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खरीफ के सीजन में धान की फसल भारत के कई क्षेत्रों में लगाई जाती है। धान की खेती के समय यदि किसान कुछ बातों का शुरू से ही ध्यान रखें तो इस फसल से कई गुना अधिक मुनाफा पा सकते हैं।
चलिए जानते हैं धान की पैदावार बढ़ाने के तरीके–
अपने क्षेत्र के अनुसार चुनें धान की किस्म
अधिकतर किसान दुकानदार के कहने पर ही धान के बीज (Paddy Seeds) का चुनाव करते हैं, जबकि अलग-अलग क्षेत्रों में वहां की मिट्टी और जलवायु के अनुसार धान की किस्मों (Paddy Seeds Varieties) का चुनाव होना चाहित। इसके लिए आप किसी कृषि विशेषज्ञ से परामर्श ले सकते हैं। आप चाहें तो ग्रामिक के कृषि विशेषज्ञ के साथ भी जुड़ सकते हैं। कई बार महंगे और अच्छे बीज-खाद लगाने के बाद भी सही उपज नहीं मिल पाती है, इसलिए बुवाई से पहले बीज व खेत का उपचार अवश्य कर लेना चाहिए।
बीज शोधन कर अपनी फसल को रोगों से बचाएं
बीज शोधन करने के लिए सबसे पहले दस लीटर पानी में 1.6 किलो खड़ा नमक मिलाकर घोल बना लें, इस घोल में एक अंडा या एक आलू डालें। जब अंडा या आलू इस घोल में तैरने लगे तो समझिए की घोल तैयार हो गया है। अब इस घोल में धान के बीज डालें, जो बीज पानी की सतह पर तैरने लगे उसे फेंक दें, क्योंकि ये बीज बुवाई के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं। जो बीज नीचे बैठ जाए उसे निकाल लें, यही बीज अच्छे होते हैं। इस घोल का उपयोग आप पांच से छह बार कर सकते हैं। अब शोधित किए गए बीज को साफ पानी से तीन- चार बार अच्छी तरह धो लें।
धान की पैदावार के लिये इस तरह करें बीजोपचार
धान की प्रति किलो मात्रा के अनुसार 3 ग्राम बैविस्टिन फफूंदनाशक को पानी में मिलाकर घोल बनाएं, और इसमें बीज डालकर उपचारित करें। उपचारित बीज को गीले बोरे में लपेटकर किसी ठंडे कमरें में रखें। समय समय पर इस बोरे पर पानी डालते रहें, और लगभग 48 घंटे बाद बोरे को खोलें। इस तरह आपके उपचारित बीज अंकुरित होकर नर्सरी डालने के लिए तैयार हो जायेंगे।
जैव उर्वरक से करें खेत की मिट्टी का उपचार
खेत तैयार करते समय, प्रति एकड़ खेत की मिट्टी में 10-12 किलो BGA यानि नील हरित शैवाल और 10-12 किलो PAB जैव उर्वरक का छिड़काव करें। इन उर्वरकों में उपस्थित जीव, धान के पौधों तक नाइट्रोजन व पोटाश आदि जरूरी तत्वों को अच्छे ढंग से पहुंचाने में मदद करेंगे।
फसल को समय पर दें पोषण
धान की रोपाई के 25 से 30 दिन बाद इसमें शाखाएं निकलने लगती हैं। इसी समय धान को सबसे ज़्यादा पोषण की ज़रूरत होती है। इस दौरान खेत पानी न रखें, बस हल्की नमी बनी रहने दें। उचित न्यूट्रीशन के लिए धान के एक एकड़ खेत में 20 किलो नाइट्रोजन और 10 किलो जिंक डालें।
इस समय खेत से निकालें पानी
धान की फसल के लिए पानी बहुत ज़रूरी होता है, लेकिन पानी आपकी फसल को बर्बाद भी कर सकता है। इसलिए धान की रोपाई के 25 दिन बाद खेत से पानी निकाल देना चाहिए, लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि खेत बिल्कुल सूखा भी ना रहे। इससे मिट्टी फटने लगती है। खेतों से अतिरिक्त पानी निकालने के बाद. धान की जड़ों पर सीधे धूप पड़ती है और फसल को अच्छी ऑक्सीजन मिलती है। इस दौरान आप खेत की निराई-गुड़ाई भी कर सकते हैं।
धान की फसल (Paddy Crop) में पाटा चलाएं
धान की रोपाई के 20 दिन बाद फसल में पाटा जरूर चलाएं। ऐसा करने के लिए एक 10-15 फीट का बांस लें और दो बार पाटा लगाएं। इससे धान की जड़ों में थोड़ा झटका लगता है और जो फसलें छोटी या हल्की होती हैं, वो भी बढ़ने लगती हैं। ध्यान रहे कि पाटा लगाते समय खेत में पानी जरूर होना चाहिए। पाटा लगाने का एक लाभ ये भी होता है कि धान की फसलों में लगने वाली सुंडी जैसे कीड़े झड़कर पानी में गिर जाते हैं, जिससे फसलों को नुकसान नहीं पहुंचता है। पाटा लगाने की प्रक्रिया पूरी करने के बाद खेत में दोबारा पानी भरें।
धान की फसल मे खर-पतवार नष्ट करने के लिए इस दवा का उपयोग करें
धान की रोपाई के बाद फसल में खरपतवारनाशी का उपयोग जरूर करें। इसके नियंत्रण के लिए आप 2-4D नमक दवा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा आप पेंडीमेथलीन 30 ई.सी की 3.5 लीटर मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 850-900 लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव कर सकते हैं।
FAQs
1.धान (Paddy) की पैदावार बढ़ाने के लिए क्या डालें?
धान की फसल में समय-समय पर जीवामृत, जैविक खाद या एंजाइम डालते रहें। इससे पौधों में अच्छी वृद्धि होती हैं और जड़ें मजबूत होती है। साथ ही पौधों में रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा होती हैं। इससे पैदावार में काफ़ी इज़ाफा होता है।
2. धान में घास नष्ट करने के लिए कौन सी दवा डालें?
धान में घास नष्ट करने के लिए रोपाई के दो-तीन दिन के अंदर पेंडीमेथलीन 30 ई.सी की 3.5 लीटर मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 850-900 लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव कर सकते हैं।
3.धान में नमक डालने से क्या फायदा होता है?
नमक का छिड़काव करने से जमीन में नमी बनी रहती है और धान की फसल 15 दिन तक बिना बारिश या सिंचाई के भी सुरक्षित रह सकती है। इससे भूमि की उर्वरक क्षमता भी प्रभावित नहीं होती है।
4.धान पीला हो रहा है तो क्या करें?
धान में पीलापन पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है। इसके नियंत्रण के लिए धान की फसल में 2 किलो प्रति एकड़ यूरिया को 200 लीटर पानी में मिलाकर खेतों में चिडकें। इसके अलावा 1 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से जिंक सल्फेट को 200 लीटर पानी मे घोलकर छिडकाव करें।
5.धान में पानी कब बंद करना चाहिए?
धान की रोपाई के 15 से 20 दिन तक खेत में पानी जमा रखना चाहिए, इसके बाद इसे निकाल देना चाहिए। इससे खरपतवार आने की संभावना कम हो जाती है।
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