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भारत के मसाले पूरी दुनिया में लोकप्रिय हैं। कई राज्यों में अलग-अलग मसालों की खेती होती है। इन सबके बीच किसान इलायची की खेती करके अच्छा लाभ उठा सकते हैं। इलायची का इस्तेमाल भोजन, मिठाई, कन्फेक्शनरी व पेय पदार्थों में किया जाता है। बाज़ार में इलायची की अच्छी कीमत मिलती है, जिससे इसकी खेती करके किसान साथी काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
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चलिए ग्रामिक के इस ब्लॉग में इलायची की खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं।
इलायची की प्रमुख किस्में
इलायची दो प्रकार की होती है। एक हरी यानि छोटी इलायची और दूसरी भूरी यानि बड़ी इलायची होती है। भारतीय व्यंजनों में बड़ी इलायची का है। इसका प्रयोग मसालेदार खाने को और अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है।
वहीं छोटी इलायची का प्रयोग मुखशुद्धि के लिए पान मसाले के तौर पर किया जाता है। इस इलायची का प्रयोग चाय बनाने में भी होता है। इस कारण दोनों प्रकार की इलायची की मांग बाजार में खूब होती है।
इलायची की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु
इलायची की खेती करने के लिए लाल दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। हालांकि अन्य मिट्टी में भी खाद व उर्वरकों का प्रयोग करके इसे आसानी से उगाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए भूमि का पीएच मान 5 से लेकर 7.5 तक होना चाहिए।
वहीं जलवायु की बात करें तो इलायची की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु बेहतर होती है। आपको बता दें कि इलायची की फसल से अच्छी उपज के लिए 10 डिग्री से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त होता है।
इलायची की खेती करने का तरीक़ा
इलायची की खेती करने से पहले खेत की तैयारी कर लें। इसके लिए सबसे पहले आपको खेत की जुताई करके उसे समतल कर लें। खेत की मेड़ अच्छी तरह बना लें, ताकि बारिश के मौसम में खेत का पानी बाहर न जाए। इसके अलावा पौधों की रोपाई करने से पहले एक बार रोटावेटर से खेत की जुताई कर दें।
खेत की मेड़ पर आप इलायची के पौधे लगाने के लिए मेड़ से मेड़ की दूरी 1 से 2 फीट रखें, और पौधे लगाने के लिए बनाए गए गड्ढे में ज़रूरत के हिसाब से गोबर की खाद व उर्वरक डालें। बता दें कि इलायची के पौधों को गड्ढों में लगाने के लिए 2 से 3 फीट की दूरी रखकर पौधा लगाना चाहिए।
इलायची के पौधों की नर्सरी
इलायची के पौधों को खेत में लगाने से पहले इसे नर्सरी में तैयार किया जाता है। इसके लिए नर्सरी में 10 सेंटीमीटर की दूरी पर इलायची के बीज की बुवाई करें। आपको बता दें कि एक हैक्टेयर में नर्सरी तैयार करने के लिए एक किलो इलायची का बीज पर्याप्त रहता है। जब इलायची के बीज का अंकुरण होने लगे, तो सूखी घास से अंकुरित पौधों को ढक दें।
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इलायची की रोपाई का सही समय
जब इलायची के पौधों की लंबाई एक फीट हो जाए, तो आप खेत में उसकी रोपाई कर सकते हैं। इलायची के पौधों की रोपाई के लिए बारिश का मौसम उपयुक्त होता है, इसलिए जुलाई महीने में इसकी खेती की जा सकती है।
इलायची के पौधों को गड्ढों या मेड़ पर लगाते समय पौधे से पौधे की बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। ध्यान रहे कि इलायची के पौधे हमेशा छाया में ही लगाएं, क्योंकि सूर्य की अधिक रोशनी और गर्मी से इसका विकास प्रभावित हो सकता है।
