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जानें कलम (Grafting) विधि द्वारा पौधे लगाने का तरीक़ा|पाएं एक ही पौधे से 2-3 फसलें!

Grafting_Technique
Written by Gramik

अगर एक ही पौधे पर कई तरह की सब्जियां, फल व फूल उग जायें, तो सोचिए! ये हम किसानों के लिये कितना फायदेमंद रहेगा। लेकिन अब कृषि की उन्नत तकनीक ‘कलम (Grafting) विधि’ से ये चमत्कार भी मुमकिन है। कृषि के इतिहास में एक ही पौधे पर 2 फसल उगाना एक क्रांतिकारी आविष्कार तो है ही, साथ ही ये किसानों की आमदनी और फसल की उत्पादकता को बढ़ाने में भी मदद करेगा।

कलम (Grafting) विधि क्या है?

ग्राफ्टिंग, जिसे आम भाषा में कलम बांधना भी कहते हैं, ये एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें दो तरह के पौधों को जोड़ कर एक नया पौधा विकसित किया जाता है, जो मूल पौधे की तुलना में अधिक उत्पादन देता है। ग्राफ्टिंग विधि से तैयार किये गए पौधों में दोनों पौधों के गुण व विशेषताएं होती हैं।

ब्रिमैटो क्या है?

एक ही पौधे से बैंगन और टमाटर की सब्जियां उगाने की विधि को ‘ब्रिमैटो’ नाम दिया गया है। ये अविष्कार वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने ग्राफ्टिंग विधि द्वारा किया है।

इस तकनीक के जरिये सिर्फ बैंगन और टमाटर ही नहीं, बल्कि टमाटर और आलू की फसल भी एक साथ ले सकते हैं।

कलम (Grafting) विधि से कौन से पौधों विकसित किए जाते है?

आपको बता दें कि, इस आधुनिक ग्राफ्टिंग तकनीक का उपयोग कई प्रकार के पौधों को विकसित करने के लिए किया जाता है, जिनमें गुलाब, सेब, आम, जामुन और संतरे जैसे बारहमासी पौधे शामिल हैं। इसके अलावा आप ग्राफ्टिंग तकनीक अपनाकर आप आंवले की बागवानी भी कर सकते हैं।

पौधों की ग्राफ्टिंग कैसे की जाती है?

ग्राफ्टिंग विधि में एक पौधे को जड़ समेत लिया जाता है और दूसरा पौधा बिना जड़ के कलम के रूप में लिया जाता है। इसके बाद इन दोनों पौधों को एक साथ जोड़ा जाता है, जिससे एक नया पौधा विकसित होता है।

कलम (Grafting) विधि

यानि इस विधि से आप आड़ू के पेड़ पर बादाम (almond), खुबानी (apricot) या आलूबुखारा (plum) की शाखाओं को ग्राफ्ट कर सकते हैं। आप दो अलग अलग किस्म के सेब, नाशपाती व गुलाब के पौधों को भी एक साथ ग्राफ्ट कर सकते हैं।

घर के गार्डन में पौधों की ग्राफ्टिंग कैसे करें?

गार्डन में पौधों की ग्राफ्टिंग करने के लिए हमें जड़ वाले पौधे यानि रूट स्टॉक (root stock) और कलम वाले पौधे यानि सायन (Scion) को लें। अब रूट स्टॉक और सायन को आपस में जोड़ने के लिए दोनों के सिरों को 1-5 इंच तक चाक़ू से तिरछा काटें।

इसके बाद सायन के तिरछे कटे भाग को रूट स्टॉक के कटे भाग के ऊपर लगाएं और दोनों कटे भागों को आपस में जोड़ने के बाद टेप की मदद से बाँध दें। इसके बाद रूट स्टॉक (root stock) और सायन (Scion) ऊतक आपस में जुड़ने लगते हैं और पौधे की वृद्धि शुरू हो जाती है।

ग्राफ्टिंग के फायदे – Benefits Of Grafting Plants

सायन (Scion) या कलम के रूप में इस्तेमाल किये जाने वाले पौधों की किस्म अच्छी होती हैं, लेकिन उनकी ख़राब जड़ प्रणाली, कम ऊर्जा और रोग से लड़ने की क्षमता कम होने के कारण वे विकसित नहीं हो पाते हैं।

ऐसे में उन्हें रूट स्टॉक यानि जड़ वाले पौधे पर ग्राफ्ट करके अच्छी तरह से विकसित किया जा सकता है।ग्राफ्टिंग से तैयार पौधों का एक फायदा ये भी है कि इससे लगभग साल भर फूल या फल प्राप्त हो सकते हैं।

इसके अलावा ग्राफ्टिंग करने से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है, जिससे पौधों में रोग लगने का खतरा भी कम होता है। ग्राफ्टिंग द्वारा तैयार किये गए पौधों को अधिक देखभाल की भी आवश्यकता नहीं होती है। ग्राफ्टेड पौधों की गुणवत्ता बीजों द्वारा लगाये गए पौधों की तुलना में ज़्यादा अच्छी होती है।

FAQ

1: ग्राफ्टिंग क्या है?

ग्राफ्टिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसमें दो अलग-अलग तरह के पौधों के कटे हुए तनों को लेते हैं, जिसमें एक जड़ सहित और दूसरा बिना जड़ वाला होता है। इनको इस प्रकार लगाया जाता है कि दोनों तने आपस में जुड़ जाते हैं, और एक ही पौधे के रूप में विकसित होने लगते हैं। इस नए पौधे में दोनों पौधों की विशेषताएँ होती हैं।

2: ग्राफ्टिंग कब करनी चाहिए?

आमतौर पर ग्राफ्टिंग सर्दी के अंत में जब तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो, तब की जाती है।

3: ट्री ग्राफ्ट में कितना समय लगता है?

एक ग्राफ्टेड ट्री को तैयार होने में 3 से 6 हफ्ते का समय लग सकता है।

4: किन पौधों की ग्राफ्टिंग की जाती है?

एक ही वानस्पतिक जींस (genus) और प्रजाति (species) के पौधों को ग्राफ्ट किया जा सकता है, भले ही वे एक अलग किस्म (variety) के हों।

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