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केसर शब्द सुनते ही आपके दिमाग में जो सबसे पहले आता है, वो है इसकी कीमत, क्योंकि ये लाखों रुपए किलो बिकता है। कई लोग तो इसकी तुलना सोने से भी करते हैं। करें भी क्यों ना, आखिर केसर भी तो सोने की तरह ग्राम और तोले में बेचा जाता है।
लेकिन इन सब के बीच जो सबसे बड़ा सवाल है वो ये, कि अगर ये इतना ही महंगा बिकता है तो फिर गेंहू-धान उगाने वाला किसान केसर की खेती करके अच्छे पैसे क्यों नहीं कमाता?
तो चलिए ग्रामिक के इस ब्लॉग में केसर की खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं-
केसर की खेती के लिए जलवायु व समय
केसर की खेती ठंडे प्रदेशों में आसानी से की जा सकती है। इसकी फसल ठंड और बर्फ को आसानी से सहन कर सकती है। पौधों की अच्छी उपज के लिए फसल को कम से कम 8 से 10 घंटे प्रकाश मिलना जरूरी होता है। केसर की खेती के लिए उपयुक्त समय की बात करें तो इसकी खेती अगस्त के महीने में होती है।
केसर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
भारत में केसर की खेती कश्मीर के पंपोर इलाके में ज्यादा होती है। इसके बाद बडगाम और श्रीनगर में भी केसर की खेती की जाती है। हालांकि दूसरे अधिक ऊंचाई वाले ठंडे क्षेत्रों में भी इसकी खेती की जा सकती है। यदि हम इसकी खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी की बात करें, तो केसर की खेती के लिए लाल मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है।
केसर की उन्नत किस्में
वर्तमान समय में केसर की 2 किस्में खूब प्रचलन में हैं, जिसमे पहली किस्म कश्मीरी केसर और दूसरी अमेरिकन केसर है।
कश्मीरी केसर की खेती
कश्मीरी केसर सबसे महंगी किस्म है, जिसकी प्रति किलोग्राम कीमत लगभग 3 से 4 लाख रुपए से भी अधिक है। इसका पौधा लगभग 20 से 25 सेंटीमीटर ऊंचा और इस पौधे से सफेद, नीले व बैंगनी रंग के फूल निकलते है।
फूल के अंदर 2 से 3 लाल या नारंगी रंग की पंखुड़ियां निकलती है, यहीं फाइबर केसर होता है। लगभग 75 हजार फूलों से मिली पंखुड़ियो को मिलाकर 450 ग्राम केसर तैयार होता है।
क्या है अमेरिकन केसर का सच
इन दिनों कश्मीर जैसे ठंडे प्रदेशों के अलावा भी केसर की बुआई और अच्छे उत्पादन के कई मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन कृषि विशेषज्ञों का दावा है कि यह असली केसर नहीं है, बल्कि यह कुसुम है।
राजस्थान में भी केसर उगाने की बात सामने आई है, लेकिन कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान की जलवायु केसर के लिए उपयुक्त नहीं है। केसर के लिए अधिकतम 15 डिग्री तापमान चाहिए। वहीं, कुसुम के पौधे 30 से 40 डिग्री तापमान भी सहन कर लेते हैं।
केसर की पैदावार 8 बीघा में ज्यादा से ज्यादा एक किलो होती है, जबकि कुसुम एक बीघा में 15 से 20 किलो तक पैदा होती है। केसर सुगंधित होती है, वहीं कुसुम में कोई सुगंध नहीं होती।
असली केसर के नाम पर इस अमेरिकन केसर की खेती राजस्थान के अलावा हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में हो रही है। इसलिए केसर की फसल के लिए कोई भी कदम उठाने से पहले कृषि विभाग के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें और बीज का लैबोरेट्री से परीक्षण कराएं।
आपको बता दें कि असली केसर पानी में डालने पर हल्का रंग छोड़ती है जबकि कुसुम पानी में डालते ही गहरा रंग छोड़ती है। इस तरह आप असली व नकली केसर की पहचान कर सकते हैं।
फूल से कैसे तैयार होता है केसर
केसर को पौधों में जब फूल निकल आते हैं, तो इन फूलों को तोड़ लिया जाता है और फिर इन फूलों को अंदर पतले-पतले धागे जैसे पुंकेसर होते हैं, उसे चुना जाता है और सुखाया जाता है। केसर के फूल हल्के बैंगनी रंग के होते हैं और इनके अंदर पुंकेसर लाल या फिर केसरी रंग का होता है। कहते हैं कि 160 केसर के फूलों से जब पुंकेसर निकाला जाता है तब जाकर कहीं वह एक ग्राम बनता है।
हालांकि, इसमें एक फायदा है कि केसर के बीजों की रोपाई बार-बार नहीं करनी पड़ती। एक बार बीज रोपने के बाद लगभग 15 सालों तक इसमें फूल लगते रहते हैं और फिर 15 साल बाद इसके बीजो को जब किसान जमीन के अंदर से निकाला जाता है, तो इसमें भी लहसुन की तरह कई और बीज लगे होते हैं।
आपको शायद पता होगा कि हम लहलुन की एक कली जमीन में बोते हैं, जिससे लहसुन का पूरा कंद बनता है, और इसमें कई कलियां होती हैं।
केसर की खेती कौन कर सकता है?
कानूनी रूप से देखा जाए तो केसर की खेती भारत के किसी भी हिस्से में रहने वाला किसान कर सकता है। लेकिन, जलवायु की दृष्टि से देखा जाए तो यह मुमकिन नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि केसर की खेती के लिए जो वातावरण और मिट्टी चाहिए वो कश्मीर के कुछ हिस्सों को छोड़ कर भारत में कहीं नहीं मिलती है।
इसलिए चाह कर भी भारत के अन्य क्षेत्रों के किसान इसकी खेती नहीं कर सकते। सोने जैसी इसके कीमत की बात करें तो, आपको बता दें, इसकी पैदावार बेहद कम है और डिमांड बहुत ज्यादा है, यही वजह कि केसर की कीमत डेढ़ दो लाख रुपए तक हो सकती है।
FAQs
ईरान ने केसर की खेती के लिए एयरोपोनिक तकनीक विकसित की है। माना जा रहा है कि इस तकनीक से केसर की खेती किसी भी तरह की जलवायु में संभव हो सकेगी।
केसर में मिलावट का पता लगाने के लिए एक कांच का जार लेकर इसमें 70 से 80 डिग्री तक गर्म किया गया पानी डालें। इसके बाद इसमें केसर की कुछ पंखुडियां डालें। अब अगर आपका केसर असली है तो पानी में इसका रंग धीरे-धीरे छूटेगा, और यदि केसर में मिलावट की गयी है तो केसर से गहरा रंग तुरंत छूटने लगेगा।
भारत में सबसे बड़ा केसर उत्पादक राज्य जम्मू और कश्मीर है।
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