Informative Tech Technology

Agri Tech: सेंसर डिवाइस तकनीक से खेतों में निगरानी, फसल की छोटी-बड़ी जरूरतों का होगा सही पता

Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है।

पारंपरिक खेती की जगह अब किसान खेती के आधुनिक तरीक़े अपना रहे हैं। वे उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल कर न सिर्फ़ सफल खेती कर रहे हैं बल्कि कम समय में अधिक लाभ भी कमा रहे हैं।

आधुनिक खेती का मतलब कहीं न कहीं कृषि की उन्नत एवं वैज्ञानिक पद्धति से है, जहां आधुनिक कृषि यंत्रों, उन्नत तकनीकों और उन्नत बीजों का प्रयोग कर फसल को अधिक उपजाऊ व खेती की प्रक्रिया को आसान बनाया जाता है। अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे आप घर बैठे अपनी फसल का हाल- चाल जान सकेंगे।

सेंसर डिवाइस तकनीक कहां विकसित की गई है?

बिहार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आधार पर एक ऐसी तकनीक विकसित की गई है, जिससे किसानों को ये पता चल सकेगा कि खेत में कितने पौधे लगे हैं, खेत में नमी कितनी है और पौधे स्वस्थ हैं या नहीं। ये तकनीक बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने ईजाद की है।

ये एक ऐसी तकनीक है, जो जीपीएस व सेंसर के माध्यम से काम करेगी। किसानों के लिए इसे क्रांतिकारी मॉडल बताया जा रहा है क्योंकि इससे वे अपने खेतों की सटीक जानकारी ले सकेंगे, और कोई समस्या आने पर उसका समय रहते उसका समाधान कर सकेंगे।

सेंसर डिवाइस तकनीक विकसित करने में किसका सहयोग रहा?

ये आधुनिक तकनीक विकसित करने में फ्रांस की लिली यूनिवर्सिटी ने डाटा साइंस और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बहुत सहायता की, जिसके कारण इस नई तकनीक का ईजाद संभव हो पाया।

बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक अभी इस नए मॉडल को टेस्ट के स्तर पर लागू कर रहे हैं। अगर इस तकनीक का परिणाम उपयोगी रहा तो इसे आम किसानों के लिए भी लॉन्च कर दिया जाएगा।

किसानों को सेंसर डिवाइस तकनीक से क्या फायदा होगा?

ऐसे समय में जब जलवायु में बदलाव और कीटों के कारण फसल ख़राब होने संभावना अधिक होती है, इसमें ये तकनीक काफ़ी कारगर साबित होगी। इसके ज़रिए किसान जान सकेंगे कि खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी है कि नहीं, तापमान कैसा है, उसमें कोई रोग तो नहीं लग रहा है।

सेंसर डिवाइस तकनीक

इस तरह किसान अपनी फसल की हर ज़रूरत समझकर उचित देखभाल कर सकेंगे। इस तकनीक में इस्तेमाल हुआ सेंसर खेत में नमी और तापमान की जानकारी देगा, जबकि जीपीएस के जरिये पौधों की तस्वीर ली जाएगी। इन तस्वीरों से पता चलेगा कि पौधे की लंबाई क्या है, बढ़वार कितना है और पौधा कितना स्वस्थ है।

इस नई टेक्नोलॉजी की मदद से किसान यह भी जान सकेंगे कि खेत में किस उर्वरक की कितनी आवश्यकता है। साथ ही, अगर फसल में कोई बीमारी लगने की संभावना है, तो किसान को समय रहते इसके बारे में पता चल सकेगा। इससे फसलों के रखरखाव और बीमारी से बचाव में मदद मिलेगी।

सेंसर डिवाइस तकनीक पर क्या है वैज्ञानिकों की राय?

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने फ्रांस के लिली यूनिवर्सिटी के सहयोग से यह नई तकनीक विकसित की है। इसे विकसित करने वाले कृषि वैज्ञानिक कहते हैं, कि जीपीएस और सेंसर पर आधारित यह नई तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित होगी। 

ये थी बिहार में विकसित हुई नई तकनीक की जानकारी। कृषि जगत से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामिक पर आने वाले सभी ब्लॉग पढ़ते रहें।

स्टेकिंग विधि (stecking method) से खेती करके आमदनी बढ़ाने के लिए अभी पढ़ें हमारा पिछला ब्लॉग

Post Views: 5

About the author

Gramik

Leave a Comment