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ब्लैक हार्ट से कैसे बचाएं आलू की फसल? जानें जरूरी उपाय!

ब्लैक हार्ट से कैसे बचाएं आलू की फसल
Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है। 

आलू एक ऐसी फसल है जो दुनिया भर में सबसे ज्यादा उगाई जाती है और हर घर में इसका इस्तेमाल भी होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आलू की फसल में एक खतरनाक विकार है, जिसे ब्लैक हार्ट कहते हैं? यह विकार आलू के कंदों को प्रभावित करता है और उनकी गुणवत्ता को गंभीर रूप से नुकसान पहुचाता है। 

ब्लैक हार्ट

जब आलू में ब्लैक हार्ट होता है, तो उसका रंग काला या गहरा भूरा हो जाता है और वह खाने लायक नहीं रह जाता है। ब्लैक हार्ट किसानों को आर्थिक नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में अगर आप भी आलू की खेती करते हैं, तो आपको आलू की फसल में ब्लैक हार्ट के कारण, लक्षण और इसे रोकने के उपायों के बारे में पूरी जानकारी होना बेहद जरूरी है। 

ब्लैक हार्ट के प्रमुख कारण

ब्लैक हार्ट का विकार मुख्य रूप से पर्यावरणीय स्थितियों और फसल प्रबंधन की गलतियों के कारण उत्पन्न होता है। इसे समझना और पहचानना जरूरी है, ताकि समय रहते इसके प्रभाव से बचा जा सके।

ब्लैक हार्ट के प्रमुख कारण

1. ऑक्सीजन की कमी

ब्लैक हार्ट का प्रमुख कारण कंदों में ऑक्सीजन की कमी है। अगर आलू के कंदों को भंडारण या खेत में अच्छे से हवा नहीं मिलती, तो अंदर से कंद के ऊतक मरने लगते हैं, और उनका रंग काला या भूरा पड़ जाता है। आलू को अगर सँकरे स्थानों पर रखा जाता है, या अगर भंडारण स्थल में हवा का उचित प्रवाह नहीं होता है, तो यह समस्या और भी बढ़ सकती है।

2. बहुत ज्यादा गर्मी

जब आलू के कंद बहुत ज्यादा गर्मी में रहते हैं, तो उनके अंदर के ऊतक मरने लगते हैं। यदि कटाई के बाद आलू को जल्दी ठंडा नहीं किया जाता या यदि उनका तापमान 30°C से ऊपर बढ़ जाता है, तो ब्लैक हार्ट का खतरा बढ़ जाता है। खासकर गर्मियों में इस समस्या का अधिक प्रकोप होता है। 

3. मिट्टी में पानी का भराव

गहरी और गीली मिट्टी में आलू के कंदों को ऑक्सीजन मिलना मुश्किल हो जाता है। पानी की अधिकता या जलभराव वाली परिस्थितियों में कंद के ऊतक खराब हो जाते हैं और ब्लैक हार्ट का खतरा बढ़ता है। जलभराव वाली मिट्टी में यह विकार बहुत अधिक देखा जाता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ उचित जल निकासी की व्यवस्था नहीं होती है।

4. भंडारण की गलत स्थिति

भंडारण के समय अगर आलू को सही तरीके से नहीं रखा जाता, तो ब्लैक हार्ट का खतरा बढ़ सकता है। आलू को ऐसे गोदाम में रखने से जहां वेंटिलेशन की कमी हो, कंदों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप, कंद में ब्लैक हार्ट विकार उत्पन्न हो सकता है। साथ ही, तापमान में अचानक बदलाव या असमान ठंडक भी इस विकार को बढ़ा सकती है।

5. पोषक तत्वों की कमी

आलू की अच्छी वृद्धि के लिए जरूरी पोषक तत्वों का सही संतुलन बहुत ज़रूरी है। अगर मिट्टी में कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी होती है, तो आलू के कंद कमजोर हो जाते हैं और ब्लैक हार्ट का खतरा बढ़ जाता है। असंतुलित उर्वरक का प्रयोग भी इस विकार को उत्पन्न कर सकता है।

