कई गुणों से भरपूर अदरक (Ginger) एक नकदी फसल है। सब्ज़ी, मसाला और औषधीय उत्पाद के रूप में बड़े पैमाने पर प्रयोग होने के कारण हर समय अदरक की काफ़ी मांग रहती है। इसकी माँग और अच्छी खपत के कारण ही किसानों को अदरक की खेती (Ginger Farming) से अच्छी आमदनी प्राप्त होती है।
चलिए इस ब्लॉग में अदरक की खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं-
अदरक की खेती के लिए भूमि का चयन
अदरक की खेती गर्म और नमी वाले जलवायु में की जाती है। इसकी फसल के उचित विकास के लिए 25 से 35 डिग्री के बीच तापमान होना चाहिए। अदरक की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे आम, अमरूद और लीची के बागानों में उगाया जा सकता है। ऐसे में एक ही खेत से आप दो फसल ले सकते हैं।
अदरक की खेती करने के लिए सबसे पहले उपयुक्त मिट्टी का चयन करें। इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है, साथ ही इसके लिए मिट्टी का पीएमच 5.6 से 6.5 होना चाहिए। इसके अलावा खेत में जल निकासी की भी अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। किसान साथी अच्छी उपज के लिए फसल चक्र ज़रूर अपनाएं, क्योंकि एक ही खेत में बार- बार अदरक बोने से उसकी उपज पर असर पड़ता है।
अदरक की खेती के लिए उपयुक्त समय
अदरक की खेती के लिए फरवरी मार्च का महीना सबसे अच्छा होता है। हालांकि, कई किसान जून में भी अदरक की बुवाई करते हैं। जानकारों की मानें तो 15 जून के बाद बुवाई करने पर अदरक के सड़ने की संभावना बढ़ जाती है, ऐसे में बीजों का अंकुरण प्रभावित हो सकता है।
अदरक की उन्नत किस्में
अदरक की अनेक उन्नत किस्में हैं, जिनमें से संकर किस्में अधिक उपज देने वालीं मानी जाती हैं, लेकिन अलग-अलग क्षेत्रों की जलवायु के हिसाब से किस्मों का चुनाव करना उचित होता है।
सुप्रभा, हिमगिरी, हिमाचल, नादिया, IISR वरदा और IISR महिमा आदि अदरक की अच्छी किस्में मानी जाती हैं। इसके अलावा देसी प्रजाति वाली अदरक की भी बाज़ार में खूब मांग रहती है।
अलग-अलग किस्मों की अदरक को पकने में लगने वाला समय और उससे मिलने वाली उपज की मात्रा का अलग-अलग होती है। इसीलिए किसान साथी बुवाई से पहले अपने क्षेत्र की जलवायु को ध्यान में रखकर ही अदरक की किस्मों का चुनाव करें।
अदरक को सुखाकर उससे सोंठ बनाने वालों किस्म की बात करें, तो इसके लिए नादिया किस्म की अदरक उपयुक्त मानी जाती है। ये सबसे अधिक पैदावार देने वाली किस्मों में से एक है।
बुवाई से पहले करें बीज उपचार
अदरक के बीज इसके कन्द से ही तैयार होते हैं। इसमें दो आँखों का होना बेहतर होता है। इन्हें नयी फसल के कन्द से काटकर अलग करते हैं। पहाड़ी इलाकों में प्रति हेक्टेयर करीब 25 क्विंटल बीज की ज़रूरत पड़ सकती है, जबकि मैदानी क्षेत्रों में 18 क्विंटल बीज पर्याप्त होता है।
बीजों की बुवाई से पहले उन्हें उपचारित ज़रूर कर लें, ताकि फसल में रोगों की रोकथाम हो सके। बीज उपचारतीत करने के बाद अदरक के बीज का अंकुरण भी बेहतर होता है।
अदरक की खेती में कब करें सिंचाई
अदरक की बुवाई करने से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई कर लें। उसके बाद खेत में प्रति एकड़ की दर से 10 से 12 टन गोबर और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा डालें। फिर खेत की जुताई करके उसे समतल कर दें। इसके एक हफ्ते बाद एक बार फिर से खेत की जुताई करें, इसके बाद आप अदरक की बुवाई कर सकते हैं।
किसान साथी अदरक की बुवाई करते समय ध्यान रखें कि कतारों के बीच 30 से 40 सेंमी की दूरी हो। समय- समय पर फसल की सिंचाई भी करते रहें।
अदरक की फसल में लगने वाले रोग व रोकथाम
एक ही खेत में बार-बार अदरक उगाने से फसल में कीट या रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए किसान फसल चक्र ज़रूर अपनाएं। अदरक में लगने वाले प्रमुख रोगों की बात करें तो इसमें तना बेधक कीट, राइजोम शल्क कीट, जड़ बेधक कीट और पर्ण चित्ती वाले वायरस का खतरा फसल में ज़्यादा hot है।
इसके अलावा ‘मृदु विगलन’ अदरक का एक ऐसा रोग है जो खेत में जल भराव के कारण होता है। इससे बचाव के लिए खेत में पानी न इकट्ठा होने दें। जब अदरक की फसल में इन रोगों या कीटों का प्रकोप दिखे तो किसान साथी कृषि विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार दवा का इस्तेमाल करें।
अदरक की फसल की खुदाई और सफाई
अदरक की बुआई के लगभग आठ महीने बाद जब इसका कन्द अच्छी तरह से विकसित हो जाता है, तो इसकी पत्तियाँ पीली पड़कर सूखने लगती है। सब्ज़ी के रूप में अदरक का इस्तेमाल करने के लिए फसल के पूरी तरह से पकने से पहले या बुवाई के सातवें महीने में खुदाई करें।
वहीं अदरक का बीज बनाने के लिए फसल का पूरी तरह से पकना ज़रूरी है। खुदाई के बाद अदरक के कन्द को पानी से धोकर मिट्टी अलग करके सुखा लें, ताकि ये ज़्यादा समय तक रखने पर खराब न हो। इसके साथ ही सूखी हुई अदरक का बाज़ार में अच्छा भाव मिलता है।
अदरक की खेती से लाभ
चाय या मसाले में अदरक का प्रयोग करने से सर्दी-ज़ुखाम, खाँसी, पाचन सम्बन्धी समस्याएं, पथरी और पीलिया जैसे रोगों में आराम मिलता है। अदरक की खेती छोटी जोत वाले यानि कम खेत वाले किसान भी आसानी से कर सकते हैं।
आपको बता दें कि अदरक की फसल 8 से 9 महीने में तैयार हो जाती है। वहीं उपज की बात करें तो इसकी अलग-अलग किस्मों से प्रति हेक्टेयर 15 से 22 टन अदरक का उत्पादन मिल सकता है। सारी लागत निकालने के बाद किसानों को अदरक की खेती से प्रति हेक्टेयर दो लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है।
FAQs
अदरक की खेती फरवरी मार्च व मई-जून में की जा सकती है।
अदरक की फसल को तैयार होने में 8 से 9 महीने का समय लग सकता है। ये अदरक की किस्म के चयन पर निर्भर करता है।
मौसम के आधार पर अदरक की फसल में हर 3-4 दिन में पानी दें, लेकिन ज़्यादा पानी न डालें क्योंकि अदरक की जड़ें जलभराव की स्थिति में जल्दी सड़ सकती हैं। इसलिए इसे अच्छी जल निकासी वाली जगहों में लगाएं।
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