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कटहल कच्चा हो या पका हुआ, इसको दोनों प्रकार से उपयोगी माना जाता है, इसलिए बाजार में इसकी मांग ज्यादा होती है। इसकी बागवानी भारत के कई राज्यों में होती है। कटहल की खेती करने वाले किसान वर्तमान में इसकी खेती से हर साल मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
विदेशों में इसकी लोकप्रियता देखते हुए अब भारतीय कटहल का निर्यात विदेशों में भी होने लगा है। चलिए आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बताते हैं, कि कैसे आप कटहल की खेती कर सकते हैं, उसका पेड़ कैसे लगाया जाता है-
कटहल की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु, मिट्टी और तापमान (Jackfruit Farming)
कटहल की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना गया है। इसके अलावा इस बात का विशेष ध्यान रखे की भूमि जल-भराव वाली न हो। इसके खेती में भूमि का पी.एच मान 7 के आस-पास होना चाहिए। ये अधिक गर्मी और बारिश के मौसम में आसानी से वृद्धि कर लेते है, किन्तु ठंड में गिरने वाला पाला इसकी फसल के लिए नुकसानदायक होता है।
कटहल का पौधा कैसे तैयार होता है?
बीजों द्वारा उगाये गए पौधों पर 5 से 6 साल का टाइम लग जाता है। उसके लिए आपको पहले पके हुए कटहल से बीज निकालने हैं, और इन्हें मिट्टी में लगा देना है। पौध तैयार करने के लिए आपको गमला या पॉलीथिन बैग लेना है, इसके अंदर 80 प्रतिशत सामान्य मिट्टी और 20 प्रतिशत पुरानी गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिलाकर इसे भर लेना है।
इसके बाद बीज को लगभग दो इंच की गहराई में रोपें। नमी बनाये रखने के लिए इसमें पानी डालते रहें। यह बीज लगभग एक सप्ताह में उगना शुरू हो जाते हैं।
ग्राफ्टिंग विधि द्वारा पौध कैसे तैयार करें?
ग्राफ्टिंग या कटिंग द्वारा कटहल के पौधे पर लगभग तीन से चार साल में फल आना शुरू हो जाते है। इस विधि से पौध तैयार करने के लिए सबसे पहले आपको इसके बीजों द्वारा उगाया गया कटहल का पौधा लेना है, इसके बाद आपको एक बड़े कटहल के पेड़ की कटिंग लेनी है, कटिंग आपको लगभग तीन इंच की लेनी है।
कटिंग को लेने के बाद आपको कटहल के पौधे के तने को बीच में से काटकर उसके अंदर लगभग 3 इंच का चीरा लगाना है। कटिंग को पेना करके चीरा लगे हुए तने के अंदर फंसा दें। इसके बाद आपको इसके ऊपर कसकर टेप या फिर पॉलीथिन बांध देनी है। इसके बाद इसमें से जड़े निकल आती है, उन्हें काट गड्ढे में लगा दिया जाता है।
रोपाई का तरीका एवं समय क्या है?
रोपाई का सही समय जून से सितम्बर का महीना होता है। कटहल के पौधे की रोपाई करने से पहले खेत को तैयार करने के लिए एक गहरी जुताई करने के बाद पाटा चलाकर भूमि को समतल कर लें। समतल भूमि पर 10 से 12 मीटर की दूरी पर 1 मीटर व्यास एवं 1 मीटर गहराई के गड्ढे तैयार करें।
इन सभी गड्ढों में 20 से 25 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद अथवा कम्पोस्ट, 250 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 500 म्युरियेट आफ पोटाश, 1 किलोग्राम नीम की खल्ली तथा 10 ग्राम थाइमेट को मिट्टी में अच्छी प्रकार से मिलाकर भर देना चाहिए। इसके बाद इन गड्ढ़ों में तैयार पौधे की रोपाई कर उंगली से मिट्टी को दबा दें।
देखभाल ज़रूरी है!
कटहल के पौधे की निरंतर सिंचाई करते रहना चाहिए, वहीं खरपतवार नियंत्रण, कीट एवं रोग फल सड़न (गलन) का भी ध्यान रखना चाहिए। वही इसमें बग ,गुलाबी धब्बा जैसे रोग भी लग जाते हैं, जिसका समय समय पर ध्यान रखना होगा। साथ ही इसमें तना छेदक जैसे कीटों का भी नियंत्रण रखना होगा।
कटहल के पेड़ से फल के अलावा ये लाभ भी मिलेंगे-
कटहल के पेड़ पर 12 साल तक अच्छी मात्रा में फल आते हैं। इसके बाद ये फलों की मात्रा कम कर देता है और जैसे-जैसे पेड़ पुराना होने लगता है, पेड़ पर फलों की संख्या कम होने लगती है। इस पेड़ की शाखाएं अधिक फैलती है।
जहां कटहल की खेती की जाती है, वहां पर इसके पेड़ की छाया में इलायची, काली मिर्च आदि चीजों की खेती की जा सकती है। क्योंकि इसके घने पत्तो की वजह से जमीन पर सीधी धूप नहीं पड़ती है।
जिसकी वजह से वह सभी खेती इसकी छाया में की जा सकती है जिन्हें ज्यादा धूप की जरुरत नहीं होती है। कटहल का पेड़ सूखने जब लगता है, तो उसकी लकड़ियों का प्रयोग घरेलू फर्नीचर बनाने के लिए किया जाता है।
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