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मक्का की खेती करते हैं, तो ऐसे पहचानें पोषक तत्वों की कमी के लक्षण!

मक्का की खेती
Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है।

मक्का की खेती खरीफ की फसल के रूप में की जाती है। ये फसल प्रमुख रूप से उत्तर भारत में उगाई जाती है। यूं तो मक्का की खेती किसानों के लिए बड़े मुनाफे वाली फसल साबित हो सकती है, हालांक‍ि इसमें कुछ आवश्यक पोषक तत्वों की कमी के कारण कई गंभीर रोग लगने की संभावना होती है।

कुछ बातों को ध्यान में रखते हुए किसान मक्का की फसल में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण पहचान सकते हैं, और समय पर उनकी रोकथाम भी कर सकते हैं, जिससे उन्हें अच्छी उपज मिलेगी और नुकसान नहीं होगा।

मक्का की खेती

चलिए ग्रामिक के इस ब्लॉग में जानते हैं कि मक्का की खेती में आप ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी के लक्षण व नियंत्रण के उपाय-

पौधों में 17 पोषक तत्वों की जरूरत होती है, जिनमें से पोटैशियम, जिंक, मैग्नीशियम, कैल्शियम, गंधक (सल्फर), फॉस्फोरस आदि बेहद महत्वपूर्ण होते हैं।

मक्का में पोटैशियम कमी के लक्षण

कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि पोटाश की कमी से पौधा व उसकी गांठें छोटी रह जाती हैं। नीचे की पत्तियों के किनारे शुरू में पीले और बाद में गहरे भूरे रंग के होकर सूखने लगते हैं।

मक्का में पोटैशियम कमी के लक्षण

नियंत्रण

मक्का की फसल में प्रति हैक्टेयर की दर से 30-40 किलोग्राम पोटैशियम डालें। पोटेशियम का इस्तेमाल फसल की बुआई के समय पंक्तियों में सीडड्रिल या देसी हल से 6-8 सेंटीमीटर गहराई तक जुटाई करके करें।

मक्का में जिंक कमी के लक्षण

मक्का की फसल में जिंक की कमी होने से पत्तियों पर हल्की धारियां हो जाती हैं, और बाद में ये पत्तियां सफेद या पीली पड़ जाती हैं। इसे श्वेत कलिका रोग कहा जाता हैं।

मक्का में जिंक कमी के लक्षण

नियंत्रण

मक्का में जिंक की कमी होने प्रति हैक्टेयर के हिसाब से बुवाई के समय 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट का प्रयोग करें।

मक्का में मैग्नीशियम कमी के लक्षण

मैग्नीशियम की कमी से मक्के की फसल में पौधों की नीचे वाली पत्तियों में सफेद या पीली धारियां बन जाती हैं। ये धारियां धीरे-धीरे शिराओं के बीच में फैल जाती हैं, जिसके बाद पत्तियां लाल हो जाती हैं। वहीं जो पौधे छोटे होते हैं, उनकी ऊपर की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं।

मक्का में मैग्नीशियम कमी के लक्षण

नियंत्रण 

मक्के की फसल में मैग्नीशियम की कमी होने पर प्रति हैक्टेयर 10 किलो मैग्नीशियम सल्फेट को 100 लीटर पानी में मिलाकर पत्तियों पर छिड़काव करें। इससे पौधों में मैग्नीशियम की आपूर्ति होती है, और अच्छा उत्पादन मिलता है।

मक्का में कैल्शियम कमी के लक्षण

मक्का में कैल्शियम की कमी प्रायः कम ही दिखायी देती है. ऐसे पौधों की पत्तियां – ठीक से खुल नहीं पातीं और सीढ़ी के समान – एक-दूसरे से लिपटी रहती हैं. रोगग्रस्त पौधों – की पत्तियां पीले हरे रंग की हो जाती हैं.

मक्का में कैल्शियम कमी के लक्षण

नियंत्रण

मक्का की फसल में कैल्शियम की कमी होने पर आप जिप्सम, अंडे के छिलके और बुझे हुए चुने का उचित मात्रा में इस्तेमाल कर सकते हैं।

मक्का में गंधक (सल्फर) कमी के लक्षण

मिट्टी में सल्फर की कमी से पौधे बौने होने लगते हैं। ऐसे पौधों का विकास होने में समय अधिक लगता है, और पत्तियां पीली पड़ जाती हैं।

मक्का में गंधक (सल्फर) कमी के लक्षण

नियंत्रण

मिट्टी में सल्फर की आपूर्ति करने के लिए एस.एस.पी. फास्फो जिप्सम एवं सल्फर मिश्रित उर्वरक का इस्तेमाल करें।

मक्का में फॉस्फोरस कमी के लक्षण

जिन पौधों में फॉस्फोरस की कमी होती है, उनकी पत्तियां गहरे हरे रंग की होने लगती हैं, और पत्तियों के सिरे व किनारे लाल या गुलाबी रंग के हो जाते हैं। इससे पौधों का विकास रुक जाता है, और उपज कम हो जाती है।  

मक्का में फॉस्फोरस कमी के लक्षण

नियंत्रण

मक्के की फसल में फॉस्फोरस की कमी के लक्षण दिखें तो प्रति हैक्टेयर की दर से फसल पर 60 किलो फॉस्फोरस का छिड़काव करें। आप फसल में फॉस्फोरस की कमी के नियंत्रण के लिए बुवाई के समय भी फॉस्फोरस का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

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मक्के की खेती के बारे में विस्तार से जानने के लिए ग्रामिक का ये ब्लॉग पढ़ें।
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FAQ

मक्का की खेती कब की जाती है?

मक्का की खेती के लिए खरीफ में जून से जुलाई तक,  रबी में अक्टूबर से नवम्बर तक और जायद में फरवरी से मार्च के महीने में की जाती है।

मक्के की फसल में कौन से कीट लगते हैं?

मक्के की फसल में तना छेदक, कटुआ कीट, सैनिक सुंडी, फॉल आर्मीवर्म आदि कीट अधिकतर पाए जाते हैं।

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