Informative

अब सेब की खेती में भी नंबर 1 बन सकेगा भारत! यहाँ लें सम्पूर्ण जानकारी!

सेब की खेती
Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है। 

यूं तो भारत बागवानी फसलों के उत्पादन में दुनिया में दूसरे पायदान पर आता है, लेकिन भारत की जलवायु अनुकूल न होने के कारण आज भी कुछ फसलें बड़े पैमाने पर उगाना संभव नहीं हो पा रहा है। सेब की खेती भी इन्हीं में से एक है। हालांकि अब श्रीनगर स्थ‍ित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ टेंपरेट हॉर्ट‍िकल्चर ने एक ऐसा फार्मूला तैयार किया है, जिससे सेब की उपज के मामले में भी भारत प्रमुख उत्पादक देशों की बराबरी कर सकेगा। 

सीआईटीएच कैंपस में सेब उगाने की इस नई तकनीक का परीक्षण भी किया गया है, ज‍िसमें भारत को सेब की खेती में 60 टन तक की उपज म‍िली है। बैज्ञानिकों का कहना है कि जल्द ही किसान अपने खेतों में भी सेब की अच्छी उपज ले सकेंगे।  

सेब की खेती

कैसे बढ़ेगा सेब का उत्पादन 

कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने व‍िदेशी क‍िस्मों की उत्पादकता बढ़ाने के ल‍िए देसी प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी व‍िकस‍ित की है, जिससे सेब की खेती में बड़ी क्रांत‍ि आने की संभावना है। सीआईटीएच यानी केंद्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान के डायरेक्टर डॉ. एमके वर्मा ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा  क‍ि सेब की आधुनिक व‍िदेशी क‍िस्मों को ही उगाया जाएगा, बस खेती की तकनीक में कुछ बदलाव किए जाएँगे। आशा है कि जल्द ही ये तकनीक किसानों के साथ भी साझा की जाएगी। 

चलिए फिलहाल आपको सेब की खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं-

सेब की खेती के लिए सही समय व जलवायु 

सेब की खेती के लिए सबसे सही समय जनवरी और फरवरी माना जाता है, वातावरण उपयुक्त होने के कारण पौधों का विकास अच्छा होता है। नर्सरी से पौधे लेते समय ध्यान रखें कि वो कम से कम 1 साल पुराना और स्वस्थ होना चाहिए। सेब की खेती के लिए जलवायु की बात करें तो समसीतोष्ण जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है। सेब की खेती ठंडे क्षेत्रों में ही उपयुक्त होती है। 

इसके अलावा सेब की खेती के लिए 110 से 150 सेंटीमीटर वर्षा वाले क्षेत्र उपयुक्त होते हैं। सेब के पौधों पर फूल आने का समय मार्च व अप्रैल का महीना होता है, लेकिन फूल आने के समय तापमान अधिक होने के कारण फसल पर बुरा प्रभाव पड़ता है। 

सेब की खेती के लिए उपयुक्त भूमि व खेत की तैयारी 

सेब की खेती के लिए उपयुक्त भूमि की बात करें तो सूखी दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी की गहराई 45 सेंटीमीटर होनी चाहिए, और ध्यान रखें कि गहराई में कोई चट्टान या पत्थर ना हो, ताकि पौधों की जड़ें भूमि में फैलकर अच्छे से विकसित हो सकें। पीएच मान की बात करें, तो सेब की खेती के लिए 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए, किसान साथी ध्यान रखें कि खेत में अधिक जलभराव न होने पाए।

सेब खेती के लिए खेत की तैयारी की बात करें तो पौधों की रोपाई से पहले खेत की दो-तीन बार गहरी जुताई कर लें, फिर रोटावेटर से खेत की मिट्टी को भुरभुरी बना लें। इसके बाद पाटा लगाकर खेत की मिट्टी को समतल कर लें, जिससे जल भराव की समस्या न हो। इसके बाद 10 से 15 फीट की दूरी रखते हुए गड्ढे तैयार कर लें।

