प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है!
नारियल एक ऐसा फल है जो धार्मिक कार्यों से लेकर भोजन, औषधि व सौंदर्य प्रसाधनों तक हर जगह इस्तेमाल किया जाता है। एक बार नारियल की खेती करके कई सालों तक कमाई की जा सकती है। नारियल के पेड़ लगभग 80 वर्षों तक हरे-भरे रह सकते हैं, और फल दे सकते हैं, ऐसे में किसान साथी अगर एक बार नारियल का पौधा लगा लें तो लंबे समय तक आमदनी होती रहेगी।
चलिए ग्रामिक के इस ब्लॉग में नारियल की खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं-
नारियल की खेती में नंबर 1 है भारत
उत्तर से लेकर दक्षिण तक पूरे भारत में नारियल की खूब मांग रहती है। नारियल उत्पादन में भारत दुनिया में नंबर एक पर है। यहां लगभग 21 राज्यों में नारियल की खेती की जाती है, इनमें से दक्षिण भारतीय क्षेत्रों जैसे केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु व महाराष्ट्र, गोवा, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा जैसे समुद्री तटीय इलाकों में ये खेती प्रमुखता से की जाती है। जो किसान नारियल की खेती करना चाहते हैं, वे इसकी बागवानी इस तरह करें कि आपको अलग-अलग मौसम में फल मिलते रहें।
नारियल की कई ऐसी प्रजातियां भी हैं, जिनमें पूरे साल फल आते रहते हैं। इन पेड़ों पर एक तरफ फल पकते रहते हैं, साथ ही छोटे-छोटे नए फल निकलते रहते हैं। यही कारण है कि नारियल तोड़ने और बेचने का सिलसिला भी पूरे साल चलता रहता है।
इसकी खेती में कीटनाशक और महंगी खाद की जरूरत नहीं होती। हालांकि, एरियोफाइड और सफेद कीड़े नारियल के पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं, इसलिए किसान साथी इन कीड़ों की रोकथाम का विशेष ध्यान रखें।
नारियल की मुख्य प्रजातियां
भारत में मुख्य रूप से नारियल की तीन प्रकार की प्रजातियों की खेती की जाती है। इनमें लंबी, बौनी और संकर प्रजाति शामिल हैं। लम्बी प्रजाति के नारियल आकार में सबसे बड़े होते हैं और इन्हें गैर-परम्परागत क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है।
वहीं, बौनी प्रजाति के नारियल की उम्र लंबे नारियल की तुलना में कम होती है, और इसका आकार भी छोटा होता है। बौने नारियल के लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है, साथ ही इसकी देखभाल की ज्यादा जरूरत होती है। संकर प्रजाति के नारियल को लंबी और बौनी प्रजाति के संकरण से तैयार किया गया है। माना जाता है कि इस प्रजाति के नारियल की अच्छी देखभाल करने से ये ज्यादा उपज देते हैं।
नारियल की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
नारियल की खेती के लिए बलुई मिट्टी की आवश्यकता होती है। काली और पथरीली जमीन इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं है। इसकी खेती के लिए खेत में अच्छी जल निकासी होनी चाहिए। फलों को पकने के लिए सामान्य तापमान और गर्म मौसम की जरूरत होती है। वहीं, इसके लिए अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि फसल में पानी की पूर्ति बारिश के पानी से ही हो जाती है।
कैसे और कब करें नारियल की खेती?
नारियल की खेती के लिए आमतौर पर 9 से 12 महीने पुराने पौधों की रोपाई की जाती है। इसके पौध का चुनाव करते समय किसान साथी ध्यान रखें कि पौधे में 6-8 पत्तियां निकली हुई हों। नारियल के पौधों की रोपाई 15 से 20 फीट की दूरी पर करना चाहिए। ये ध्यान रखें कि नारियल की जड़ के पास पानी का जमाव न होने पाए।
आपको बता दें कि जून से सितंबर के बीच का समय नारियल की खेती के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। बरसात के मौसम के बाद नारियल के पौधे लगाना उपयुक्त होता है, क्योंकि इससे पौधों की जड़ों में जलजमाव की समस्या नहीं होती है।
नारियल की खेती में सिंचाई
नारियल के पौध की सिंचाई के लिए सबसे अच्छा तरीका ‘ड्रिप विधि‘ से सिंचाई करना माना जाता है। ‘ड्रिप विधि’ से पौधे को उचित मात्रा में पानी मिलता है, जिससे पौधों का अच्छा विकास होता है, और उपज भी अच्छी मिलती है।
नारियल के पौधों की जड़ में शुरुआत में हल्की नमी की जरूरत होती है, लेकिन ध्यान रखें कि पानी अधिक न हो, इससे पौधा खराब हो सकता है। गर्मी के मौसम में नारियल के पौधों की सिंचाई तीन दिन के अंतराल पर करें, जबकि सर्दी के मौसम में सप्ताह में एक बार इसकी सिंचाई पर्याप्त मानी जाती है।
नारियल में फल आने का समय
शुरुवात ले 3 से 4 सालों तक नारियल के पौधों की ख़ास देखभाल की जरूरत होती है। 3- 4 सालों नारियल का पौधा विकसित हो जाता है, और इसमें फल आने लगते हैं। वहीं नारियल के फलों की परिपक्वता की बात करें, तो इसके फलों को पक कर तैयार होने में 15 महीने से ज्यादा समय लग सकता है। हालांकि जब इसके फलों का रंग हरा हो जाए, तो नारियल पानी के लिए आप कच्चे फलों की तुड़ाई कर सकते हैं।
नारियल की खेती के फायदे
नारियल का पानी जहां बहुत ही पौष्टिक होता है, वहीं इसके अलावा नारियल का पानी से लेकर गूदा और छिलके तक सब काम आते हैं, जिसे बोल चाल की भाषा में मलाई कहते हैं। नारियल के पेड़ का प्रत्येक हिस्सा किसी न किसी रूप में उपयोग किया जाता है, जिससे नारियल की खेती किसानों के अच्छी आमदनी वाली फसल साबित हो सकती है। इन्हीं उपयोगिताओं के कारण नारियल को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है।
FAQ
नारियल पानी में सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, लौह, ताम्र, फॉस्फोरस, क्लोरिन, गंधक, विटामिन सी और कुछ मात्रा में विटामिन बी पाया जाता है।
दुनिया भर में नारियल की खेती में भारत पहले नंबर पर है। इसकी खेती सबसे अधिक दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्रों में की जाती है।
खेती से संबंधित और भी ब्लॉग पढ़ने के लिए किसान साथी ग्रामिक दिये गये लिंक पर क्लिक करें –
गन्ने की खेती
केले की खेती
खरबूजे की खेती
तरबूज की खेती
Post Views: 79