प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है।
आजकल हो रही बे-मौसम बरसात से सबसे ज्यादा समस्या किसानों को हो रही है। फरवरी महीने में पश्चिमी विक्षोभ के कारण बारिश, आंधी और ओले गिरने की वजह से कई राज्यों के किसानों को बड़ी हानि हुई है। बारिश के साथ आई तेज़ हवाओं ने कई जगहों पर तैयार फसल को बर्बाद कर दिया है। किसानों की इस मुसीबत को कम करने के लिए सरकार और स्थानीय प्रशासन की ओर से कुछ मुवाबज़ा राशि देने का प्रावधान है।
झांसी मंडल में किसानों को भारी नुकसान
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, झांसी के किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। इसमें हमीरपुर के 51 गांव में 18000 से ज्यादा किसानों की 33 प्रतिशत फसलें बर्बाद हो गई हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा सर्वे कराकर शासन के सामने 23 करोड़ 29 लाख 10 हजार 370 रुपए की मांग रखी गई है।
किसानों को सिंचित भूमि पर 17000 प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा दिया जाएगा, जबकि असिंचित भूमि पर 8500 प्रति हेक्टेयर की मदद दी जाएगी। हालांकि किसान इस मुआवजे से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि उन्हें जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई इस राशि से नहीं हो पाएगी।
वही 1 मार्च से लेकर 4 मार्च तक हुई ओले और बारिश से किसान की फसलों को तीसरी बार नुकसान हुआ है। आपको बता दें प्रदेश के मुख्यमंत्री की ओर से 24 घंटे में किसानों को मुआवजा दिए जाने का निर्देश दिया गया है।
24 घंटे में मिलेगा किसानों को मुआवजा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बारिश व ओलावृष्टि के कारण किसानों की बर्बाद हुई फसलों की भरपाई करने के लिए 24 घंटे में मुआवजा देने की घोषणा की है। उन्होंने अधिकारियों को मौके पर जाकर सर्वे करने के निर्देश दिए हैं। आपको बताते चलें कि 2 मार्च तक यूपी के 50 जिलों के 7020 किसान फसल बर्बाद होने के कारण मुआवजा पाने के लिए आवेदन कर चुके हैं।
गेहूं, चना, सरसो, मटर फसलों का नुकसान
बारिश, तूफान और ओलावृष्टि की वजह से सरसो, मटर, मसूर, गेहूं, चना आदि फसलों को भारी नुकसान हुआ है। बारिश के बाद होने वाले नुकसान का सरकार आकलन करा रही है, उसी के अनुसार सरकार की तरफ से मुआवजे की राशि दी जाएगी। ये रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने किसानों को जल्द से जल्द मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं।
मुआवजे से किसानों की लागत की भरपाई हो पाएगी?
बारिश व ओले से फसल को नुकसान होने के बाद सरकार मुआवजा तो दे रही है, लेकिन इस निर्धारित राशि से उनके नुकसान की भरपाई नहीं हो पाएगी। किसानों का कहना है की सिंचित फसलों की बुवाई से लेकर प्रति हेक्टेयर 30 से 33000 की लागत आती है। वही असिंचित क्षेत्र में 24000 से 26000 रुपए की लागत आती है। ऐसे में मुआवजे के रूप में प्रति हेक्टेयर मिलने वाली राशि पर्याप्त नहीं है।
एक किसान ने बताया कि खाद ,बीज और सिंचाई के अलावा फसल में देखरेख व मजदूरी का खर्च भी अलग है। ऐसे में सरकार द्वारा जो राशि दी जा रही है, वो ऊंट के मुँह में जीरे के समान है। वही ओला पड़ने से कई किसानों की पूरी फसल चौपट हो गई है, जिनकी इस मुआवजे की राशि से लागत तक नहीं निकल रही है।
फसल नुकसान पर सरकार की मुआवजे की निर्धारित राशि
फसल को नुकसान होने पर सरकार की मुआवजे की निर्धारित राशि की बात करें तो राजस्व विभाग द्वारा प्राकृतिक आपदा में प्रभावित 33 फ़ीसदी से अधिक फसलों के नुकसान पर मुआवजा देने का प्रावधान है।
सिंचित क्षेत्र में प्रति एक हेक्टेयर 17000 और असिंचित क्षेत्र में 8.5 हजार की राशि दिए जाने का प्रावधान है। यह मुआवजा अधिकतम दो हेक्टेयर तक की फसलों के लिए दिया जाता है। इससे ज्यादा हानि होने पर राजस्व विभाग द्वारा किसी तरह के मुआवजे का प्रावधान नहीं है।
बांदा, प्रयागराज व चित्रकूट के किसानों को भी भारी नुकसान
आपको बता दें कि झांसी के साथ ही बांदा, प्रयागराज, चित्रकूट के किसानों को भी बेमौसम बारिश और ओले गिरने से किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि सरसों, चना, मसूर और गेहूं की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है।
बारिश के साथ आई तेज़ हवाओं के कारण तैयार फसल खराब हो गई। राजस्व और कृषि विभाग के अफसर गांव-गांव जाकर किसानों से बात कर नुकसान का आंकलन कर रहे हैं। आंकलन के बाद एक रिपोर्ट बनाई जाएगी, जिसके बाद प्रशासन किसानों को उचित मुआवजा देने की प्रकिया शुरू करेगा।
बागवानी और खेती से संबंधित और भी ब्लॉग पढ़ने के लिए किसान साथी ग्रामिक के website लिंक पर क्लिक करें –
अमरूद की बागवानी
नींबू की बागवानी
आंवले की बागवानी
Post Views: 3