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Pearl Millet Cultivation: बाजरा की खेती की सम्पूर्ण जानकारी!

बाजरा की खेती
Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है!

बाजरा एक प्रमुख अनाज फसल है जिसे भारत में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। यह फसल खासतौर पर शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होती है। बाजरा में पोषण तत्वों की भरमार होती है और यह हमारे आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ग्रामिक के इस ब्लॉग में हम बाजरा की खेती की सम्पूर्ण जानकारी देंगे, जिसमें उसकी किस्में, बुवाई की विधि, सिंचाई, उर्वरक प्रबंधन, प्रमुख कीट और रोग आदि शामिल हैं।

बाजरा की खेती

बाजरा की प्रमुख किस्में

बाजरा की कई किस्में ग्रामिक पर उपलब्ध हैं, जो विभिन्न जलवायु और मिट्टी के प्रकारों के अनुसार उपयुक्त होती हैं। आप बेहद किफायती मूल्य में घर बैठे ऑर्डर कर सकते हैं।

जलवायु और मिट्टी

बाजरा की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु उपयुक्त होती है। 25-30°C का तापमान इसके लिए सबसे अच्छा माना जाता है। बाजरा विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। वहीं तापमान की बात करें तो बाजरे के पौधे को अंकुरित होने के लिए 25 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है। जबकि बड़ा होने के लिए 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है. लेकिन 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी इसका पौधा अच्छी पैदावार दे सकता है।

बुवाई की विधि

बाजरा की बुवाई मानसून के आरंभ में की जाती है, ताकि पौधों को पर्याप्त नमी मिल सके। बाजरा की बुवाई के लिए जून के अंत से जुलाई के मध्य तक का समय सबसे उपयुक्त होता है। बीज की मात्रा की बात करें तो प्रति हेक्टेयर 4-5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

अच्छी उपज के लिए बुवाई से पहले बीजों को 2 ग्राम थायरम या कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करना चाहिए, और बीजों को 2-3 सेमी की गहराई पर बोना चाहिए। कतारों की दूरी की बात करें तो कतार से कतार की दूरी 45 सेमी और पौधों के बीच की दूरी 10-15 सेमी रखनी चाहिए।

बाजरा की खेती

सिंचाई प्रबंधन

बाजरा एक शुष्क क्षेत्र की फसल है और सामान्यतः वर्षा पर निर्भर होती है। लेकिन अगर बारिश कम होती है तो पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद करें। दूसरी सिंचाई फूल आने के समय और तीसरी सिंचाई दाने भरने के समय करें।

उर्वरक प्रबंधन

बाजरा की अच्छी उपज के लिए उर्वरकों का सही मात्रा में प्रयोग आवश्यक है। इसके लिए फसल में नाइट्रोजन (N): 60 किग्रा/हेक्टेयर, फॉस्फोरस (P): 30 किग्रा/हेक्टेयर, और पोटाश (K): 20 किग्रा/हेक्टेयर का प्रयोग करें। ध्यान रहे कि इन उर्वरकों का प्रयोग दो किस्तों में किया जाता है, आधी मात्रा बुवाई के समय और शेष आधी मात्रा पहली सिंचाई के समय।

प्रमुख कीट और उनके नियंत्रण के उपाय

बाजरा की फसल को कई प्रकार के कीट नुकसान पहुंचा सकते हैं। 

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तना छेदक (Stem Borer)

तना छेदक पौधे के तने में छेद कर देता है जिससे पौधा कमजोर हो जाता है। इसके नियंत्रण के लिए कार्बोफ्यूरान 3% जी (20 किग्रा/हेक्टेयर) का प्रयोग करें।

बालदार सूंडी (Hairy Caterpillar)

बालदार सूंडी  पत्तियों को खाकर नुकसान पहुंचाती है। इसके नियंत्रण के लिए 0.1% मेलाथियॉन का छिड़काव करें।

जस्सिड (Jassid)

इसके प्रकोप से  पत्तियों पर पीले धब्बे बनने लगते हैं और किनारे सूखने लगते हैं। नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल का छिड़काव करें।

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प्रमुख रोग और उनके नियंत्रण के उपाय

बाजरा की फसल को कई प्रकार के रोग भी प्रभावित करते हैं। चलिए कुछ प्रमुख रोग और उनके नियंत्रण के उपाय जानते हैं।

अरगट रोग (Ergot Disease)

इसका लक्षण है बालियों में काले और चिपचिपे दानों का विकास होना। नियंत्रण के लिए बुवाई के समय बीजों का उपचार और प्रोपिकोनाजोल 25% ईसी का छिड़काव करें।

जड़ गलन (Root Rot)

जड़ गलन होने पर पौधे की जड़ें सड़ जाती हैं जिससे पौधा सूख जाता है। इसके नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी का छिड़काव करें।

कवक जनित रोग (Fungal Disease)

ये रोग होने पर पत्तियों पर धब्बे होने लगते हैं और पत्तियों झुलसने लगती हैं। इसके नियंत्रण के लिए मैंकोजेब 75% डब्ल्यूपी का छिड़काव करें।

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फसल प्रबंधन

बाजरे के खेत में निराई-गुड़ाई की बात करें तो फसल के शुरुआती 20-25 दिनों में दो बार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। वहीं फसल की कटाई तब करें जब बालियां पूरी तरह से पक जाएं और दाने कठोर हो जाएं। आपको बता दें कि बाजरा की फसल सामान्यतः 80-85 दिनों में तैयार होती है। वहीं भंडारण के लिए कटाई के बाद दानों को अच्छी तरह सुखा लें और उन्हें साफ-सुथरे स्थान पर स्टोर करें।

आर्थिक लाभ

बाजरा की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी व्यवसाय हो सकती है। यह कम लागत में उच्च उत्पादन देती है और इसमें पोषण तत्वों की भी भरमार होती है। इसके दाने और भूसे दोनों का बाजार में अच्छा मूल्य मिलता है।

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FAQ

भारत के किन राज्यों में बाजरा की खेती प्रमुखता से की जाती है?

भारत में बाजरा की खेती प्रमुख रूप से हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में की जाती है।

बाजरा की फसल में कितनी सिंचाई की जरूरत होती है?

बाजरा सामान्य तौर पर वर्षा पर आधारित फसल है, हालांकि बारिश न होनी की स्थिति में 3- 4 सिंचाई पर्याप्त होती है।

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