Plant Diseases

टमाटर की फसल में लगे रोगों और कीटों की पहचान और नियंत्रण

सब्जियों में टमाटर की फसल में रोगों और सूत्रकृमियों का प्रकोप अधिक होता है और इसी वजह से टमाटर के उत्पादन में कमी आ जाती है। टमाटर के कोमल एवं मुलायम होने के कारण इसमें रोग जल्दी लगते हैं।

वहीं नमी युक्त वातावरण एवं उर्वरकों का आवश्यकता से अधिक प्रयोग भी टमाटर की फसल में रोगों के लिए जिम्मेदार है। जिसके कारण उत्पादन में 20 से 25 प्रतिशत तक कमी आ जाती है। इसके अलावा बेमौसमी संकर किस्मों का प्रयोग भी इसमें अहम भूमिका निभाता है।

ऐसे में टमाटर की फसल में रोग नियंत्रण के उपाय करना बेहद जरूरी हो जाता है ताकि उत्पादन प्रभावित न हो। इसके लिए जरूरी है कि समय पर रोगों के नियंत्रण के उपाय अपनाएं जाएं। आइए जानते हैं टमाटर को रोगों से मुक्त रखने के उपाय के बारे में।

टमाटर की फसल में फल की नोक की सड़न:

फल की नोक की सड़न एक ऐसी बीमारी है, जो अक्सर टमाटर के पौधे को प्रभावित करती है। टमाटर में फल सड़न रोग  के प्रभाव से टमाटर की त्वचा पर काले धब्बे दिखाई देते हैं, लेकिन टमाटर का पौधा स्वस्थ दिखाई देता है। यदि आप उस टमाटर को खाने के लिए काटते हैं, तो वह अंदर से मैला और स्वाद में अच्छा नहीं लगेगा।

टमाटर की फसल

कारण:

  •  टमाटर के पौधों को अनिश्चित मात्रा में पानी देने के कारण।
  • पौधे में कैल्शियम की कमी के कारण।

रोकथाम:

  • मिट्टी में कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा मिलाएं या कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए मिट्टी में चूना पाउडर या अंडे के छिलके की खाद मिलाएं।
  • टमाटर उगाने के लिए मिट्टी का पीएच लगभग 6.5 होना चाहिए, अतः बीज लगाने से पहले मिट्टी के पीएच स्तर की जाँच कर लें।
  • मिट्टी को लगातार नम बनाए रखने के लिए, पौधे को रोजाना एक ही समय पर पानी दें।
  • रोग तथा कीटों से बचाने के लिए टमाटर के पौधे की मल्चिंग करें।

उपचार:

  • फल की नोक की सड़न रोग को फैलने से रोकने के लिए इससे प्रभावित फलों को तोड़कर अलग कर दें।
  • रोग ग्रस्त पौधे की मिट्टी में कैल्शियम की मात्रा बढ़ाने के लिए 50% दूध और 50% पानी के घोल को मिट्टी में डालें।
  • फल की नोक की सड़न रोग के उपचार के लिए पौधों पर कैल्शियम युक्त फोलियर स्प्रे का उपयोग करें, लेकिन ध्यान रहे कि पौधों पर स्प्रे या तो सुबह जल्दी या देर शाम को करें, अन्यथा पत्तियां जल जाएंगी।
  • अंडे के छिलकों से युक्त खाद, मिट्टी में मिलाएं।

बैक्टीरियल विल्ट:

बैक्टीरियल विल्ट को झुलसा रोग भी कहते हैं। टमाटर में झुलसा रोग के कारण पौधे की पत्तियां मुरझा जाती हैं, पौधे के तने का रंग फीका पड़ जाता है। बैक्टीरियल विल्ट रोग की पहचान करने के लिए, संक्रमित तने को पानी में रखकर उससे दूधिया तरल रक्तस्राव को देखा जा सकता है।

टमाटर में झुलसा रोग / बैक्टीरियल विल्ट

कारण:

