Informative

Soil Health: मिट्टी की सेहत बनाये रखने के लिये किसान साथी करें ये 4 उपाय!

Soil Health: मिट्टी की सेहत
Written by Gramik

प्रिय पाठकों ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है!

अच्छी उपज के लिए अलग-अलग तरह की मिट्टी में अलग-अलग तरह की फसलों का चयन (Soil based Farming) करना बहुत आवश्यक होता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार दूसरे देशों के मुकाबले भारत की मिट्टी ज्यादा उपजाऊ है।

यहां के खेतों में मिट्टी में कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थों के साथ जैविक व खनिज पदार्थ भी पाये जाते हैं, लेकिन रासायनों के बढ़ते इस्तेमाल के कारण मिट्टी अपनी उपजाऊ क्षमता खोती जा रही है, जिससे फसलों से मिलने वाली उपज तो प्रभावित हो ही रही है।

सिर्फ़ 52% भूमि पर हो सकती है खेती

कृषि क्षेत्र को लेकर वैज्ञानिक तरह तरह के शोध करते रहते हैं, ऐसी ही एक रिसर्च में सामने आया है कि आज विश्व में सिर्फ 52% मिट्टी पर ही खेती की जा सकती है, ऐसे में किसान साथियों को इस समस्या के प्रति जागरुक करने और जैविक खेती के साथ-साथ दूसरे जैव उपायों को अपनाकर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बचाना बेहद जरूरी है।

दलहन की खेती को दें बढ़ावा 

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार एक के बाद एक लगातार धान गेंहू जैसी पारंपरिक फसलों की खेती नहीं करनी चाहिये, इससे मिट्टी के की सारी शक्ति खत्म हो जाती है और अगली फसल का उत्पादन प्रभावित होता है। इस समस्या से बचने के लिए आप एक बार धान गेंहू जैसी फसलें उगाकर, दूसरी बार दालों की खेती से कर सकते हैं। दलहनी फसलों के बीज आप ग्रामिक से बहुत ही किफायती दामों में ख़रीद सकते हैं।

Soil Health : मिट्टी की सेहत

बता दें कि दलहनी फसलों की खेती करके मिट्टी में जरूरी पोषण तत्वों की कमी पूरी हो जाती है, और मिट्टी को प्राकृतिक तरीके से ही उर्वरता मिल जाती है, इसलिये किसानों पारंपरिक फसलों के बाद अगले फसल चक्र में दलहनी फसल जरूर लगानी चाहिये। किसान चाहें तो दलहनी फसलों की अंतरवर्तीय या सह-फसल खेती भी कर सकते हैं।

हरी खाद और अजोला का करें प्रयोग 

आजकल कई किसान मिट्टी की सेहत को समझते हुये जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं। ये तरह की खेती में अलग से किसी उर्वरक या रसायनों का इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि कई प्रकार की जैविक खाद और एंजाइम्स का प्रयोग होता है। इन साधनों में हरी खाद के रूप ढैंचा, बरसीम और सनई के साथ-साथ दलहनी फसलें उगा सकते हैं।

Soil Health - हरी खाद और अजोला

बता दें कि इन फसलों की खेती के बाद खेत में पड़े इनके अवशेषों पर यूरिया डालकर जैविक खाद बनाई जाती है, जो खेत की मिट्टी में मिलकर उनकी उत्पादन शक्ति को बढ़ाती है। खेत में अजोला उगाकर उसी खेत में ही डालने से मिट्टी की शक्ति कई गुना बढ़ सकती है।

खेत में लगायें कीटों को नष्ट करने वाले पौधे

रासायनिक कीटनाशक मिट्टी की सारी शक्ति सोख लेते हैं। ऐसे में खेत में ही कीटनाशक पौधे उगाना फायदे का सौदा साबित हो सकता है। कई ऐसे पौधे भी होते हैं, जिनसे जैविक कीटनाशक बनाये जाते हैं, इनमें नीम, कैटनिप और एग्रेटम शामिल है।

इन पौधों को खेत में लगाने से कीड़ों की समस्या से काफी हद तक छुटकारा मिल सकता है। किसान चाहें तो नीम से बने कीटनाशकों का प्रयोग भी कर सकते हैं, जिससे मिट्टी को कोई नुकसान नहीं होता है, बल्कि मिट्टी की शक्ति बढ़ाने के लिये नीम की पत्ती और खली का प्रयोग काफी लाभदायक माना जाता है।

समय-समय पर करवायें मिट्टी की जांच

मिट्टी का स्वास्थ्य (Soil Health) बनाए रखने के लिये मिट्टी की जरूरत के हिसाब से ही खाद-उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिये, क्योंकि जरूरत से ज्यादा उर्वरक मिट्टी की क्वालिटी को खराब कर देते हैं। अपने खेत की सेहत जानने के लिए किसान साथी समय-समय पर खेत की मिट्टी की जांच (Soil Test) ज़रूर करवाएं।

Soil Test - मिट्टी की सेहत

बता दें कि मिट्टी की जांच के बाद मृदा जांच लैब (Soil Test Lab) किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) देती हैं, जिनमें मिट्टी का प्रकार और मिट्टी की जरूरतों से लेकर कौन सी फसल मिट्टी में लगानी चाहिये जैसी सारी जानकारियां शामिल होती है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड के हिसाब से खेती करके भी आप अपने खेत को उपजाऊ बनाए रख सकते हैं।

FAQs

मिट्टी शक्ति बढ़ाने वाले ज़रूरी तत्व कौन से हैं?

मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटेशियम, आयरन, जिंक, कॉपर की उचित मात्रा होना आवश्यक है, इससे मिट्टी उपजाऊ होती है।

मिट्टी में ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी को कैसे पूरा करें?

मिट्टी में ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए आप खेत में गोबर की खाद, कंपोस्ट खाद या हरी खाद इस्तेमाल कर सकते हैं।

रेतीली मिट्टी में कौन सी फसल उगाई जाती है?

रेतीली मिट्टी में नागफनी और बबूल जैसे पौधे ही उग पाते हैं। हालांकि ऐसी मिट्टी में ड्रेगन फ्रूट की भी खेती की जा सकती है,जो एक नकदी फसल साबित हो सकती है।

खेती से संबंधित और भी ब्लॉग पढ़ने के लिए किसान साथी ग्रामिक दिये गये लिंक पर क्लिक करें –
चने की खेती
मटर की फसल
मसूर की खेती

https://shop.gramik.in/

Post Views: 27

Share Your Post on Below Plateforms

About the author

Gramik

Leave a Comment

WhatsApp Icon