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भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने घोषणा की है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून केरल में प्रवेश कर चुका है। 30 मई 2024 को, मॉनसून पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों की ओर बढ़ गया है। IMD ने मॉनसून के 31 मई तक केरल पहुंचने का अनुमान लगाया था, लेकिन इस साल एक दिन पहले ही मॉनसून ने केरल में दस्तक दी है।
राज्य के कोट्टायम और एर्नाकुलम समेत कई जिलों में बारिश ने मौसम को सुहाना बना दिया है और भीषण गर्मी से राहत दिलाई है। जल्द ही मॉनसून दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र समेत देश के अन्य हिस्सों में भी पहुंचेगा।
चलिए इस ब्लॉग में जानते हैं कि किस राज्य में मॉनसून कब पहुंचेगा-
दक्षिण भारत में मॉनसून की दस्तक
दक्षिण भारत के कई इलाकों में तेज बारिश के साथ मॉनसून ने एंट्री कर ली है। केरल के कई जिलों में बारिश के साथ तेज हवाएं भी चल रही हैं। IMD के अनुसार, सामान्यत: केरल में मॉनसून पहुंचने की तारीख 1 जून मानी जाती है, हालांकि इसमें 3-4 दिन का अंतर सामान्य माना जाता है। लेकिन इस साल मॉनसून के पहले आने से उन लोगों को बड़ी राहत मिली है जो गर्मी से परेशान थे।
केरल में शुरू हुई मॉनसूनी बारिश
30 मई 2024 को IMD ने घोषणा की कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून केरल में प्रवेश कर चुका है। कोट्टायम और एर्नाकुलम के कई जिलों में मॉनसूनी बारिश की शुरुआत हो चुकी है, जिससे कई दिनों से भीषण गर्मी से परेशान लोगों को राहत मिली है।
पूर्वोत्तर भारत की ओर बढ़ता मॉनसून
केरल में मॉनसूनी बारिश की शुरुआत के बाद यह पूर्वोत्तर भारत की ओर बढ़ गया है। अब असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, और नागालैंड के इलाकों में बारिश होगी। इसके बाद महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी मॉनसून पहुंचेगा और बारिश शुरू होगी।
राज्यों में मॉनसून आने की अनुमानित तिथियां
देश के प्रमुख राज्यों में राज्यों में मॉनसून आगमन की अनुमानित तिथियों की बात करें तो केरल, तमिलनाडु, और दक्षिण भारत के कई हिस्सों में 1 जून को मॉनसून आएगा। वहीं कर्नाटक, असम, और आंध्र प्रदेश में 5 जून को, महाराष्ट्र, तेलंगाना, और पश्चिम बंगाल 10 जून को, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, और बिहार में 15 जून, उत्तर प्रदेश में 20 जून, गुजरात, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, और कश्मीर में 25 जून और 30 जून को दिल्ली, हरियाणा, व पंजाब में मॉनसून आने की उम्मीद है।
समय से पहले कब-कब आया मॉनसून
IMD के निदेशक मृत्युंजय महापात्रा का कहना है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का 1 जून से पहले आना सामान्य बात है। इससे पहले 2022 में मॉनसून 29 मई को पहुंचा था, जबकि अनुमानित तारीख 27 मई थी। IMD के आंकड़े बताते हैं कि 2006 से 2011 तक लगातार हर साल मॉनसून समय से पहले आया है।
मॉनसून का यह समय से पहले आना न केवल गर्मी से राहत देने वाला है बल्कि यह फसलों के लिए भी लाभकारी साबित होगा। किसानों को समय पर बारिश मिलना उनके कृषि कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे खेती की शुरुआत सही समय पर हो सके।
FAQ
भारत में मॉनसून दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के कारण होता है जो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी उठाकर देश के विभिन्न हिस्सों में वर्षा करते हैं। यह पवन प्रणाली हिमालय पर्वत श्रृंखला से टकराकर उत्तर की ओर बढ़ती है।
भारत की कृषि काफी हद तक मॉनसून पर निर्भर है। खरीफ फसलों, जैसे धान, मक्का, सोयाबीन आदि की बुवाई और विकास के लिए मॉनसून की वर्षा बहुत ज़रूरी मानी जाती है। अच्छी वर्षा से फसलें अच्छी होती हैं, जबकि कम या अनियमित वर्षा से सूखा और फसल का नुकसान हो सकता है।
मॉनसून के दौरान पश्चिमी घाट, पूर्वोत्तर भारत, और हिमालय के तलहटी क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। केरल, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, असम, और उत्तराखंड जैसे राज्यों में भारी वर्षा होती है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) विभिन्न मौसम मॉडल्स, सैटेलाइट डेटा, और ऐतिहासिक आंकड़ों का उपयोग करके मॉनसून की भविष्यवाणी करता है। IMD मानसून के आगमन, प्रगति, और वर्षा की मात्रा के बारे में पूर्वानुमान जारी करता है।
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