फरवरी में खेती कृषि के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस समय मौसम में बदलाव आने लगता है और सही फसल चुनने से किसान अधिक पैदावार और बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं। इस ब्लॉग में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि फरवरी में कौन-कौन सी फसलें बोई जा सकती हैं और इनकी देखभाल कैसे करनी चाहिए।
फरवरी में खेती का महत्व
फरवरी का महीना न तो बहुत ठंडा होता है और न ही बहुत गर्म, जिससे यह कई फसलों की बुवाई के लिए उपयुक्त बनता है। इस समय की गई खेती से फसलें तेज़ी से बढ़ती हैं और अधिक उपज देती हैं।
1. रबी फसलें (फरवरी में बुवाई योग्य)
(A) दलहनी फसलें
दलहनी फसलें मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के साथ-साथ किसानों को अधिक आमदनी भी देती हैं।
- ग्रीष्मकालीन मूंग – यह फरवरी-मार्च में बोई जाती है और 60-65 दिनों में तैयार हो जाती है।
- ग्रीष्मकालीन उड़द – कम समय में तैयार होने वाली यह फसल जैविक उर्वरकों के साथ अधिक लाभदायक होती है।
- चना – कुछ क्षेत्रों में फरवरी के शुरुआती दिनों तक इसकी बुवाई की जा सकती है।
![दलहनी फसलें](https://blog.gramik.in/wp-content/uploads/2025/02/blog-img-1024x576.jpg)
(B) तिलहनी फसलें
तिलहनी फसलें किसानों को तेल उत्पादन में मदद करती हैं और इनकी बाजार में अधिक मांग होती है।
- सरसों – कुछ क्षेत्रों में देर से बुवाई संभव है।
- सूरजमुखी – फरवरी में बोई जाने वाली तिलहनी फसल जो गर्मी में बेहतर उत्पादन देती है।
- ग्रीष्मकालीन सोयाबीन – फरवरी के अंत से इसकी बुवाई शुरू की जा सकती है।
2. सब्जियों की खेती
फरवरी में कई प्रकार की सब्जियां उगाई जा सकती हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- गर्मियों की सब्जियां:
- भिंडी, लौकी, करेला, तोरई, टमाटर, मिर्च, बैंगन
- हरी पत्तेदार सब्जियां:
- पालक, मेथी, धनिया, चौलाई
इन सब्जियों को नियमित सिंचाई और जैविक खाद की सहायता से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
![सब्जियों की खेती](https://blog.gramik.in/wp-content/uploads/2025/02/blog-img-02-1024x576.jpg)
3. ग्रीष्मकालीन अनाज फसलें
- मक्का – फरवरी-मार्च में बोई जाने वाली प्रमुख फसल।
- ग्रीष्मकालीन ज्वार – पशु चारे के लिए भी उपयोगी।
- बाजरा – सूखे क्षेत्रों के लिए बेहतर विकल्प।
![ग्रीष्मकालीन अनाज फसलें](https://blog.gramik.in/wp-content/uploads/2025/02/blog-img-03-1024x576.jpg)
4. फूलों की खेती
फरवरी में फूलों की खेती के लिए उपयुक्त समय है। प्रमुख फूल:
- गुलाब
- गेंदा
- सूरजमुखी
- रजनीगंधा
- चमेली
फूलों की खेती किसानों को अच्छा लाभ प्रदान कर सकती है, क्योंकि इनकी मांग पूरे वर्ष बनी रहती है।
![फूलों की खेती](https://blog.gramik.in/wp-content/uploads/2025/02/blog-img-04-1024x576.jpg)
5. फलदार पौधे
फरवरी में निम्नलिखित फलदार पौधों की रोपाई की जा सकती है:
- आम
- अमरूद
- अनार
- पपीता
- नींबू
इन पौधों की सिंचाई और खाद प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने से बेहतर उपज प्राप्त की जा सकती है।
![फलदार पौधे](https://blog.gramik.in/wp-content/uploads/2025/02/blog-img-06-1024x576.jpg)
