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रबी सीजन की फसलों के बाद किसानों के खेत चार महीने तक खाली रहते हैं, इस बीच किसान अपने खाली खेत में खरबूज-तरबूज की खेती कर लाभ ले सकते हैं। गर्मी के दिनों में खरबूज- तरबूज की मांग भी खूब होती है और खाली पड़ी जमीन का उपयोग भी हो जाएगा।
गर्मी के दिनों में खरबूजे की खेती कर एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन 200 से 250 क्विंटल का उत्पादन मिल जाता है, जिससे किसान इसकी एक बार की फसल से 3 से 4 लाख की कमाई कर अच्छा मुनाफा ले सकते हैं।
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खरबूजे की खेती के उपयुक्त मिट्टी
खरबूजे की खेती के लिए हल्की रेतीली बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। इसकी खेती के लिए भूमि उचित जल निकास वाली होनी चाहिए, क्योंकि जलभराव की स्थिति में इसके पौधों पर रोग लगने का खतरा ज्यादा होता है।
इसकी खेती में भूमि का पी.एच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए। जायद के मौसम को खरबूजे की फसल के लिए अच्छा माना जाता है। इस दौरान पौधों को पर्याप्त मात्रा में गर्म और आद्र जलवायु मिल जाती है। इसके बीजो को अंकुरित होने के लिए शुरुआत में 25 डिग्री तापमान की ज़रूरत होती है, और पौधों के विकास के लिए 35 से 40 डिग्री तापमान जरूरी होता है।
खरबूजे के बीजों की बुवाई का तरीका और सही समय
खरबूजे की खेती फरवरी से मार्च के महीने में की जा सकती है। इसकी खेती बीज और पौध दोनों के माध्यम से की जाती है। एक हेक्टेयर के खेत में लगभग एक से डेढ़ किलो बीज की ज़रूरत होती है। फसल स्वस्थ हो इसके लिए बीज की रोपाई करने से पहले उसे कैप्टान या थीरम से उपचारित कर लें। इससे फसल में रोग लगने का खतरा कम हो जाता है।
बुवाई के समय बीजों के बीच की दूरी दो फीट और गहराई 2 से 3 सेमी रखें। बीज रोपाई के बाद टपक विधि से खेत की सिंचाई करें। इसकी प्रारंभिक सिंचाई बीज रोपाई के तुरंत बाद की जाती है। बाद में सप्ताह में दो सिंचाई की ज़रूरत होती है। बारिश का मौसम हो तो जरूरत के हिसाब से ही सिंचाई करें।
खरबूजे की खेती के लिए खेत की तैयारी एवं उवर्रक
खरबूजे की खेती के लिए सबसे पहले खेत की मिट्टी पलटने वाले हलो से गहरी जुताई कर मिट्टी भुरभुरी कर लें। जुताई के बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही छोड़ दें। इसके बाद खेत में पानी लगाकर पलेवा करें।
पलेवा करने के कुछ दिन बाद कल्टीवेटर लगाकर खेत की दो से तीन तिरछी जुताई करनी चाहिए। मिट्टी भुरभुरी होने के बाद खेत में पाटा चलाकर भूमि को समतल कर लें। इसके बाद खेत में बीज रोपाई के लिए क्यारियां तैयार कर लें।
इसके अलावा बीजों की रोपाई नालियों में करने के लिए भूमि पर एक से डेढ़ फीट चौड़ी और आधी फीट गहरी नालियां तैयार करें। तैयार की गयी इन क्यारियों और नालियों में आप जैविक और रासायनिक खाद का प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए शुरू में प्रति हेक्टेयर खेत में 200 से 250 क्विंटल पुरानी गोबर की खाद डालें।