ब्लैक हार्ट के लक्षण

ब्लैक हार्ट के लक्षणों को पहचानना और समय रहते इसका इलाज करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे फसल की गुणवत्ता और बाजार मूल्य पर गहरा असर पड़ता है।

ब्लैक हार्ट के लक्षण

1. आलू के अंदर काले धब्बे

ब्लैक हार्ट का प्रमुख लक्षण आलू के कंद के अंदर गहरे काले या भूरा धब्बे दिखाई देना है। ये धब्बे धीरे-धीरे बढ़ते हैं और कंद के ऊतकों को पूरी तरह से प्रभावित कर सकते हैं। ये धब्बे कंद के खाने योग्य हिस्से को नष्ट कर देते हैं।

2. नम और सड़ी आलू

ब्लैक हार्ट से प्रभावित आलू जल्दी सड़ने लगते हैं। कंद नम हो जाते हैं और उनका स्वाद भी खराब हो जाता है। जब आलू को काटा जाता है तो उसमें सड़ी हुई गंध आती है।

3. आलू की गुणवत्ता में गिरावट

ब्लैक हार्ट से प्रभावित आलू का स्वाद और बनावट खराब हो जाती है। उनकी बाजार में बिक्री कम हो जाती है और किसानों को बड़ा नुकसान होता है। 

ब्लैक हार्ट के लक्षण

ब्लैक हार्ट का असर न केवल आलू की फसल पर पड़ता है, बल्कि इसके आर्थिक और व्यापारिक प्रभाव भी होते हैं:

ब्लैक हार्ट के लक्षण

1. आर्थिक नुकसान

ब्लैक हार्ट से प्रभावित आलू बाजार में कम कीमत पर बिकते हैं या फिर बिक्री नहीं होती है। इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होता है। प्रोसेसिंग उद्योग में भी ऐसे आलू का उपयोग नहीं किया जा सकता, जिससे आलू प्रसंस्करण उद्योग को भी नुकसान होता है।

2. गुणवत्ता में गिरावट

ब्लैक हार्ट से प्रभावित आलू का स्वाद और पोषण मूल्य घट जाता है, जिससे उपभोक्ता इन आलू को खरीदने में रुचि नहीं रखते। इस प्रकार, उनकी बिक्री कम हो जाती है।

3. भंडारण में समस्या

ब्लैक हार्ट से प्रभावित आलू जल्दी सड़ने लगते हैं, जिससे भंडारण अवधि कम हो जाती है। इससे आलू की अधिक बर्बादी होती है और किसानों को नुकसान होता है।

ब्लैक हार्ट से बचने के उपाय

ब्लैक हार्ट का प्रभाव कम करने और आलू की फसल को सुरक्षित रखने के लिए कुछ प्रभावी उपाय हैं।

ब्लैक हार्ट से बचने के उपाय

1. खेत में जल निकासी की व्यवस्था

आलू की फसल के लिए यह जरूरी है कि खेत में जलभराव न हो। इसके लिए अच्छे जल निकासी की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि कंदों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल सके।

2. सिंचाई और पोषण प्रबंधन

आलू के खेत में सिंचाई सही समय पर करें और पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखें। कैल्शियम, पोटैशियम और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की सही मात्रा का उपयोग करें ताकि कंद मजबूत बने रहें।

3. खुदाई और भंडारण का सही तरीका

आलू की खुदाई सुबह या शाम के समय करें, जब तापमान कम हो। खुदाई के बाद आलू को छायादार और हवादार स्थान पर रखें ताकि वे जल्दी ठंडे हो सकें। भंडारण के दौरान तापमान को 3-4°C तक बनाए रखें और वेंटिलेशन का ध्यान रखें।

4. CO₂ और O₂ का परीक्षण करें

भंडारण के दौरान ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर की निगरानी करें ताकि आलू में ऑक्सीजन की कमी न हो और ब्लैक हार्ट से बचाव हो सके।

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