6. चारा फसलें
पशुपालकों के लिए निम्न चारा फसलों की बुवाई लाभदायक होगी:
- बरसीम
- जई
- लोबस (हरी चारा फसल)
- मक्का-चारा
ये फसलें पशुओं के पोषण के लिए आवश्यक होती हैं और उनकी उत्पादकता को बढ़ाती हैं।
![चारा फसलें](https://blog.gramik.in/wp-content/uploads/2025/02/blog-img-07-1024x576.jpg)
7. राज्य अनुसार प्रमुख फसलें, जल आवश्यकताएँ और बीज मात्रा (फरवरी में बुवाई योग्य)
राज्य | प्रमुख फसलें | पानी की जरूरत (सेमी में) | बुवाई से कटाई के दिन | बीज की मात्रा (किग्रा/हेक्टेयर) |
उत्तर प्रदेश | मक्का, सब्जियां | 45-60 | 100-120 | 100-125 |
बिहार | मूंग, उड़द, टमाटर, मिर्च | 35-50 | 60-90 | 20-30 |
मध्य प्रदेश | मसूर, सूरजमुखी, बाजरा | 30-55 | 90-110 | 80-100 |
राजस्थान | जीरा, बाजरा | 25-45 | 120-140 | 3-5 (जीरा), 80-100 (बाजरा) |
महाराष्ट्र | मक्का, मूंग, उड़द, फलदार पौधे | 40-70 | 60-100 | 15-25 |
पंजाब | चारा फसलें | 50-80 | 110-130 | 100-125 |
कर्नाटक | ज्वार, बाजरा, मूंग, पपीता | 30-60 | 90-120 | 10-20 |
तमिलनाडु | सूरजमुखी, गन्ना, सब्जियां | 50-90 | 120-150 | 5-8 (सूरजमुखी), 5000-8000 (गन्ना) |
पश्चिम बंगाल | मक्का, सब्जियां | 45-70 | 80-100 | 80-100 (मक्का) |
गुजरात | मूंग | 35-55 | 100-120 | 20-30 |
8. खेती में वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग
आजकल किसान आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके खेती को अधिक उत्पादक बना रहे हैं। इनमें प्रमुख तकनीकें हैं:
- ड्रिप सिंचाई – जल की बचत और पौधों को सही मात्रा में नमी प्रदान करना।
- जैविक उर्वरक – मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारने के लिए जैविक खाद और गोबर खाद का उपयोग।
- फसल चक्र – मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए विभिन्न फसलों का चक्रीय रोपण।
FAQs
फरवरी में मूंग, उड़द, मसूर, सूरजमुखी, बाजरा, मक्का, जीरा, सब्जियां (टमाटर, मिर्च, भिंडी), और फलदार पौधों की बुवाई की जा सकती है।
फरवरी में टमाटर, मिर्च, बैंगन, लौकी, करेला, भिंडी, पालक और मेथी जैसी सब्जियां उगाना फायदेमंद होता है।
मिट्टी की जांच करवाकर आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करें, खेत की गहरी जुताई करें, जैविक खाद का उपयोग करें और फसल चक्र अपनाएं।
ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाकर जल की बचत करें, फसल की आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें और वर्षा आधारित क्षेत्रों में जल संरक्षण तकनीकों का उपयोग करें।
गौमूत्र, गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नीम खली और हरी खाद जैविक खेती के लिए उपयोगी होते हैं।
यह फसल के प्रकार पर निर्भर करता है, उदाहरण के लिए:
मूंग: 15-20 किग्रा/हेक्टेयर, कतारों की दूरी 30 सेमी।
बाजरा: 3-5 किग्रा/हेक्टेयर, कतारों की दूरी 45 सेमी।
सूरजमुखी: 5-8 किग्रा/हेक्टेयर, कतारों की दूरी 60 सेमी।
ड्रिप सिंचाई, फसल चक्र, जैविक उर्वरकों का उपयोग और उन्नत किस्मों के बीज अपनाकर फसल का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
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