इलायची की फसल में सिंचाई
यदि आप इलायची के पौधों की रोपाई बारिश के मौसम में करते हैं, तो इसमें सिंचाई की ज़रूरत कम पड़ती है। वहीं अगर बारिश कम हो तो इलायची के पौधे की पहली सिंचाई पौधे लगाने के तुरंत बाद करनी चाहिए। इसके बाद ज़रूरत के हिसाब से सिंचाई करते रहें।
वहीं गर्मी के मौसम में इसकी पर्याप्त सिंचाई की व्यवस्था करनी चाहिए। खेत में आवश्यक नमी बनाए रखने के लिए 10 से 15 दिन के बाद इसकी आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहना चाहिए। सिंचाई के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि खेत में जलभराव ज़्यादा न हो, इसलिए खेत में जल निकास की उचित व्यवस्था करें।
इलायची की खेती में उर्वरक
इलायची के पौधों को खेत में लगाने से पहले गड्ढों में या मेड़ पर प्रति पौधा 10 किलो के हिसाब से पुरानी गोबर की खाद और एक किली वर्मी कम्पोस्ट डालें। इसके अलावा दो से तीन साल तक नीम की खली व मुर्गी की खाद डालने पर इलायची के पौधे का विकास अच्छा होगा।
इलायची की फसल में खरपतवार नियंत्रण
अन्य फसलों की तरह इलायची की खेती के दौरान खेत में खर पतवार की समस्या हो सकती है। इसलिए समय-समय पर निराई गुड़ाई करके इसे हटाते रहें। आपको बता दें कि खेत की निराई-गुड़ाई करते रहने से खेत में नमी बनी रहती है, जिससे पौधे जल्दी और अच्छी तरह विकसित होते हैं।
इलायची की फसल में कीट एवं रोग नियंत्रण
फंगल रोग
वैसे तो इलायची की फसल में कीट व रोग का प्रकोप कम होता है, लेकिन कभी-कभी इसमें झुरमुट व फंगल रोग लग सकते हैं। इस रोग में पौधे की पत्तियां सिकुड़ कर खराब हो जाती हैं। किसान साथी फसल में इस रोग के नियंत्रण के लिए इलायची के बीजों को नर्सरी में बोने से पहले ट्राईकोडर्मा की निर्धारित मात्रा से उपचारित कर लें। अगर किसी भी पौधे में रोग दिखाई दे तो इसे खेत से तुरंत हटा दें, ताकि रोग दूसरे पौधों में न फैले।
सफेद मक्खी कीट
इलायची की फसल में सफेद मक्खी का प्रकोप हो सकता है। ये कीट पौधों की वृद्धि को प्रभावित कर सकता है। सफेद मक्खी इलायची के पौधे की पत्तियां पर ज्यादा हमला करती है और पत्तियों के रस को चूसकर पौधे को नष्ट कर देती है। इस मक्खी की रोकथाम के लिए आप कास्टिक सोडा व नीम के पानी को अच्छी तरह मिलाकर पौधों की पत्तियों पर छिडक़ाव कर सकते हैं।
इलायची की कटाई, उपज व बाज़ार भाव
इलायची के पौधों की कटाई बीज के पूरी तरह पकने से थोड़ा पहले कर लें । ज्यादा पकने पर इलायची की गुणवत्ता में कमी हो जाती है। कटाई के बाद अच्छी तरह से बीज की सफाई कर लें, और उसे सुखा लें ताकि नमी न रहे। जब बीज पूरी तरह से सूखकर तैयार हो जाएं तो तब आप इसे बाजार या मंडी में बेच सकते हैं।
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उन्नत तकनीक और सही तरीके से इलायची की खेती करने पर प्रति हैक्टेयर 135 से 150 किलो तक इलायची की उपज ली जा सकती है। इलायची के बाजार भाव की बात करें तो में ये कीमत 1100 से लेकर 2000 हजार रुपए प्रति किलोग्राम तक हो सकती है। बाजार की मांग के अनुसार भाव में उतार-चढ़ाव बना रहता है।
FAQ
इलायची के पौधों में फल आने में 3- 4 साल तक का समय लगता है।
खेती करने का उचित समय जुलाई माना जाता है, क्योंकि इस समय बारिश होने से फसल में सिंचाई की ज़रूरत कम पड़ती है।
इलायची की खेती मुख्य रूप से केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में की जाती है। बता दें कि केरल छोटी इलायची का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है।
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