Seeds

मखाना की खेती कैसे करें यहां जानें

Written by Gramik

मखाना अपने बेहतरीन स्वाद के लिए जाना जाता है। दुनियाभर में मखाना की खेती सबसे अधिक भारत में होती है। विश्व का 90 प्रतिशत मखाना भारत में होता है। भारत की बात की जाए तो बिहार में मखाना की खेती सबसे अधिक होती है। 

मखाना  पौष्टिकता से भरपूर फल है। इसका उपयोग मिठाई, नमकीन और खीर बनाने में भी किया जाता है। इसमें मैग्ननेशियम, पोटेशियम, फाइबर, आयरन, जिंक, विटामिन आदि भरपूर मात्रा में होता है। पुरुषों की यौन स्वास्थ्य में मखाना रामबाण दवा की तरह काम करता है। इसका सेवन किडनी और दिल की सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद है। 

मखाने की खेती नकदी फसल के रूप में की जाती है | मखाना मुख्य रूप से पानी की घास में होता है | इसे कुरूपा अखरोट के नाम से भी जानते है | मखाने में पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा पायी जाती है, जो मानव शरीर के लिए अधिक लाभकारी होता है |

इसे खाने में कई तरह से इस्तेमाल में लाते है | मखाने को दूध में भिगोकर खाने के अलावा खीर, मिठाई और नमकीन को बनाने के लिए भी उपयोग में लाते है | मखाने की खेती के लिए जलभराव वाली भूमि की आवश्यकता होती है | इसके पौधों पर कांटेदार पत्ते पाए जाते है, इन्ही पत्तो पर बीजो का विकास होता है | जो विकास के पश्चात तालाब की सतह में चले जाते है |

मखाने की खेती के लिए जरूरी जलवायु

मखाने की खेती जलभराव वाली काली चिकनी मिट्टी में की जाती है, क्योकि इसके पौधों का विकास पानी के अंदर ही होता है | इसलिए मखाने की खेती में तालाब की जरूरत होती है, जिसमे पानी अधिक समय तक एकत्रित रहे | इसका पौधा उष्णकटिबंधीय वाला होता है, तथा सामान्य तापमान पर इसके पौधे ठीक से विकास करते है | 

मखाने की खेती के लिए तालाब की तैयारी

मखाने की खेती के लिए ऑर्गेनिक तरीके का इस्तेमाल किया जाता है | इसकी खेती के लिए तालाब को तैयार किया जाता है, जिसमे सबसे पहले मिट्टी की खुदाई की जाती है, खुदाई के पश्चात उसमे पानी भर दिया जाता है | इसके बाद उस  तालाब में मिट्टी और पानी को मिलाकर कीचड़ को तैयार कर लेते है |

इसी कीचड़ में मखाने के बीजो को लगाया जाता है | इसके बाद तालाब में तक़रीबन 6 से 9 इंच तक पानी की भराई कर दी जाती है | इस तालाब को बीज रोपाई से चार माह पूर्व तैयार करना होता है |

मखाने के बीज रोपण का सही समय और तरीका

मखाने के बीजो की रोपाई तालाब की निचली सतह पर की जाती है | बीज रोपाई से पूर्व तालाब में मौजूद खरपतवार को निकालकर सफाई कर देनी चाहिए | इससे पौधों को आरम्भ में किसी तरह के रोग लगने का खतरा कम हो जाता है |

इसके बाद तालाब में बीजो को 3 से 4 CM की गहराई में निचली सतह मिट्टी में लगाते है | एक हेक्टेयर के खेत में तैयार तालाब में बीज रोपाई के लिए तक़रीबन 80 KG बीजो की आवश्यकता होती है |

इसके बीजो की रोपाई सीधा तालाब में लगाकर और तैयार किये गए पौध के रूप में भी कर सकते है | पौध रोपाई के लिए पौधों को नवंबर और दिसंबर के महीने में तैयार कर लिया जाता है | इसके बाद उन्हें जनवरी और फ़रवरी में माह में लगाना सबसे उपयुक्त होता है |

मखाना की उन्नत किस्में

मखाने की खेती की अधिक पैदावार के लिए अच्छे और उन्नत बीजों का होना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप प्रमाणित बीज का ही उपयोग करें। अभी तक मखाना (Fox Nut) की देसी किस्मों की खेती होती आ रही है। सबौर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा इसके लिए सबौर-1 किस्म विकसित की गई है।

इसकी और भी किस्में है जिसके लिए आप अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र या प्रगतिशील किसानों से एक बार जरूर सलाह लें। इसके लिए दरभंगा में स्थित मखाना अनुसंधान केंद्र से भी सहायता ले सकते है।

मखाने का पौध विकास

इसके पौधे बीज रोपाई से एक से डेढ़ माह पश्चात् कांटेदार पत्तो के रूप में वृद्धि करने लगते है, इन पत्तो से ही पूरा तालाब ढक जाता है | इसके बाद इन्ही पत्तियों पर फूलो का विकास होता है | फूल निकलने के तीन से चार दिन बाद बीज बनना तैयार हो जाते है |

बीज निकलने के दो माह पश्चात् यह पककर तैयार हो जाता है, और पके हुए बीज पत्तियों से अलग होकर पानी की सतह पर तैरने लगते है | यह बीज एक से दो दिन तैरने के बाद पानी के नीचे चले जाते है | किसान भाई इन्हे बाद में पौधों को हटाने के बाद निकालते है |

मखाने के पौधों की देखभाल

मखाने के पौधों की देखभाल के लिए तालाब को अच्छी तरह से जाल से ढक देना चाहिए, इससे पौधों को शांत वातावरण मिल जाता है, और वह अच्छे से विकास करते है | आवारा पशुओ के तालाब में प्रवेश पर भी विशेष ध्यान देना होता है| इसके अलावा तालाब में पानी की मात्रा को बनाये रखने के लिए पानी कम होने पर तालाब में पानी चला दे |

मखाना की खेती में लागत और कमाई

मखाना की खेती में बहुत ही कम लागत आती है। यदि आप खुद इसके बीजों की प्रोसेसिंग करते हैं, तो लागत अधिक आएगी। लेकिन मुनाफा भी अधिक होगा। 

एक एकड़ की मखाना की खेती करके आप 3-4 लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं। बड़ी बात यह है कि मखाना निकालने के बाद स्थानीय बाजारों में इसके कंद और डंठल की भी भारी मांग होती है जिसे किसान बेचकर पैसा कमा सकते हैं।

गौरतलब है कि मखाना पौधे का इस्तेमाल दवा के रूप में भी होता है। इस वजह से इसकी मांग अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी खूब है। कच्चे फल की मांग को देखते हुए किसानों को कहीं भटकना भी नहीं पड़ता बल्कि बाजार में आसानी से बिक जाता है। सरकार भी मखाने की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कई कार्यक्रम चला रही है। जिसमें किसानों की आर्थिक मदद दी जाती है।

Post Views: 33

Share Your Post on Below Plateforms

About the author

Gramik

Leave a Comment

WhatsApp Icon