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Fennel Cultivation: ऐसे करें सौंफ की खेती! रसोई से लेकर रेस्टोरेंट तक, खूब रहती है मांग!

सौंफ की खेती
Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है!

मसाला फसलों में सौंफ एक प्रमुख और सुगंधित मसाला होता है। इसका प्रयोग रसोई में बनने वाले व्यंजनों के साथ-साथ औषधियों में भी किया जाता है। बाज़ार में इसकी बढ़ती हुई मांग को देखते हुए हाल के दिनों में सौंफ की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है। केसर और वेनिला की तरह ही सौंफ भी एक महंगा मसाला है, जिससे किसानों को इस मसाले की खेती से अच्छा मुनाफा हो सकता है। 

सौंफ की खेती

चलिए ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में सौंफ की खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं।

सौंफ की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

सौंफ की खेती करने के लिए आप रेतीली भूमि को छोड़कर किसी भी प्रकार की मिट्टी में इसकी खेती कर सकते हैं। फसल के अच्छे विकास व अच्छी उपज के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.6 से लेकर 8.0 तक उपयुक्त माना जाता है। वहीं सौंफ की फसल के लिए 20 से 30 डिग्री का तापमान आवश्यक होता है।

सौंफ की बुवाई के लिए खेत की तैयारी

सौंफ की बुवाई के पहले खेत की तैयारी करना बहुत ज़रूरी होता है। सबसे पहले किसान साथी खेत की जुताई कर लें। इसके बाद 150 से 200 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। फिर पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरी कर लें। इसके बाद खेत को समतल करके क्यारियां बना लें। वहीं नर्सरी में सौंफ के बीजों की बुवाई करके पौध तैयार कर लें, फिर तैयार खेत में इनकी रोपाई करें।

सौंफ की खेती कब करें

सौंफ की खेती के लिए उपयुक्त मौसम की बात करें तो इसकी खेती खरीफ और रबी दोनों मौसमों में की जा सकती है। खरीफ के सीज़न में इसकी बुआई के लिए जुलाई और रबी में सौंफ की खेती अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के पहले सप्ताह तक की जा सकती है।

ऐसे करें सौंफ की सिंचाई

सौंफ की फसल से अच्छी उपज पाने के लिए इसमें सिंचाई की अहम भूमिका होती है। अगर पहले खेत की मिट्टी या नर्सरी में नमी की मात्रा कम हो तो बीज की बुवाई या पौध की रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई कर दें। इस समय खेत में पानी का बहाव तेज नहीं होना चाहिए, नहीं तो बीज या पौध बहकर क्यारियों के किनारों पर जमा हो सकते हैं। 

किसान साथी पहली सिंचाई के 8-10 दिन बाद दूसरी सिंचाई कर सकते हैं। दो सिंचाई करने के बाद मिट्टी की जल धारण क्षमता, फसल की अवस्था और मौसम को ध्यान में रखते हुए ज़रूरत के अनुसार 10 से 20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहें। आपको बता दें कि सौंफ को औसतन 7 से 9 बार सिंचाई की ज़रूरत पड़ सकती है।

किसान साथी इस फसल में खर-पतवार, रोगों व कीटों का भी विशेष ध्यान रखें। किसी भी तरह की समस्या होने पर आप ग्रामिक से कृषि सलाह लेकर अपनी फसल की सुरक्षा कर सकते हैं। 

सौंफ की कटाई का सही समय

सौंफ की फसल पूरी तरह विकसित होने के बाद जब बीज पूरी तरह पककर सूख जाएं तो किसान साथी गुच्छों के रूप में इसकी कटाई कर लें। कटाई करने के बाद सौंफ के गुच्छों को एक या दो दिन तक धूप में सुखा लें और बीजों का रंग हरा बनाए रखने के लिए इसे 8 से 10 दिन धूप की जगह छाया में सुखाएं। 

सौंफ की खेती

सौंफ की खेती से मुनाफा

अगर किसान साथी एक एकड़ में सौंफ की खेती करते हैं तो इस फसल से औसत मुनाफा 2 लाख रुपए तक का हो सकता है। जितने बड़े क्षेत्र में आप इसकी खेती करेंगे, मुनाफा भी उसी आधार पर होगा। हालांकि फसल की उपज और मुनाफे में आपके द्वारा की गई फसल की देख-भाल की भी बड़ी भूमिका होती है।

FAQ

भारत में सौंफ की खेती कहां होती है? 

सौंफ की खेती देश में मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा, गुजरात एवं मध्यप्रदेश में की जाती है।

सौंफ की फसल कितने दिन में तैयार होती है?

सौंफ की फसल को तैयार होने में औसत समय 140-150 दिनों का लगता है। हालांकि ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपने किस किस्म का चुनाव किया है। 

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