  • स्यूडोमोनास सोलानेसीरम (Pseudomonas solaneserum) नामक बैक्टीरिया के कारण।
  • गीला मौसम और मिट्टी के उच्च पीएच स्तर के कारण।

रोकथाम:

  • रोगग्रस्त मिट्टी में बैक्टीरियल विल्ट को नियंत्रित करना कठिन होता है, इसलिए रोगग्रस्त पौधों को ट्रांसप्लांट करने से बचें।
  • बैक्टीरियल विल्ट से प्रभावित पौधों की मिट्टी में अन्य पौधों को लगाने से बचें।

उपचार:

  • मैनकोज़ेब 400 ग्राम या टैबूकोनाज़ोल 200 मि.ली.प्रति 200 लीटर की स्प्रे करें। का उपयोग करें।
  • टमाटर के पौधे की नियमित रूप से जाँच करें और झुलसा रोग से संक्रमित पौधों को हटा कर नष्ट कर दें।

लीफ कर्लिंग:

टमाटर में लीफ कर्ल के लक्षण (Leaf Curling Disease Symptoms) – लीफ कर्लिंग टमाटर के पौधों की सबसे आम बीमारियों में से एक है, जिसे मुरोड़िया रोग भी कहते हैं। टमाटर में लीफ कर्ल रोग के कारण पौधे की पत्तियों का ऊपर की ओर मुड़ना, पीली पड़ना, और पौधे का बौनापन इसके प्रमुख लक्षण हैं।

टमाटर में लीफ कर्ल

कारण:

  • पौधों में वायरल संक्रमण के कारण
  • एफिड्स के प्रभाव के कारण
  • संक्रमित पौधों के माध्यम से संचरण

रोकथाम:

  • टमाटर के पौधों की अधिक प्रूनिंग न करें।
  • अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में पौधे लगाएं।

उपचार:

  • एसिटामिप्रिड 20 एस पी 80 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी या ट्राइज़ोफोस 250 मि.ली.प्रति 200 लीटर या प्रोफैनोफोस 200 मि.ली.प्रति 200 लीटर पानी की स्प्रे करें।
  • पौधे की पत्तियों के ऊपर और नीचे की तरफ जैविक कीटनाशक या नीम तेल के घोल का छिड़काव करें।

टमाटर की फसल में अगेती अंगमारी या अर्ली ब्लाइट रोग:

अर्ली ब्लाइट के लक्षण (Early Blight Disease Symptoms) – तुषार या अर्ली ब्लाइट रोग टमाटर के पौधे को बहुत अधिक प्रभावित करता है। अर्ली ब्लाइट के कारण टमाटर के पौधे की पुरानी पत्तियों पर काले धब्बे वाले वृत्त बन जाते हैं, और पत्तियाँ धब्बों के चारों ओर पीली हो जाती हैं। गंभीर रूप से संक्रमित पत्तियां ब्राउन रंग की हो जाती हैं और सूखकर गिर जाती हैं।

टमाटर की फसल में अगेती अंगमारी या अर्ली ब्लाइट रोग

कारण:

  • अल्टेरनारिआ सोलानी (Alternaria solani fungus) नामक कवक (fungus) के कारण।

रोकथाम:

  • पौधे लगाने से पहले मिट्टी की ठीक तरह से जाँच कर लें, फंगस रोग से प्रभावित मिट्टी में पौधे न लगाएं।
  • टमाटर उगाने के लिए रोगप्रतिरोधी किस्म के बीजों का चयन करें।

उपचार:

  • गार्डन के पौधों पर जैविक कवकनाशी (organic fungicide) का छिडकाव करें।
  • टमाटर के पौधे के संक्रमित भाग और नीचे गिरी हुई पत्तियों को नष्ट कर दें।
  • संक्रमित पत्तियों को खाद में न मिलाएं।
  • मैनकोज़ेब 400 ग्राम या टैबूकोनाज़ोल 200 मि.ली.प्रति 200 लीटर का स्प्रे करें।

सनस्कल्ड:

