गर्मी के मौसम में बढ़ते तापमान का सीधा प्रभाव पशुओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है। अत्यधिक गर्मी और उमस के कारण पशुओं को हीट स्ट्रेस और डिहाइड्रेशन जैसी समस्याएँ हो सकती हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और दूध उत्पादन में भी कमी आती है। इसलिए, गर्मी में पशुओं की देखभाल और उचित प्रबंधन बेहद आवश्यक है।
हीट स्ट्रेस (गर्मी की मार)
गर्मी के मौसम में पशुओं को हीट स्ट्रेस होने की संभावना अधिक होती है, विशेष रूप से तब जब तापमान अधिक होता है और वातावरण में नमी की मात्रा बढ़ जाती है। यह समस्या तब होती है जब पशु अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाते, जिससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। गर्मी में पशुओं की सुरक्षा के लिए यह जानना जरूरी है कि किन उपायों से हीट स्ट्रेस से बचाव किया जा सकता है।

हीट स्ट्रेस के लक्षण
- अत्यधिक पसीना आना
- तेज़ी से सांस लेना
- सुस्ती और कमजोरी महसूस करना
- दूध उत्पादन में गिरावट
यदि पशुओं को समय पर सही देखभाल न मिले, तो यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है और उनकी कार्यक्षमता पर बुरा प्रभाव डाल सकती है। इसलिए, गर्मी में पशुओं की देखभाल करना अत्यंत आवश्यक है।
हीट स्ट्रेस से बचाव के उपाय
गर्मी में पशुओं को हीट स्ट्रेस से बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए:
छायादार स्थान प्रदान करें
पशुओं को छायादार स्थान पर रखना चाहिए, जिससे वे प्रत्यक्ष धूप से सुरक्षित रह सकें।

स्वच्छ और ठंडे पानी की व्यवस्था
उन्हें स्वच्छ और ठंडा पानी पर्याप्त मात्रा में देना चाहिए ताकि उनका शरीर हाइड्रेटेड रहे।
हल्का और ठंडा आहार दें
पशुओं को हल्का और ठंडा आहार देने से उनके शरीर के तापमान को संतुलित रखने में मदद मिलती है।
शरीर पर पानी का छिड़काव करें
उनके शरीर पर पानी का छिड़काव करना फायदेमंद होता है, जिससे उनका तापमान नियंत्रित रहता है और गर्मी का असर कम होता है।

नियमित स्वास्थ्य जांच करें
गर्मी में पशुओं के स्वास्थ्य की नियमित जाँच करनी चाहिए ताकि किसी भी समस्या का समय रहते समाधान किया जा सके।
निष्कर्ष
गर्मी के मौसम में पशुओं को हीट स्ट्रेस और डिहाइड्रेशन जैसी समस्याओं से बचाने के लिए उचित देखभाल और प्रबंधन आवश्यक है। छायादार स्थान, स्वच्छ और ठंडा पानी, हल्का आहार, और शरीर पर पानी का छिड़काव जैसे उपाय अपनाकर पशुओं का स्वास्थ्य सुरक्षित रखा जा सकता है। सही देखभाल से न केवल उनके स्वास्थ्य में सुधार होगा, बल्कि दूध उत्पादन में भी गिरावट नहीं आएगी, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सकता है।
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