इसके अलावा रासायनिक खाद के रूप में 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश और 30 किलोग्राम नाइट्रोजन को प्रति हेक्टेयर में तैयार नालियों और क्यारियों में डालें। जब खरबूजे के पौधों पर फूल खिलने लगे, उस समय प्रति हेक्टेयर खेत में 20 किलोग्राम यूरिया का प्रयोग करें।
खरबूजे की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग
मृदुरोमिल आसिता (Downy asita)
यह रोग बारिश में तेजी से फैलता है। इस रोग से पत्तियों पर धब्बे पड़ने लगते हैं, इसके साथ ही पत्तियों की ऊपरी सतह पीली पड़ जाती है।
रोकथाम
इस रोग की रोकथाम के लिए बीज को उपचारित करके बोएं। इसके लिए बीज को कृषि विशेषज्ञ द्वारा सुझाए गए कवकनाशी से उपचारित कर लें। इसके अलावा आप खड़ी फसल में मैंकोजेब का घोल बनाकर भी छिड़काव कर सकते हैं। इसकी मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि आपने कितनी भूमि में खेती की है।
खीरा मोजैक वायरस (Cucumber Mosaic Virus)
इस रोग में पौधों की नई पत्तियों पर छोटे, हल्के पीले धब्बे पड़ने लगते हैं। पत्तियों में सिकुड़न आ जाती है और पौधे छोटे रह जाते हैं।
रोकथाम
इसकी रोकथाम के लिए हर 10 दिन के अंतराल पर फसल में डाईमेथोएट का छिड़काव कर सकते हैं।
खरबूजे की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट
फल मक्खी
फल मक्खी कीट फसल में फूल आने से पहले भूमि और तने पर अण्डा देता है, जिससे सड़न शुरू हो जाती है, और धीरे-धीरे पौधा सूख जाता है। बता दें कि ये कीट फल के जिस हिस्से पर अंडा देता वो हिस्सा खराब हो जाता है।
रोकथाम
इस तरह के कीट पतंगों से खरबूजे की फसल को बचाने के लिए किसान फेरोमेन ट्रैप, सोलर ट्रैप आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो कीटों को नियंत्रित करते हैं। ये ट्रैप ग्रामिक से बहुत ही किफायती मूल्य पर ऑर्डर करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। इसके अलावा मिथाइल इंजीनॉल, सिनट्रोनेला तेल, एसिटिक अम्ल, लेक्टिक एसिड में से किसा एक का घोल तैयार करके फसल पर छिड़काव करें।
लाल पम्पकिन बीटल
इस कीट का प्रकोप जनवरी से मार्च के बीच ज़्यादा देखा जाता है। लाल पम्पकिन बीटल पौधों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है, जिससे पौधा सूखने लगता है। इसके साथ ही पुराने और बड़े पौधे पीले पड़ने लगते हैं, और उनका विकास रुक जाता है।
रोकथाम
इस कीट के प्रकोप में कीड़े को हाथ से पकड़कर मार देना चाहिए। इसके साथ ही ज़रूरत पड़ने पर मैलाथियान चूर्ण, या कार्बारिल चूर्ण में राख मिलाकर फसल में छिड़काव कारें। ध्यान रहे कि इसका छिड़काव सुबह के समय ही करें। इन दवाओं की मात्रा अपने खेत के क्षेत्रफल के अनुसार किसी कृषि विशेषज्ञ की सलाह लेकर ही निर्धारित करें।
FAQs
खरबूजे की खेती फरवरी-मार्च में की जाती है, और इसकी उपज मई से मध्य जुलाई तक मिलती है।
खरबूजे के बीज 8-21 दिनों में अंकुरित हो जाते हैं। मिट्टी जितनी गर्म होगी, बीजों का अंकुरण उतनी ही तेजी से होगा।
जुक्खिनी येलो मोजेक वायरस, कुकुम्बर मोजेक वायरस, लीफ कर्ल वायरस, पपाया रिंग धब्बे वायरस आदि रोग खरबूजे में प्रमुखता से पाए जाते हैं।
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