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अगर आप एक प्रगतिशील किसान हैं, और खेती में कुछ नया करना चाहते हैं, तो इस बार आपको संतरा की खेती करनी चाहिए। संतरा एक नींबूवर्गीय फल है, जोकि भारत में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। भारत में फलों की खेती में केला और आम के बाद संतरे की खेती सबसे ज़्यादा की जाती है। भारत में प्रति वर्ष लगभग 4.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में संतरे की खेती की जाती है, जिससे लगभग 52 लाख टन संतरे का उत्पादन प्राप्त होता है।
भारत में संतरे की खेती करने वाले प्रमुख राज्य
यूं तो भारत में नागपुर संतरे की खेती के लिए मशहूर है। महाराष्ट्र में लगभग 80 प्रतिशत संतरे का उत्पादन होता है। लेकिन आज के समय में संतरे की कई उन्नत किस्में विकसित की जा चुकी है, जिससे अब अन्य राज्यो में भी संतरे की खेती की जा सकती है। भारत में संतरे की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में की जाती है।
संतरे की उन्नत किस्में
भारत में संतरे की उगाई जाने वाली किस्मों में नागपुरी संतरा, खासी संतरा, कुर्ग संतरा, पंजाब देसी, दार्जिलिंग संतरा व लाहौर लोकल आदि प्रमुख हैं। नागपुर का संतरा भारत एवं विश्व में सबसे अच्छा माना जाता है।
संतरे की खेती के लिए उचित तापमान व जलवायु
संतरे की खेती के लिए शुष्क जलवायु की जरूरत होती है। इसी पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है। संतरे के फलों को पकने के लिए गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। संतरे के पौधे लगाने के समय करीब 20 से 25 डिग्री के बीच तापमान रहना चाहिए। उसके बाद अच्छे विकास के लिए करीब 30 डिग्री के आसपास के तापमान की जरुरत होती है।
आपको बता दें कि संतरे के पौधे की रोपाई के बाद तीन से चार साल बाद फल आने लगते हैं। किसान साथी सर्दियों में पौधों का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि इस मौसम में पड़ने वाला पाला संतरे की फसल के लिए हानिकारक होता है।
संतरे की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
संतरे की खेती लगभग सभी प्रकार की अच्छे जल निकास वाली जीवांश युक्त मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन गहरी दोमट मिट्टी इसके लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। खेत में मिट्टी की गहराई 2 मीटर तक की होनी चाहिए। मिट्टी का पीएच मान 4.5 से 7.5 तक का होना चाहिए।
संतरे की खेती का सही समय
यदि किसी फसल की खेती समय से पहले या बाद में करते हैं तो फसल बर्बाद होने का ख़तरा बढ़ जाता है व सही उपज भी नहीं प्राप्त होती है। अगर संतरे की बागवानी की बात करें तो इसके पौधों की रोपाई करने का सबसे सही समय गर्मी में जून व जुलाई व ठंड के समय में फरवरी से लेकर मार्च तक का महीना सबसे अच्छा होता है।
संतरे की खेती के लिए खेत की तैयारी
संतरे के पौधे को लगाने से पहले खेत को अच्छी तरह तैयार करना बहुत आवश्यक होता है। संतरे की खेती करते समय खेत की मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए खेत में दो से तीन बार कल्टीवेटर से जुताई कर लें। जुताई करने के बाद खेत में पाटा लगाकर खेत को समतल बना लें, ताकि पौधरोपण व सिंचाई में आसानी हो। पौधा लगाने के एक महीने पहले खेतों में गढ्डे खोद कर उसमें खाद-पानी डालने से मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ जाती हैं।
