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Lipstik Tree: किसानों को बड़ा मुनाफा दे रही प्राकृतिक सिंदूर की खेती। पढ़ें रोचक जानकारी।  

सिंदूर की खेती
Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है। 

दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि बाजार में मिलने वाले सिंदूर में चूना, हल्दी व मरकरी का मिश्रण होता है, जिसके प्रयोग से त्वचा को काफी नुकसान होने की संभावना रहती है। हालांकि जब बाजार में ये मिलावटी सिंदूर नहीं उपलब्ध था, तो पुराने समय में महिलायें एक प्राकृतिक पौधे से सिंदूर का प्रयोग करती थीं।

इस पौधे को सिंदूर या लिपस्टिक का पौधा कहा जाता है। इसके फल के अंदर का बीज प्राकृतिक लाल रंग छोड़ता है। आपको बता दें कि आज के समय में सिंदूर की खेती दक्षिणी अमेरिका के साथ-साथ कई एशियाई देशों में भी बड़े पैमाने पर होती है। इसका प्राकृतिक रंग सौन्दर्य प्रसाधनों और खाद्य पदार्थों में प्रयोग किया जाता है। 

सिंदूर की खेती

चलिए ग्रामिक के इस ब्लॉग में सिंदूर की खेती के बारे में कुछ रोचक बातें जानते हैं। 

भारत में कहाँ होती है सिंदूर की खेती

भारत में सिंदूर की खेती की बात करें, तो ये पौधा हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र के कई इलाकों में व्यवसायिक तौर पर उगाया जाता है। इसकी खेती करने वाले किसानों के अनुसार, सिंदूर के एक पौधे से लाभग डेढ़ किलो तक सिंदूर के बीज मिल सकते हैं। एनबीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक डॉ महेश पाल के अनुसार सिंदूर का पौधे में कई तरह के उपयोगी गुण पाए जाते हैं। रंग के लिए इसके बीजों का इस्तेमाल किया जाता है। 

सिंदूर के पौधे का कैसे होता है उपयोग

सिंदूर के पौधे से निकलने वाले लाल रंग इस्तेमाल मुख्यतः सौंदर्य प्रसाधनों और खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इस पौधे के कई औषधीय महत्व भी हैं। सौंदर्य प्रसाधनों में इस बीज के रंग से  लिपस्टिक, हेयर डाई, नेल पॉलिश और लिक्विड सिंदूर बनाया जाता है।

इसके अलावा इसके प्राकृतिक रंग का प्रयोग पेंट बनाने में भी किया जाता है। ये सारे उत्पाद प्राकृतिक होने के कारण इनके इस्तेमाल से किसी तरह का नुकसान होने का खतरा नहीं होता है।  

सिंदूर के पौधे का कैसे होता है उपयोग

सिंदूर की खेती को बढ़ावा देने पर चल रहा शोध 

सिंदूर की खेती के बारे में यूं तो अभी ज्यादा किसानों को जानकारी नहीं है, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में इस वनस्पति फसल की खेती की जाने लगी है। हालांकि कई कृषि संस्थान इस पर शोध कर रहे हैं की सिंदूर की खेती को अधिक राज्यों में बढ़ावा दिया जा सके, और प्राकृतिक रंग के प्रयोग से किसी तरह के नुकसान से बचा जा सके।

विदेशों में सिंदूर के बीजों से निकलने वाले रंग की खूब मांग है, जिससे किसानों को इस पौधे की खेती से लाभ की भी बड़ी संभावना हैं। आपको बता दें कि सिंदूर के पौधे का वैज्ञानिक नाम ‘बिक्सा ओरेलाना’ है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार ‘बिक्सा ओरेलाना’ के पौधे लगभग 7 से 8 फुट लंबे होते हैं, और ये अभी अधिकतर पहाड़ी क्षेत्रों में ही उगाए जाते हैं। 

सिंदूर की खेती

उपयुक्त तापमान की बात करें तो 30 डिग्री तापमान तक ‘बिक्सा ओरेलाना’ के पौधों के विकास के लिए उपयुक्त होता है। सिंदूर के पौधे की रोपाई करने का सबसे सही समय दिसंबर व जनवरी का महीना माना जाता है।

हालांकि, कई क्षेत्रों में जुलाई से सितंबर के बीच भी ‘बिक्सा ओरेलाना’ की रोपाई की जाती हैं।  वैज्ञानिकों की माने तो लिपस्टिक ट्री या सिंदूर के बीजों से बने सौन्दर्य प्रसाधनों में ढेरों औषधीय गुण भी होते हैं, जिससे त्वचा रोग, त्वचा में जलन, कटने और पीलिया जैसी कई बीमारियों में इसे काफी लाभदायक माना जाता है। 

औषधीय पौधों व जड़ी बूटी के बीज आप ग्रामिक से घर बैठे ले सकते हैं। 

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FAQ

सिंदूर या लिपस्टिक के पौधे का वैज्ञानिक नाम क्या है?

सिंदूर या लिपस्टिक के पौधे का वैज्ञानिक नाम ‘बिक्सा ओरेलाना’ है।

सिंदूर की खेती कहाँ की जाती है?

सिंदूर के पौधों की खेती भारत के कुछ पहाड़ी इलाकों के अलावा दक्षिणी अमेरिका के साथ-साथ कई एशियाई देशों में भी बड़े पैमाने पर होती है। कृषि विशेषज्ञों द्वारा भारत के अन्य क्षेत्रों में भी इसकी खेती को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। 

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