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दोस्तों, अगर राह चलते आपको छोटा सेब या अमरूद जैसा कोई फल दिखे, तो उसे सेब या अमरूद ना समझिए, वह बेर हो सकता है। जी हां, इस विशेष बेर को थाई एप्पल बेर कहा जाता है।
थाई एप्पल बेर क्या है?
सेब की तरह दिखने वाले ये चमकदार और बड़े आकार के बेर बाज़ार में ग्राहकों को काफ़ी आकर्षित कर रहे हैं। यही कारण है कि देश में इस विदेशी फल यानि थाईलेंड के एप्पल बेर को भी बड़े पैमाने पर आजमाया जा रहा है।
एप्पल बेर 30 ग्राम से लेकर 120 ग्राम तक के वज़न के होते हैं। देखा जाए तो सामान्य बेरों की मांग और कीमत दोनों ही कम रहती है। इसलिए किसानों को इस फल से कुछ खास आमदनी नहीं हो पाती थी।
लेकिन जब से एप्पल बेर आया है, तबसे किसान इस फल से ख़ूब कमाई कर रहे हैं। भारत में एप्पल बेर की बागवानी को अभी ज़्यादा समय नहीं हुआ है। किसान इस फल को सिर्फ़ 15 सालों से उगा रहे हैं। इस फल की एक खासियत ये भी है कि ये कम सिंचाई वाले इलाक़े में भी अच्छा उत्पादन देता है।
थाई एप्पल बेर की बागवानी (Thai Apple Cultivation) के फायदे
महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केन्द्र, गोरखपुर के बागवानी विशेषज्ञ डॉ.अजीत श्रीवास्तव ने मीडिया से बात-चीत करते हुए कहा कि बाज़ार में ‘एप्पल बेर’ की डिमांड काफ़ी बढ़ रही है।
जहां कम सिंचाई वाले इलाकों में दूसरी फसलों की बागवानी करने में समस्या होती है, वहीं इस फल की बागवानी में आपको अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। कृषि वैज्ञानिक आजकल किसानों को हाई वेल्यू फलों की खेती की सलाह दे रहे हैं, इसमें एप्पल बेर की बागवानी से भी किसान अच्छी आमदनी ले सकते हैं।
आज आंध्र प्रदेश से लेकर उत्तर प्रदेश तक और बंगाल से लेकर महाराष्ट्र तक के बहुत से किसान ‘एप्पल बेर’ की बागवानी कर लोगों की सेहत के साथ अपनी आर्थिक स्थिति भी सुधार रहे हैं थाई एप्पल बेर का पौधा रोपाई के 6 महीने बाद से ही फल देने लगता है, और पांच साल के बाद एक पेड़ सालाना 100 किलो तक की उपज देता है।
थाई एप्पल बेर के लिए उपयुक्त समय व जलवायु
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार बेर के पेड़ जुलाई- अगस्त या फरवरी से मार्च में लगाए जा सकते है। बेर की पौधों की रोपाई के लिए गड्ढों की लंबाई-चौड़ाई व गड्ढों की गहराई 2 बाई 2 फीट रखी जाती है। इनमें प्रति गड्ढे 20 किलो गोबर की खाद डाली जाती है, और अगर ऊसर भूमि है तो 1 किलो जिप्सम मिलाकर गड्ढों को भर दिया जाता है। इसके बाद पौधों की रोपाई करके 15-20 दिन पर हल्की सिंचाई करते रहें।
बेर के लिए मिट्टी की जांच के आधार पर आप कृषि विशेषज्ञ द्वारा सुझाए गए उर्वरकों का इस्तेमाल कर सकते हैं। एप्पल बेर में 6 महीने में फलत आने लगती है ,इस फल की एक और खूबी ये है कि एक बार पौधा लगाने के बाद इससे करीब 15-20 साल तक लगातार आप फलत ले सकते हैं। इसके अलावा इस बागवानी में ज़्यादा रख रखाव व लागत की भी आवश्यकता नहीं होती है।
एप्पल बेर की बागवानी करने वाले किसानों के अनुसार पहले साल से प्रति पेड़ 20 से 25 किलो फल मिलने लगते हैं, जो दूसरे साल के बाद से लगभग 50 किलो प्रति पेड़ हो जाता है। लेकिन जैसे-जैसे पौधों की बढ़वार होती है, वैसे-वैसे फलों की मात्रा में भी वृद्धि होती है।