संतरे के पौधों की तैयारी
संतरे के पौधे को खेत में लगाने से पहले इसके पौधे को नर्सरी में तैयार किया जाता है। इसके लिए संतरे के बीजों को राख में मिलकर सूखने के लिए छोड़ दें। फिर बीज को नर्सरी में मिट्टी भरकर तैयार किये गए पॉलीथिन बैग में लगाया जाता है। ध्यान रहे कि हर बैग में दो से तीन बीज ही डालें। अंकुरण की बात करें, तो संतरे के बीजों को अंकुरित होने में दो से तीन सप्ताह तक का समय लग जाता हैं।
संतरे के पौधे की रोपाई का तरीका
संतरे की पौध नर्सरी में तैयार करने के बाद उन्हें खेत में तैयार किये गए गड्डों में लगाया जाता है। इसके लिए सबसे पहले खुरपी की मदद से गड्डा तैयार कर लें। पौधा लगाने से पहले गढ्ढे में 20 किलोग्राम गोबर की खाद और 1 किलोग्राम सुपर फास्फेट डालें। संतरे के पौधे में दीमक नियंत्रण के लिए मिथाइल पेराथियान 50-100 ग्राम हर गढ्ढे में मिलाएं। अब इसमें पौधे की पॉलीथिन हटाकर उसे लगा दें और फिर गद्दे में चारों तरफ से मिट्टी से भर दें।
संतरे की खेती में सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन
किसी भी फसल या बागवानी के लिए सही मात्रा में खाद एवं उर्वरक का प्रयोग करना बहुत आवश्यक होता है। संतरे के हर पौधे में 500 ग्राम पोटाश और फॉस्फोरस डालें, साथ ही हर वर्ष 800 ग्राम नाइट्रोजन देना भी जरूरी होता है। जिंक व सल्फ़ेट का प्रयोग अप्रैल और जून महीने में करें, जिससे पेड़ों के सूखने का खतरा ना के बराबर रहता है।
संतरे की फसल में सिंचाई मौसम के हिसाब से करें। एक सिंचाई पौधरोपण के तुरंत करें, जिससे पौधा मुरझाये ना। ठंड के दिनों में 25 से 30 दिन के अंतराल में सिंचाई करें, वहीं गर्मी के मौसम में 10 से 12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहें।
संतरे के फलों की तुड़ाई
संतरे के फलों की तुड़ाई जनवरी से मार्च के बीच की जाती है। जब फलों का रंग पीला और आकर्षक दिखाई दें, तब उन्हें डंठल सहित काट लेना चाहिए। डंठल सहित काटने से फल ज्यादा समय तक ताज़े बने रहते हैं। संतरों को तोड़ने के बाद साफ गीले कपड़े से पोछ लें और छायादार स्थान पर रख दें। इसके बाद फलों को किसी हवादार बॉक्स में सूखी घास डालकर रख दे। अब बॉक्स को बंद कर इस फल को बाज़ार में बेचने के लिए भेज सकते है।
संतरे की खेती से उत्पादन व कमाई
संतरे की खेती में उत्पादन पौधे की देखरेख पर निर्भर करता है। जितनी अच्छी पौधों की देखरेख होगी, उतनी अधिक उपज मिलेगी । संतरे के एक पूर्ण विकसित पौधे से करीब 100 से 150 किलोग्राम तक पैदावार मिल सकती है। एक एकड़ खेत में लगभग 100 पौधे लगाकर 10000 से 15000 किलो तक कि उपज ली जा सकती है।
संतरे का बाज़ार में थोक भाव करीब 20 से 40 रूपये प्रति किलो तक का होता है। यानि आप एक एकड़ संतरे की खेती से 1 लाख 50 हज़ार रुपये से लेकर 4 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं। संतरे का भण्डारण 5 से 7 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 85 से 90 प्रतिशत आद्रता के साथ 3 से 5 सप्ताह तक आसानी से किया जा सकता है।
FAQ
संतरे का पेड़ का उत्पादन काल 50-60 साल तक का हो सकता है। इसकी उम्र पौधे के देख-भाल पर निर्भर करती है।
संतरे की खेती के लिए नागपुर सबसे ज़्यादा प्रसिद्ध है।
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