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भारत में नींबू वर्गीय फसल मौसम्बी की खेती सबसे अधिक महाराष्ट्र में होती है। इसके अलावा इसकी खेती आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यो मे भी बड़े पैमाने पर होती है।
मौसंबी की खेती किसानों की कमाई का अच्छा जरिया बन सकती है, क्योकि बाजारों में इस फल की मांग हमेशा बनी रहती है, और मूल्य भी अच्छा मिलता है। मौसम्बी के फलों का सबसे अधिक प्रयोग.जूस के रूप में किया जाता है।आपको बता दें कि इसकी खेती गर्मी व ठंडी दोनों मौसम में की जाती है।
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मौसंबी की बागवानी के लिए मिट्टी व जलवायु
मौसंबी की खेती सामान्य बनावट वाली दोमट मिट्टी में की जाती है। उचित जल निकासी वाली उपजाऊ भूमि को भी इसकी खेती के लिए आदर्श माना गया है। इसकी उन्नत खेती के लिए भूमि 1.5 से 2 मीटर गहराई वाली होनी चाहिए।
भूमि की 5 फ़ीट की गहराई तक कड़ी मिट्टी व चट्टानी तल बिल्कुल न हो। इसके अलावा P.H. मान 5.5 से 7.5 होनी चाहिए। वहीं जलवायु की बात करें तो मौसंबी की खेती के लिए गर्मी और सर्दी दोनों ही जलवायु उपयुक्त हैं।
मौसंबी के पौधों की रोपाई
मौसम्बी की बागवानी के लिए सबसे पहले खेत की तैयारी कर लें। इसके लिए किसान साथी सबसे पहले मिट्टी की गहरी जुताई करें। ऐसा करने से पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं।
इसके बाद खेत में गोबर की खाद डालें और इसे रोटावेटर से अच्छी तरह मिला लें। खेत की तैयारी करने के बाद आप पौधों की रोपाई के लिए गड्ढे बना लें। किसान साथी ध्यान रखें कि गड्ढे से गड्डे के बीच की दूरी 7 से 8 फीट होनी चाहिए।
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वहीं गड्डे के आकार की बात करें तो ये लगभग 60 सेंटीमीटर चौड़ा और 70 सेंटीमीटर गहरा होना चाहिए। इस तरह गड्ढे तैयार करने के बाद आप इसमें पौधों की रोपाई कर सकते हैं। रोपाई करने के तुरंत बाद आप इसकी पहली सिंचाई तुरंत करें।
मौसंबी की खेती के लिए खाद व उर्वरक
मौसंबी एक बहुवर्षीय बागवानी फसल है। इसके पौधों के उचित विकास औरअच्छी उपज लेने के लिए आप इसमें समय समय पर खाद और उर्वरक का छिड़काव करें। पहले साल पौधे में आवश्यकतानुसार गोबर की खाद, नीम की खाद, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश आदि का छिड़काव करें।
इस तरह समय- समय पर खाद का छिड़काव करें और सिंचाई करते रहें। इस तरह उचित देखभाल के साथ लगभग 3 सालों में मौसम्बी के फल आने शुरू हो जाएँगे।
मौसंबी के पौधों की सिंचाई
मौसंबी के खेत में लगाए गए पौधों को स्थिर होने में 2 महीने का समय लग जाता है। लगाए पौधों की आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करते रहें। मौसंबी की सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई विधि सबसे ज़्यादा कारगर हो सकती है।
गर्मी के मौसम में पौधों को 5 से 10 दिन के अंतराल पर और ठंड के मौसम में 10 से 15 दिन के अंतराल में पौधों में पानी दें। इसके साथ ही किसान साथी इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि बारिश के मौसम में जल भराव न होने पाए।
मौसंबी की उपज
मौसंबी का पेड़ रोपाई के 3 साल बाद फल देने के लिए तैयार हो जाता है. हालांकि बेचने लायक ज्यादा और अच्छी तादाद में फल आने में 5 साल तक का समय लगता है। मौसंबी का एक पेड़ 20 से 30 किलो तक की उपज दे सकता है।
वहीं इसके एक से दो वर्षो बाद इसकी पैदावार और बढ़ जाती है। ऐसे में अगर आप 50 पेड़ की भी बागवानी करते हैं, तो इनसे आपको एक बार में 25 क्विंटल तक फल मिल सकते हैं। मौसंबी के बाजार भाव की बात करें तो ये 40 रुपए से लेकर 70 रुपए किलो तक होता है।
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किसान साथियों, ग्रामिक पर कई फलों के बीज उपलब्ध हैं। आप इन्हें बेहद किफायती मूल्य पर घर बैठे ऑर्डर कर सकते हैं।
FAQ
महाराष्ट्र भारत का सबसे बड़ा मौसम्बी उत्पादक राज्य है। इसके अलावा भारत के कई अन्य हिस्सों में भी मौसम्बी की खेती की जाती है।
मौसम्बी के पौधे की रोपाई के बाद इसमें 3 साल में फल आने लगते हैं।
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