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भारत बड़े पैमाने पर पशुपालन करने वाला देश है। यही वजह है कि पिछले साल देश में लगभग 23 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ था। दूध उत्पादन में आगे और बढ़ोतरी की संभावना है, लेकिन इसमें एक बड़ी रुकावट है – पशुओं में बढ़ती बांझपन की समस्या।
एनिमल न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स का मानना है कि चारे में पोषक तत्वों की कमी के चलते पशुओं में बांझपन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। देश में करीब 30 करोड़ दुधारू पशु हैं, लेकिन इनमें से केवल 10 करोड़ पशु ही दूध देते हैं। बाकी 20 करोड़ पशुओं का दूध न देने का प्रमुख कारण उनके प्रजनन से जुड़ी समस्याएं हैं।
पोषक तत्वों की कमी से बढ़ रही हैं समस्याएं
चारा विशेषज्ञों का कहना है कि चारे में पोषक तत्वों की कमी का सीधा असर पशुओं की प्रजनन क्षमता और दूध उत्पादन पर पड़ता है। वर्तमान में पशुओं के चारे में कैल्शियम, फास्फोरस, मैंगनीज, जिंक, आयरन, कोबाल्ट, मैग्नीशियम, मिनरल्स और विटामिन की कमी पाई जा रही है।
ये सभी तत्व न सिर्फ दूध उत्पादन को बढ़ाने में सहायक होते हैं, बल्कि पशुओं की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करते हैं। इन तत्वों के अभाव में गाय-भैंस हो या भेड़-बकरी, सभी पशुओं में स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिल रही हैं।
- प्रजनन क्षमता पर असर: जब तक पशु स्वस्थ नहीं होंगे और उनके शरीर में जरूरी पोषक तत्व मौजूद नहीं होंगे, वे गर्भधारण करने में असमर्थ रहेंगे। चारे में पौष्टिकता की कमी से पशुओं का प्रजनन चक्र प्रभावित हो रहा है और बांझपन की समस्या बढ़ रही है।
- दूध की गुणवत्ता पर असर: मिनरल्स की कमी के कारण पशुओं के दूध में कैल्शियम और अन्य जरूरी तत्वों की मात्रा घट रही है। दूध की गुणवत्ता में गिरावट के चलते इसे पीने वाले लोगों की सेहत पर भी इसका असर पड़ता है।
हरे चारे की पौष्टिकता में गिरावट के कारण
हरे चारे में पोषक तत्वों की कमी अचानक नहीं आई है। यह एक धीमी प्रक्रिया रही है और इसका प्रमुख कारण है खेती में कीटनाशकों और रासायनिक खादों का बढ़ता उपयोग। कहा जा रहा है कि अधिक मात्रा में पेस्टीसाइड और रासायनिक खादों का इस्तेमाल से मिट्टी और चारे की पौष्टिकता घट रही है। हरे चारे में पोषक तत्वों की कमी का सीधा असर पशुओं के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।
लंबे समय तक हानिकारक रसायनों का उपयोग
रासायनिक खादों और कीटनाशकों का निरंतर उपयोग मिट्टी को कमजोर कर देता है, जिससे हरा चारा पोषक तत्वों से भरपूर नहीं रह जाता। यह समस्या केवल दूध उत्पादन को ही नहीं बल्कि पूरे खाद्य श्रृंखला को प्रभावित कर रही है।
पशुओं के आहार में सुधार की आवश्यकता
डेयरी विशेषज्ञों का मानना है कि चारे में पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए पशुओं को ज़रूरी मिनरल्स खिलाने की सलाह दी जाती है। इसके लिए आप अपने पशुओं को ग्रामिक कैल्शियम का सेवन करा सकते हैं। मिनरल्स से भरपूर आहार से पशुओं की सेहत में सुधार होता है, उनकी प्रजनन क्षमता बढ़ती है और दूध की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।
पशुओं के स्वास्थ्य को बनाए रखने के उपाय:
- पशुओं को ऐसे आहार देना चाहिए जो कैल्शियम, फास्फोरस, जिंक, आयरन आदि पोषक तत्वों से भरपूर हों।
- पशु चिकित्सकों की सलाह पर मिनरल मिक्सचर का उपयोग करें ताकि चारे में पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सके।
- हरे चारे में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग करने से बचें। जैविक खेती को प्रोत्साहित करें ताकि चारे की पौष्टिकता बरकरार रहे।
- जैविक आहार का उपयोग करके पशुओं को जरूरी पोषक तत्व मिल सकते हैं जो उनकी सेहत के लिए लाभदायक हैं।
FAQs
पशुओं में बांझपन का एक प्रमुख कारण उनके आहार में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी है, जैसे कि कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, और अन्य मिनरल्स। यह कमी उनकी प्रजनन क्षमता पर असर डालती है।
पशुओं के चारे में कैल्शियम, फास्फोरस, मैंगनीज, जिंक, आयरन, कोबाल्ट, और मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स और विटामिन्स की कमी देखी जा रही है।
पोषक तत्वों की कमी के कारण दूध में आवश्यक मिनरल्स की मात्रा घट जाती है, जिससे दूध की गुणवत्ता में गिरावट आती है और पशु कम दूध देने लगते हैं।
पशुओं को कैल्शियम, फास्फोरस, और अन्य जरूरी मिनरल्स से भरपूर आहार देना चाहिए। साथ ही, पशु चिकित्सकों की सलाह पर मिनरल मिक्सचर का उपयोग करके उनकी पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है।
पशुओं के आहार में मिनरल मिक्सचर, ग्रामिक कैल्शियम, शक्ति सागर और जैविक आहार शामिल किए जा सकते हैं ताकि उनकी पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
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