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भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। हालांकि, जल संकट और अनियमित मानसून जैसी चुनौतियां किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी करती हैं। ऐसे में “प्रति बूंद अधिक फसल” योजना एक महत्वपूर्ण पहल बनकर सामने आई है। इस योजना के माध्यम से जल संरक्षण और कृषि उत्पादन में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
चलिए ग्रामिक के इस ब्लॉग में प्रति बूंद अधिक फसल योजना के बारे में विस्तार से जानते हैं!
प्रति बूंद अधिक फसल योजना का उद्देश्य
परंपरागत सिंचाई प्रणालियों में पानी की काफी बर्बादी होती है, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता। इस स्थिति में, “प्रति बूंद अधिक फसल” योजना एक आवश्यक कदम है, जो पानी की कम खपत में अधिक उत्पादन सुनिश्चित करती है।
“प्रति बूंद अधिक फसल” योजना का मुख्य उद्देश्य पानी की हर बूंद का उचित उपयोग करना और कृषि उत्पादन को बढ़ाना है। यह योजना प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के तहत आती है और इसका फोकस माइक्रो इरिगेशन तकनीकों के उपयोग पर है। इन तकनीकों के माध्यम से पानी की बचत और फसल की उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है।
प्रति बूंद अधिक फसल योजना की पहल
जल संसाधनों का कुशल प्रबंधन
“प्रति बूंद अधिक फसल” योजना के अंतर्गत जल सिंचाई के लिए उपलब्ध जल स्रोतों की निगरानी की जाती है। जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन के लिए जलाशयों में जलभराव और वर्षा के जल संचयन पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
माइक्रो इरिगेशन तकनीक
इस योजना का एक महत्वपूर्ण पहलू माइक्रो इरिगेशन तकनीकों का उपयोग है। ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर इरिगेशन जैसी तकनीकें पानी को सीधे जड़ों तक पहुंचाने में मदद करती हैं, जिससे पानी की बर्बादी कम होती है और पौधों को आवश्यक मात्रा में पानी मिलता है। माइक्रो इरिगेशन तकनीकें फसलों के उचित विकास और उपज बढ़ाने के लिए बेहद उपयोगी हैं।
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प्रति बूंद अधिक फसल योजना के लाभ
पानी की बचत
“प्रति बूंद अधिक फसल” योजना का सबसे बड़ा लाभ पानी की बचत है। माइक्रो इरिगेशन तकनीकों के माध्यम से पानी की बर्बादी को कम किया जा सकता है। ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर इरिगेशन के उपयोग से 50% से अधिक पानी की बचत संभव है, जो पारंपरिक सिंचाई प्रणालियों की तुलना में एक बड़ी उपलब्धि है।
उत्पादन में वृद्धि
इस योजना के माध्यम से फसल की उत्पादकता में भी वृद्धि होती है। बेहतर सिंचाई प्रबंधन और जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियों के उपयोग से फसल की वृद्धि में सुधार होता है और उत्पादन की मात्रा बढ़ती है। इससे किसानों की आय में भी वृद्धि होती है, जो आर्थिक समृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पर्यावरण संरक्षण
जल संरक्षण तकनीकों के उपयोग से न केवल पानी की बचत होती है, बल्कि पर्यावरण का संरक्षण भी होता है। जलाशयों ने पुनः जलभराव, वर्षा जल संचयन और जैविक खेती जैसी पद्धतियों के माध्यम से पर्यावरण का संरक्षण किया जा सकता है। इससे मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक कृषि के लिए उपयुक्त बनी रहती है।
किसानों की आय में वृद्धि
उत्पादन में वृद्धि और जल संसाधनों के उचित उपयोग के कारण किसानों की आय में भी बढ़ोत्तरी होती है। “प्रति बूंद अधिक फसल” योजना के तहत विभिन्न सब्सिडी और वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है, जिससे किसानों को इन तकनीकों को अपनाने में मदद मिलती है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और वे अपनी जरूरतों को बेहतर तरीके से पूरा कर पाते हैं।
प्रति बूंद अधिक फसल योजना में भागीदारी
केंद्र और राज्य सरकार की भूमिका
“प्रति बूंद अधिक फसल” योजना का सफल कार्यान्वयन केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से होता है। केंद्र सरकार राज्य सरकार को योजना के लिए आवश्यक धनराशि मुहैया कराती है और राज्य सरकारों को निर्देश देती है। राज्य सरकारें स्थानीय स्तर पर योजना पर निगरानी करती हैं और सुनिश्चित करती हैं कि योजना का लाभ सभी किसानों तक पहुंचे।
किसानों की भागीदारी
इस योजना की सफलता में किसानों की सक्रिय भागीदारी भी महत्वपूर्ण है। किसानों को जागरूक करना, उन्हें माइक्रो इरिगेशन तकनीकों के उपयोग के लिए प्रेरित करना और आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है। विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों और कृषि विश्वविद्यालयों के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षण और सहायता प्रदान की जाती है।
ड्रिप सिंचाई के बारे में विस्तार से जानने के लिए ग्रामिक पर ये ब्लॉग पढ़ें।
FAQ
“प्रति बूंद अधिक फसल” योजना भारत सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य सिंचाई के लिए उपलब्ध हर बूंद पानी का उचित उपयोग करना और फसल उत्पादन को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत माइक्रो इरिगेशन तकनीकों, जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर इरिगेशन, का उपयोग करके पानी की बचत और कृषि उत्पादन में वृद्धि की जाती है।
“प्रति बूंद अधिक फसल” योजना के कई लाभ हैं, जिनमें शामिल हैं: पानी की बचत, फसल उत्पादन में वृद्धि, किसानों की आय में वृद्धि, पर्यावरण संरक्षण, जल संसाधनों का कुशल प्रबंधन आदि।
“प्रति बूंद अधिक फसल” योजना के लिए छोटे, मध्यम और बड़े किसान सभी पात्र हैं। किसानों को माइक्रो इरिगेशन तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण व वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
योजना के तहत सब्सिडी प्राप्त करने के लिए किसानों को अपने राज्य के कृषि विभाग या संबंधित सरकारी एजेंसियों के माध्यम से आवेदन करना होता है। उन्हें आवश्यक दस्तावेज और जानकारी प्रदान करनी होती है, जिसके बाद सब्सिडी दी जाती है।
प्रति बूंद अधिक फसल योजना के तहत सभी प्रकार की फसलों पर ध्यान दिया जाता है, लेकिन विशेष रूप से उन फसलों पर अधिक ध्यान दिया जाता है जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती हैं। सब्जियाँ, फलों के बागानों आदि में माइक्रो इरिगेशन तकनीकों से लाभ लिया जा सकता है।
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