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गर्मियां आते ही लोग अपने बाग बगीचों को संवारना शुरू कर देते हैं। हालांकि बहुत से लोग ऐसे भी हैं, जिनके पास आम की बागवानी करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होती है। ऐसे में अपने घर पर ही गमले में आम की कुछ किस्में उगा सकते हैं। चलिए ग्रामिक के इस ब्लॉग में विस्तार से जानते हैं, गमले में आप के पौधे कैसे उगाएँ।
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गमले के लिए आम की किस्में
गमले में आम की बागवानी करने के लिए आपको ऐसी किस्म का पौधा लेना है, जिसकी हाइट 5 फुट से 8 फुट हो। इसमें आप आम्रपाली, मलिका, नीलम और सदाबहार जैसी किस्मों को चुन सकते है। आम की ये प्रजातियां कम जगह होने पर भी पूरे साल फलों की अच्छी उपज देते हैं, साथ ही आम की ये किस्म गमले में लगाना भी आसान है। पिछले कुछ सालों से आम की थाई किस्म भी भारत में उपलब्ध है, इसलिए आप इसे अपने किचन या टैरेस गार्डन में लगा सकते हैं।
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पौधे की रोपाई की प्रक्रिया
गमले में आम के पौधा लगाने का सबसे अच्छा तरीका ग्राफ्टिंग विधि है। इसमें आप अपने गमले में आम की कटिंग का एक हिस्सा लगा दें और कुछ दिनों तक इसकी देख रेख करते करें। ऐसे में लगभग एक महीने बाद गमले में पौधा तैयार हो जाएगा। फिर जब ये बड़ा होने लगे तो जैसे-जैसे पौधा बड़ा होने लगे इसे आप कंटेनर में लगा दें। ध्यान रहे कि आम का पौधा तभी अच्छे से विकसित होगा, जब इसकी उचित देखभाल की जाएगी।
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गर्मी के सीजन में इसके पौधों में हर दिन शाम के समय हल्की सिंचाई करें। इसके अलावा आप पौधे में गार्डन सॉइल, गोबर की खाद और नीम की खली आदि भी डाल सकते हैं। वहीं यदि आप नर्सरी से लाए गए पौधे को लगाना चाहते हैं, तो इसके लिए बहुत बड़ा गमला लेने की जरूरत नहीं है।
पौधे को गमले में लगाते समय इसकी रूट को न टूटने दें, क्योंकि पौधे के साथ आने वाली मिट्टी काफी चिकनी और वजनदार होती है। इसे ठीक से हैंडल न किया जाए, तो यह आसानी से टूट जाती है, और इसका असर जड़ों पर भी पड़ता है, जिससे आपका पौधा खराब हो सकता है।
ग्राफ्टिंग विधि के बारे में जानने के लिए ग्रामिक का ये ब्लॉग पढ़ें।
पौधे के विकास की देख-रेख करें
पौधे की रोपाई के बाद इस चीज का निरीक्षण जरूर करते रहें, कि पौधे का उचित विकास हो रहा है, या नहीं। अगर पौधे में ग्रोथ हो रही है, तो इसका मतलब है कि पौधे का स्वास्थ्य अच्छा है। इसकी ग्राफ्टिंग भी सही से हुई है और इसका रूट सिस्टम भी सही है।
आपको यह देखना होगा कि पौधे को किसी तरह की बीमारी ताे नहीं लगी है। इसके लिए पत्तियों की अच्छी तरह जांच करें। अगर पत्तों में किसी प्रकार का स्पॉट या फंगस दिखे, तो इसे तुरंत हटा दें। ,
मिट्टी में नीम की खली मिलाएं
आम के सॉइल मिक्स में नीम की खली मिलाना अच्छा है। यह पौधों लिए जरूरी पोषक तत्व उपलब्ध कराने के साथ ही पौधों के लिए नेचुरल पेस्टीसाइड का भी काम करती है। नीम की खली डालने से मिट्टी की क्षारीयता कम हो जाता है। इससे पौधों को फंगस लगने से बचाया जा सकता है और इसमें चीटियां भी नहीं आती। एक किलो मिट्टी में 30-40 ग्राम नीम की खली डाल सकते हैं।
आम की रोपाई के बाद की प्रक्रिया
पौधे को गमले के बीचों बीच लगाने के बाद आसपास की जगह को मिट्टी से भरें। ध्यान रखें, जो मिट्टी आप भर रहे हैं, इसमें गैप न हो। इससे रूट बॉल हिलेगा नहीं और टूटने से भी बच जाएगा। गार्डन में लगाया जाने वाला आम का पौधा जल्दी सूख जाता है, इसलिए शाम के समय पौधों की हल्की सिंचाई करनी चाहिए।
साथ ही इसमें लगने वाले कीट का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इसमें कीट-रोग बहुत ही जल्दी लगते हैं। यहां बताए गए तरीके से आप गमले में ही ताजे और रसीले आम उगा सकते हैं। बता दें कि घर में उगे आमों की मिठास हर मौसम में बरकरार रहती है।
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साल भर में मिलने लगेंगे फल
ग्राफ्टिंग विधि के माध्यम से आपको लगभग 12 से 14 महीने में आम मिलने शुरू हो जाएंगे। वहीं यदि आप आम की जल्दी तैयार होने वाली किस्मों का चुनाव करें, तो आपको इससे और जल्दी उपज मिल सकती है।
FAQ
भारत का सबसे अधिक आम उत्पादन करने वाला राज्य उत्तरप्रदेश है।
वर्षा पर आधारित क्षेत्रों में आम के पौधों की रोपाई जुलाई-अगस्त के महीनों में की जाती है।
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