सेब के पौध की तैयारी व पौधरोपण

सेब के पौधों को बीज व कलम विधि दोनों के ज़रिए तैयार किया जाता है। कलम विधि से पौधे तैयार करने के लिए पुराने पेड़ों की शाखों की ग्राफ्टिंग विधि का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा आप पौधों को किसी भी सरकारी रजिस्टर्ड नर्सरी से भी ले सकते हैं।

सेब के पौधों को लगाने के लिए 15 × 15 या 15 × 20 की दूरी उपयुक्त मानी जाती है।

सेब की खेती

सेब की फसल के लिए ज़रूरी खाद 

सेब के पौधों में प्रति पौधा 10 किलो सड़ी हुई गोबर की खाद एक किलो नीम की खली और 80 ग्राम नाइट्रोजन 35 ग्राम फास्फोरस तथा 720 ग्राम पोटेशियम डालें, और हर साल पौधों की बढ़ने के साथ खाद की मात्रा भी बढ़ाते रहें।

इसके अलावा मिट्टी की आवश्यकता के अनुसार जिंक सल्फेट बोरेंस कैल्शियम सल्फेट जैसे ज़रूरी तत्वों का भी इस्तेमाल करते रहें, इससे फलों और पौधों दोनों का विकास अच्छा होगा। 

सेब के पौधों की सिंचाई

सेब के पौधों की सिंचाई के लिए सबसे अच्छा तरीका  ड्रिप इरिगेशन होता है, जिससे पाइप के सहारे बूंद-बूंद करके हर पौधों को पर्याप्त पानी दिया जा सकता है। हालांकि सामान्य तरीकों से भी सेब के पौधों की सिंचाई की जा सकती है।

इसकी पहली सिंचाई पौधों की रोपाई के तुरंत बाद करें। ठंड में इन पौधों को केवल 2 से 3 सिंचाई की जरूरत होती है, लेकिन गर्मियों में सेब के पौधों को 7 से 8 दिन में एक बार सिंचाई आवश्यकता होती है।

सेब की फसल में खरपतवार व रोग नियंत्रण 

सेब के पौधों के अच्छे विकास के लिए किसान साथी समय समय पर खरपतवार निस्तारण करते रहें। रासायनिक तरीकों के इस्तेमाल के बजाय आप निराई गुड़ाई करके भी खर पतवार नियंत्रण कर सकते हैं।

सेब के पौधों व फलों में कई प्रकार के रोग लगने का खतरा होता है, जो उपज को कम कर सकते हैं। इसलिए कृषि विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार उनका उपचार करते रहें।

सेब की फसल में फल आने का समय व उपज

सेब के पौधे की रोपाई के बाद इसके पेड़ 4 साल में फल देने लगते हैं और 6 साल में ये पूरी तरह से विकसित होकर अधिक मात्रा में उपज देते हैं। आपको बता दें कि सेब के पेड़ में फूल आने के 130 से 140 दिन बाद फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं।

सेब के फलों की तुड़ाई सामान्यत: सितंबर-अक्टूबर महीने में की जाती है। हालांकि ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपने किस तरह की किस्म का चुनाव किया है।

उपज की बात करें तो सेब के एक विकसित पेड़ से लगभग 100 से 180 किलो तक फल लिए जा सकते हैं। 

सेब की खेती

FAQ

भारत में सेब का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है?

भारत में सेब का सबसे अधिक उत्पादन जम्मू कश्मीर में होता है।

दुनिया में सेब का सबसे अधिक उत्पादन किस देश में होता है?

विश्व भर में सबसे अधिक सेब की खेती चीन में की जाती है। सालाना आँकड़े की बात करें तो  चीन में हर साल  करीब 40 मिलियन टन सेब की उपज मिलती है।

बागवानी से संबंधित और भी ब्लॉग पढ़ने के लिए किसान साथी ग्रामिक के website लिंक पर क्लिक करें –
आंवले की बागवानी
कटहल की खेती
पपीता की खेती

https://shop.gramik.in/

Post Views: 28

Share Your Post on Below Plateforms

About the author

Gramik

Leave a Comment

WhatsApp Icon