Gramik

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लेमन ग्रास की खेती भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है। इसकी पत्तियों से तेल निकाला जाता है, जिसका इस्तेमाल इत्र, सौंदर्य प्रसाधनों व साबुन बनाने में किया जाता है। इसकी पत्तियों से तेल निकालने के बाद बचे हुए भाग से कागज़ व हरी खाद आदि बनाई जाती है। लेमन ग्रास में सिट्रल नामक तत्व पाए जाने के कारण इसकी पत्तियों से नींबू जैसी खुशबू आती है। नींबू जैसी सुगंध के कारण ही इसकी पत्तियों का प्रयोग चाय में भी किया जाता है।

लेमन ग्रास की खेती

लेमन ग्रास की खेती कहां होती है?

लेमन ग्रास की खेती शुष्क जलवायु में अच्छी होती है। भारत में राजस्थान, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, असम और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसकी खेती प्रमुख रूप से की जाती है। 

लेमन ग्रास की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

लेमन ग्रास की खेती के लिए खेत में उचित जल निकास होना आवश्यक होता है। जल भराव वाली भूमि इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती है, और पौधों के विकास पर असर पड़ सकता है। लेमन ग्रास को बारिश की भी ज़्यादा आवश्यकता नहीं होती है। वहीं पीएच मान की बात करें तो इसकी खेती के लिए भूमि का सामान्य पीएच मान उपयुक्त होता है। लेमन ग्रास को आप किचन गार्डन में भी उगा सकते हैं।

लेमन ग्रास के लिए उपयुक्त जलवायु व तापमान

लेमन ग्रास की खेती के लिए उष्ण व समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त होती है। जिन क्षेत्रों के मौसम में आद्रता अधिक होती है, वहां लेमन ग्रास की खेती के लिए धूप की ज्यादा आवश्यकता होती है। सर्दी के मौसम में यदि पर्याप्त मात्रा में धूप मिलती है, तो इसका विकास अच्छा होता है। लेकिन सर्दियों में पड़ने वाला पाला लेमन ग्रास की खेती के लिए हानिकारक हो सकता है। 

लेमन ग्रास के पौधों को अंकुरित होने के लिए शुरुवाती समय में 20 से 25 डिग्री का तापमान उपयुक्त होता है। अंकुरित होने के बाद ये पौधे अधिकतम 40 डिग्री तापमान को सहन कर सकते हैं, वहीं न्यूनतम तापमान की बात करें तो लेमन ग्रास के अच्छे विकास के लिए 15 डिग्री से कम तापमान नहीं होना चाहिए।

लेमन ग्रास की पौध तैयार करने की विधि

लेमन ग्रास की खेती बीज व कलम दोनों विधि से की जाती है। लेकिन कलम विधि से इसकी खेती करने पर पौधों का विकास अच्छा व जल्दी होता है। रोपाई के लगभग दो महीने पहले नर्सरी में बीज डालकर इसकी पौध तैयार करें।

लेमन ग्रास की एक हेक्टेयर खेती के लिए लगभग 2 से 3 किलो बीज की आवश्यकता होती है, वहीं नर्सरी में पौधा तैयार करने के लिए दो किलो बीज पर्याप्त होता है।

पौधों का विकास अच्छा हो, इसके लिए लेमन ग्रास के बीज को नर्सरी में लगाने से पहले उपचारित कर लें। लेमन ग्रास की नर्सरी डालने के लिए सबसे सही समय मार्च-अप्रैल का महीना माना जाता है। नर्सरी डालने के दो महीने बाद जून-जुलाई में खेत में इन पौधों की रोपाई की जाती है। 

लेमन ग्रास की रोपाई के लिए खेत की तैयारी

एक बार लेमन ग्रास की खेती करने से ये लगभग 5 साल तक चलते हैं। किसान साथी पौधों की रोपाई के समय पहले खेत की अच्छी तरह जुटाई करके मिट्टी को भुरभुरी कर लें। उसके बाद कल्टीवेटर से एक जुताई करके उसमें गोबर की खाद मिलाएं। खाद को मिट्टी में मिलाने के बाद खेत में पाटा चलाकर उसे समतल कर लें, फिर पौधों की रोपाई के लिए  उचित दूरी पर क्यारियां बना लें।

लेमन ग्रास के पौधों की रोपाई का तरीका

नर्सरी में तैयार लेमन ग्रास के पौधों की रोपाई के दौरान हर पंक्ति से पंक्ति से बीच की दूरी एक से डेढ़ फीट होनी चाहिए, और पौधों से पौधों के बीच की दूरी 1 फीट होनी चाहिए। पौधों की रोपाई के समय जमीन की गहराई 3 सेंटीमीटर रखें।

नर्सरी में तैयार पौध के साथ-साथ पुराने पौधों की जड़ों से भी लेमन ग्रास का नया पौधा उगाया जा सकता है। इस तरीके को ‘स्लिप विधि’ कहा जाता है। बारिश के मौसम के साथ-साथ जहां सिंचाई की पर्याप्त सुविधा  हो, वहां लेमन ग्रास की खेती मार्च में भी की जा सकती है। 

लेमन ग्रास की खेती

लेमन ग्रास के पौधों की सिंचाई

गर्मियों में लेमन ग्रास के पौधों की जड़ों में नमी बनाए रखना ज़रूरी होता है। इसलिए पौधों को खेत में लगाने बाद इसकी पहली सिंचाई तुरंत करें, और खेत में नमी बनाए रखने के लिए दो से तीन दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहें।

