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फल वृक्षों की बागवानी में अमरूद की बागवानी करना किसानों के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है। इसकी पौष्टिकता को ध्यान मे रखते हुये लोग इसे गरीबों का सेब भी कहते हैं। आपको बता दें कि अमरूद में विटामिन C की भरपूर मात्रा पाई जाती है। अमरूद एक ऐसा फलदार पौधा है, जो हर तरह की मिट्टी में उपजाया जा सकता है, हालांकि बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
अमरूद की बागवानी में हानिकारक कीट और रोकथाम
फल की मक्खी
यह अमरूद का गंभीर कीट है। मादा मक्खी नए फलों के अंदर अंडे देती है। उसके बाद नए कीट फल के गुद्दे को खाते हैं जिससे फल गलना शुरू हो जाता है और गिर जाता है।
यदि बाग में फल की मक्खी का हमला पहले भी होता है तो बारिश के मौसम में फसल को ना बोयें। समय पर तुड़ाई करें। तुड़ाई में देरी ना करें। प्रभावित शाखाओं और फलों को खेत में से बाहर निकालें और नष्ट कर दें। फैनवेलरेट 80 मि.ली को 150 लीटर पानी में मिलाकर फल पकने पर सप्ताह के अंतराल पर स्प्रे करें। फैनवेलरेट की स्प्रे के बाद तीसरे दिन फल की तुड़ाई करें।
मिली बग
ये पौधे के विभिन्न भागों में से रस चूसते हैं जिससे पौधा कमज़ोर हो जाता है। यदि रस चूसने वाले कीटों का हमला दिखे तो क्लोरपाइरीफॉस 20% ई सी 500 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
अमरूद का शाख का कीट
यह नर्सरी का गंभीर कीट है। प्रभावित टहनी सूख जाती है।
यदि इसका हमला दिखे तो क्लोरपाइरीफॉस 20% 500 मि.ली. या क्विनलफॉस 400 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
चेपा
यह अमरूद का गंभीर और आम कीट है। प्रौढ़ और छोटे कीट पौधे में से रस चूसकर उसे कमज़ोर कर देते हैं। गंभीर हमले के कारण पत्ते मुड़ जाते हैं जिससे उनका आकार खराब हो जाता है। ये शहद की बूंद जैसा पदार्थ छोड़ते हैं। जिससे प्रभावित पत्ते पर काले रंग की फंगस विकसित हो जाती है।
यदि इसका हमला दिखे तो डाइमैथोएट 30% 20 मि.ली. या मिथाइल डेमेटान 20 मि.ली. का प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
अमरूद की बागवानी में बीमारियां और रोकथाम
अमरूद की बागवानी में सूखा
यह अमरूद के पौधे को लगने वाली खतरनाक बीमारी है। इसका हमला होने पर बूटे के पत्ते पीले पड़ने और मुरझाने शुरू हो जाते हैं। हमला ज्यादा होने पर पत्ते गिर भी जाते हैं।
इसकी रोकथाम के लिए खेत में पानी इकट्ठा ना होने दें। प्रभावित पौधों को निकालें और दूर ले जाकर नष्ट कर दें। कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 25 ग्राम या कार्बेनडाज़िम 20 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिलाकर मिट्टी के नज़दीक छिड़कें।
एंथ्राक्नोस या मुरझाना
टहनियों पर गहरे भूरे या काले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। फलों पर छोटे, गहरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। संक्रमण के कारण 2 से 3 दिनों में फल गलना शुरू हो जाता है।
खेत को साफ रखें, प्रभावित पौधे के भागों और फलों को नष्ट करें। खेत में पानी ना खड़ा होने दें। छंटाई के बाद mancozeb 70%ग्राम को 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। फल बनने के बाद कप्तान की दोबारा स्प्रे करें और 10-15 दिनों के अंतराल पर फल पकने तक स्प्रे करें। यदि इसका हमला खेत में दिखे तो कॉपर ऑक्सीक्लोराईड 30 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिलाकर प्रभावित वृक्ष पर स्प्रे करें।
FAQs
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अमरूद का पेड़ कितने साल में फल देने लगता है?
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक दो से तीन साल में अमरूद पेड़ों में यह प्रक्रिया अपनाई जाती है, ऐसा होने से पेड़ में अच्छी पैदावार होती है।
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अमरूद के पेड़ की कटिंग कब करनी चाहिए?
अमरूद उत्पादक किसानों के लिए दिसंबर-जनवरी का महीना बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यही वो समय होता है जब अमरूद के पौधों की कटिंग करनी होती है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, इस दौरान पौधों की कटिंग में लापरवाही से किसानों को भारी नुकसान होने की संभावना होती है।
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अमरूद के पेड़ में कौन सी खाद डालें?
अमरूद बगीचे में पौधे की आयु के अनुसार खाद एवं उर्वरक की खुराक देना जरूरी है। 1 से 3 वर्ष आयु के पौधों में गोबर की खाद 10 से 20 किलो, सिंगल सुपर फास्फेट 250 से 750 ग्राम, म्यूरेट ऑफ पोटाश 200 से 400 ग्राम, यूरिया 50 से 250 ग्राम एवं जिंक सल्फेट 25 ग्राम प्रति पौधा डाले।
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अमरूद के पेड़ में फूल कब आते हैं?
यह तकनीक रोग एवं कीटों के प्रकोप को कम करती है तथा शीतकालीन फलत में काफी बढ़वार करती है। इस बहार में अक्टूबर – नवम्बर माह में फूल आते हैं एवं फरवरी – अप्रैल में फल आते हैं, इस मौसम के फलों की गुणवत्ता अच्छी होती है, लेकिन उपज कम होती है।
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1 एकड़ में कितने अमरूद के पेड़ लगाए जा सकते हैं?
यानि एक एकड़ में कुल 110 पौधे लगाए जाते हैं। अमरूदका बाग लगाने के लिए सबसे सही समय है जुलाई, अगस्त सितंबर का महीना। ये तीन महीने बरसात के महीने होने के कारण अमरूद के पौधे के लिए सबसे उपयुक्त समय है। ज्यादातर किसान अमरूद के पौधे इन्हीं दिनों में लगाते हैं।
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