टमाटर में सनस्कल्ड के लक्षण (Sunscald in Tomato Symptoms) – टमाटर के पौधे पर इस बीमारी का प्रभाव बाद में दिखाई देता है। बीमारी के परिणाम स्वरूप स्वस्थ पौधे और फल तो सामान्य रूप से विकसित होते हैं पर जैसे ही टमाटर पकते हैं, तो उनकी लाल त्वचा पर पीले धब्बे बन जाते हैं। पीले धब्बे सफेद और त्वचा पतली हो जाती हैं, जिससे टमाटर का स्वाद खराब हो जाता है।

टमाटर में सनस्कल्ड

कारण:

  • यह एक गैर-संक्रामक (noninfectious) रोग है, जो टमाटर के फलों का अचानक सीधी तेज धूप के संपर्क में आने के कारण होता है।

रोकथाम:

  • पौधों की अधिक प्रूनिंग करने से बचें।
  • टमाटर के पौधों को दोपहर के समय आंशिक छाया प्रदान करें।

उपचार:

  • पौधों से रोगग्रस्त पत्तियों और फलों को काटकर अलग कर दें।
  • पौधे में नई पत्तियां आने तक पौधों को सहारा दें।
  • गर्मी के समय पौधों को अधिक बार पानी दें।
  • तीव्र धूप के दौरान पौधे को छाया वाले स्थान पर ले जाएँ।
  • प्रॉपीकोनाज़ोल या हैक्साकोनाज़ोल 200 मि.ली.प्रति 200 लीटर पानी का स्प्रे करें।

ब्लॉसम ड्रॉप:

टमाटर में ब्लॉसम ड्रॉप के लक्षण (Blossom Drop Symptoms)– टमाटर के पौधे में ब्लॉसम ड्रॉप रोग अक्सर देखा जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप टमाटर के पौधों पर फूल तो दिखाई देते हैं, लेकिन टमाटर विकसित हुए बिना गिर जाते हैं।

टमाटर में ब्लॉसम ड्रॉप

कारण:

  • तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण।
  • पौधे पर कीटों के प्रभाव के कारण।
  • पौधे में पानी की कमी के कारण
  • बहुत अधिक या बहुत कम नाइट्रोजन की मात्रा के कारण।
  • पोलिनेशन की कमी के कारण।

रोकथाम:

  • टमाटर के पौधे के लिए जैविक उर्वरक का उपयोग करें।
  • गार्डन में पोलिनेटर्स को आकर्षित करने वाले फूल के पौधे लगाएं।
  • पौधे पर नीम के तेल और जैविक कीटनाशकों का स्प्रे करें।
  • टमाटर की अच्छी किस्म का चुनाव करें और उसे उगाएं।

उपचार:

  • पौधे की नियमित रूप से जांच करें।
  • शुष्क मौसम में पौधों को अधिक पानी दें।
  • पौधे के आसपास आर्द्रता बनाये रखें।

कैटफेसिंग डिजीज:

टमाटर में कैटफेसिंग डिजीज के लक्षण (Catfacing in Tomato Symptoms) – टमाटर के पौधे को कैटफेसिंग रोग सबसे अधिक प्रभावित करता है। इस रोग के प्रभाव से पौधे में लगे हुए टमाटर के फल का आकार गोल न होकर (विकृत) अलग प्रकार का हो जाता हैं।

टमाटर में कैटफेसिंग डिजीज

कारण:

  • ठीक तरह से पोलिनेशन न हो पाने के कारण।
  • तापमान बहुत कम (10°C से नीचे) या बहुत अधिक (30°C से अधिक) होने के कारण।
  • टमाटर की रोपाई अनुकूल (गर्म) मौसम में करें।
  • टमाटर के पौधों को जमीन से उंचाई पर रखें।
  • बीज की अच्छी किस्म का चुनाव करें।

उपचार:

  • टमाटर लगे गमले की मिट्टी में नाइट्रोजन के स्तर की जाँच करें।
  • पौधे की उचित देखभाल करें।
  • प्रभावित टमाटर खाने योग्य होते हैं इनको तोड़ें और उपयोग करें। 

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Gramik

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