पौधा विकसित होने के बाद गर्मी के समय सप्ताह में एक बार और सर्दियों के मौसम में 20 दिन के अन्तराल पर इसकी सिंचाई करते रहें। आपको बता दें कि लेमन ग्रास 3 महीने में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है। कटाई के तुरंत बाद पौधों की सिंचाई ज़रूर करें, इससे अगली कटाई के लिए पौधे जल्दी तैयार होते हैं।

लेमन ग्रास के लिए आवश्यक उर्वरक

अन्य फसलों की तरह लेमन ग्रास में भी उर्वरक की आवश्यकता होती है। खेत की तैयारी के समय प्रति एकड़ के हिसाब से इसमें 10 से 12 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद डालें। रासायनिक खाद की बात करें तो दो बोरे एन.पी.के. को प्रति हेक्टेयर के अनुपात में खेत की आखिरी जुताई के समय छिड़काव करें।

इसके अलावा पौधों की हर कटाई के बाद प्रति एकड़ के हिसाब से लगभग 20 से 25 किलो नाइट्रोजन का छिड़काव करें। इससे पौधों पर नई शाखाएं जल्दी निकलेंगी।

लेमन ग्रास में खरपतवार नियंत्रण

लेमन ग्रास में खरपतवार नियंत्रण करने के लिए समय समय पर खेत की निराई-गुड़ाई करते रहें। पौधों को खेत में लगाने के डेढ़-दो महीने तक खरपतवार नियंत्रण का विशेष ध्यान रखें, वरना लेमन ग्रास का विकास प्रभावित हो सकता है।

पौधों की हर कटाई के बाद एक बार गुड़ाई करने से लेमन ग्रास की पत्तियां जल्दी विकसित होती हैं। किसान साथी रासायनिक तरीके से खरपतवार का निस्तारण करने के लिए डायूरान और आक्सीफ्लोरफेन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

लेमन ग्रास में लगने वाले कीट व उनकी रोकथाम

लेमन ग्रास के पौधों में रोग तो कम लगते हैं, लेकिन इनमें कुछ कीटों का प्रकोप ज़्यादा देखा जाता है। यदि समय रहते उनकी रोकथाम का ध्यान रखा जाएगा तो पौधों को हानि नहीं होती है।

लेमन ग्रास में लगने वाले कीट व उनकी रोकथाम

दीमक

लेमन ग्रास के पौधों में वैसे तो दीमक कभी भी लग सकता है, लेकिन पौधों के अंकुरण के समय इसका प्रकोप सबसे ज़्यादा होता है। दीमक लगने पर पौधे मुरझाकर पीले पड़ जाते हैं, और बाद में पौधा सूखकर नष्ट हो जाता है। लेमन ग्रास में दीमक की रोकथाम के लिए पौधों की जड़ों में विशेषज्ञ द्वारा बताई गई मात्रा के अनुसार क्लोरोपाइरीफॉस का छिडकाव करें।

सफ़ेद मक्खी

लेमन ग्रास की खेती में सफ़ेद मक्खी लगने से इसकी पत्तियों को काफ़ी नुक़सान होता है। ये मक्खियां पत्तियों की निचली सतह पर पाई जाती है। ये पत्तियों का रस चूस लेती हैं, जिससे उनका रंग पीला पड़ जाता है, और बाद में वे सूख जाती हैं। लेमन ग्रास में इस कीट के नियंत्रण के लिए पौधों पर थियामेथोक्सम (Thiamethoxam) का छिड़काव कर सकते हैं।

चूहे 

लेमन ग्रास की पत्तियों से नींबू जैसी सुगंध आती है, जिससे चूहे अधिक आकर्षित होते हैं, और वे खेत में बिल बनाकर पौधों की पत्तियों को खाते हैं। जिससे लेमन ग्रास को काफ़ी हानि होती है। खेत में चूहों पर नियंत्रण के लिए जिंक फास्फाइड या बेरियम क्लोराइड का छिड़काव करें।

लेमन ग्रास की कटाई

एक बार लेमन ग्रास की खेती करने पर इससे 5 साल तक उपज ली जा सकती है। पौधों की रोपाई के लगभग 60 से 90 दिन बाद ये पहली कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। किसान साथी यदि लेमन ग्रास की उचित देखभाल करें तो वे साल भर में 4 बार इसकी कटाई कर सकते हैं।

लेमन ग्रास की हर कटाई के बाद इसके पौधों से नए प्ररोह निकलते हैं, जिससे पौधों का अच्छा विकास होता है। पौधों की कटाई के समय ध्यान रखें कि इसकी कटाई जमीन की सतह से 10 से 12 सेंटीमीटर ऊपर से करें। ऐसा करने से लेमन ग्रास में नए प्ररोह जल्दी निकलते हैं, पत्तियां अधिक होने से मुनाफा भी अधिक होता है।

लेमन ग्रास की खेती

FAQ

लेमन ग्रास की खेती कब होती है?

लेमन ग्रास की खेती करने का सबसे अच्छा समय फरवरी से जुलाई के बीच का माना जाता है।

लेमन ग्रास की पहली कटाई कब की जा सकती है?

लेमन ग्रास की रोपाई के 2 से 3 महीने बाद इसकी पहली कटाई की जा सकती है।

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