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भारत, एक कृषि प्रधान देश, जहां धान की खेती प्रमुख फसलों में से एक है। बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है। लेकिन शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण गांवों में मजदूरों की कमी हो गई है, जिससे किसानों को समय पर श्रमिक नहीं मिल पाते। इस समस्या का समाधान है ड्रम सीडर से धान की सीधी बुवाई करना, जिससे मजदूरों की कम जरूरत पड़ेगी और लागत भी घटेगी।
खेत की तैयारी और समतलीकरण
धान की बुवाई से पहले खेत का समतलीकरण बेहद जरूरी है। लेव (रोपाई के समय खेत में पानी लगाना) करते समय पाटा से खेत को अच्छी तरह समतल कर लें। ऊंचा-नीचा खेत होने पर बीज का जमाव एक समान नहीं हो पाता। साथ ही खेत से जल निकास की व्यवस्था भी सुनिश्चित करें, ताकि जलभराव से फसल को नुकसान न पहुंचे।
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ड्रम सीडर से सीधी बुवाई की विधि
ड्रम सीडर से सीधी बुवाई करने के लिए खेत में 2-2.5 इंच से अधिक जल स्तर नहीं होना चाहिए। इतना पानी होना चाहिए कि ड्रम सीडर आसानी से चल सके। जल स्तर अधिक होने पर बीज पानी में रह जाते हैं और जमाव सही से नहीं हो पाता। रिसर्च में पाया गया है कि लेव लगाने के 5-6 घंटे के अंदर ही ड्रम सीडर से बुवाई कर देनी चाहिए। इससे देरी होने पर मिट्टी कड़ी हो जाती है और पौधों की शुरुआती बढ़वार धीमी हो जाती है।
सही समय और बीज की मात्रा
ड्रम सीडर से अंकुरित धान की बुवाई मॉनसून के आगमन से एक सप्ताह पहले करनी चाहिए। इससे धान अच्छी तरह अंकुरित हो जाएगा और मॉनसून की बारिश से बचाव हो सकेगा। ड्रम सीडर से सीधी बुवाई के लिए 50-55 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। धान की मध्यम देर से पकने वाली प्रजातियां इसके लिए उपयुक्त हैं।
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ड्रम सीडर के फायदे
ड्रम सीडर से बुवाई करने पर मजदूरों की कम आवश्यकता पड़ती है और खेती की लागत में भी भारी कमी आती है। यह विधि धान की उपज को भी बढ़ाती है क्योंकि पौधों का जमाव एक समान होता है और प्रारंभिक विकास तेज होता है। यहां एक ज़रूरी बात बताते चलें कि आपकी फसल के सम्पूर्ण विकास के लिए ग्रामिक लाया है ‘ग्रामिनो’, जो हर फसल व फसल की हर अवस्था के लिए उपयोगी है। इस PGR पर आकर्षक छूट पाने के लिए अभी अपना ऑर्डर प्लेस करें।
FAQ
धान की बुवाई का सही समय मानसून के शुरुआत से है, जो आमतौर पर जून के अंत या जुलाई की शुरुआत में होता है। कुछ क्षेत्रों में मई के अंत से भी बुवाई शुरू हो सकती है।
खेत की अच्छी जुताई करें ताकि मृदा में अच्छा संघटन हो सके। पलेवा करके खेत को बराबर करें और इसमें पानी भरें ताकि धान की बुवाई के समय पर्याप्त नमी हो।
धान की बुवाई मुख्यतः तीन विधियों से की जाती है:
– सीधी बुवाई
– नर्सरी में पौध तैयार करके रोपाई
– जीरो टिलेज
धान की सीधी बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 60-80 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। नर्सरी में पौध तैयार करने के लिए 20-25 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है।
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